केस स्टडीज- प्रशासनिक, बाजार (आर्थिक) और नैतिक दृष्टिकोण
प्रश्न: एक पहाड़ी राज्य में मूसलाधार वर्षा होने के कारण जान-माल की क्षति हुई है। स्थानीय निवासियों के अतिरिक्त बड़ी संख्या में पर्यटक फंसे हुए थे। आपूर्ति श्रृंखलाओं के टूट जाने और मांग में वृद्धि होने के कारण यह देखा गया कि स्थानीय दुकानदारों ने आवश्यक वस्तुओं को अति उच्च मूल्यों पर बेचना आरम्भ कर दिया। आने वाले कुछ दिनों में वहां से निकाले जाने की अति सीमित संभावनाओं को देखते हुए फंसे लोग स्वयं को लाचार अनुभव करने लगे हैं। दूर-दराज के क्षेत्रो में जीर्ण-शीर्ण शासन अवसंरचना ने उनकी व्यथा और भी अधिक बढ़ा दिया है इस परिस्थिति को देखते हुए निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(a) इस प्रकरण में विभिन्न हितधारकों की पहचान कीजिए और उनके हितों का तर्कपूर्ण विवरण प्रदान कीजिए। इस परिस्थिति को देखने के प्रशासनिक, बाजार (आर्थिक )और नैतिक परिप्रेक्ष्य को देखते हुए क्या आप यह मानते है कि इन हितधारकों की प्राथमिकताओं में परस्पर विरोधाभास है ?
(b) इन मुद्दों के समाधान करने हेतु प्रतिस्पर्धी हितों के बीच सामंजस्य स्थापित करने, राहत प्रदान करने तथा संघर्ष और अधिक बढ़ने से रोकने के उपाय सुझाइए।
दृष्टिकोण
- उत्तर के प्रथम भाग में, विभिन्न हितधारकों की पहचान कीजिए और उनके हितों पर चर्चा कीजिए।
- इस मामले के संदर्भ में प्रशासनिक, बाजार (आर्थिक) और नैतिक दृष्टिकोण प्रदान कीजिए तथा यदि हितधारकों की प्राथमिकताओं में प्रस्पर विरोधाभास है, तो उसे भी रेखांकित कीजिए।
- अंत में, प्रतिस्पर्धी हितों के मध्य सामंजस्य स्थापित करने, राहत प्रदान करने तथा संघर्ष और अधिक बढ़ने से रोकने के उपाय सुझाइए।
उत्तर
(a) दी गई परिस्थिति राष्ट्रीय आपदा की स्थिति है, जो समाज को बड़े पैमाने पर प्रभावित करती है। मामले में शामिल प्रमुख हितधारकै निम्नलिखित हैं:
- फंसे लोग – इसमें स्थानीय लोगों के साथ पर्यटक भी शामिल हैं। बाढ़, भूस्खलन, भोजन की कमी आदि जैसे विभिन्न खतरों के कारण उन्हें अपने जीवन के जोखिम का सामना करना पड़ता है। स्थानीय लोगों को संपत्ति के नुकसान के जोखिम का भी सामना करना पड़ता है। वे सरकार द्वारा त्वरित कार्रवाई चाहते हैं जिससे कि सामान्य जीवन तीव्रता से पुनर्बहाल हो सके। पर्यटक सर्वाधिक सुभेद्य हैं, क्योंकि वे अपने घरों से दूर हैं और उन्हें स्थानीय क्षेत्र एवं नेटवर्क का बहुत कम ज्ञान है। उनका हित त्वरित निकासी और आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त एवं वहनीय पहुंच में निहित है।
- बाजार – दुकानदार और अन्य बाजार के अभिकर्ता अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए आपदा की स्थिति का लाभ उठाते हैं। हालांकि, वे मांग और आपूर्ति में अंतर के कारण आवश्यक वस्तुओं की अत्यधिक कीमत को न्यायोचित ठहरा सकते हैं, निष्पक्ष एवं उचित कीमतों की अनिश्चित प्रकृति दोहन के अवसर प्रदान करती हैं।
- राज्य – राज्य का समाज के प्रति उत्तरदायित्व है। नागरिकों की रक्षा करना, जोखिम को कम करना. राहत और पनर्वास प्रदान करना राज्य का कर्तव्य है। राज्य का हित उचित एवं निष्पक्ष ढंग से सभी वर्गों के नागरिकों की मांगों को पूरा करने में निहित है।
हितधारकों के प्रतिस्पर्धी या पूरक हित के कारण वे स्थिति को विभिन्न रूप में देखते हैं ,जैसा कि निम्नलिखित रूप में वर्णित है:
- प्रशासनिक दृष्टिकोण – देश के प्रशासन को समाज के सभी हितधारकों के हितों की सुरक्षा के लिए संचालित किया जाता है। । प्रशासनिक का दृष्टिकोण बचाव और राहत को प्राथमिकता देना तथा उचित कीमतों पर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को बनाए रखना है। आवश्यक वस्तु अधिनियम (ECA ,1955) का प्रयोग भी इस प्रभाव हेतु किया जा सकता है।
- बाजार – वास्तव में एक मुक्त बाजार मांग और आपूर्ति के सिद्धांत पर संचालित होता है। इस प्रकार, यह किसी भी प्रकार के राज्य हस्तक्षेप का स्वीकार नहीं करता है। दी गई परिस्थिति में, बाजार को आवश्यक वस्तुओं के लिए उच्च कीमतें आरोपित करने का अवसर मिलता है।
- नैतिक परिप्रेक्ष्य – राज्य को समाज के अधिकतम कल्याण के लिए हस्तक्षेप करने का अधिकार है। कुछ लोगों के हितों को जीवन और अन्य लोगों के अस्तित्व से समझौता करने की अनुमति प्रदान नहीं की जा सकती है। बोजार साध्य नहीं हैं बल्कि सामाज के अधिकतम कल्याण का एक साधन हैं। हालांकि, वर्तमान मामला बाजार की विफलता और संभावित दोहन में से एक है, इसलिए इसमें राज्य का हस्तक्षेप नैतिक रूप से उचित होगा। लालच एक गुण नहीं बल्कि एक दोष है। इसके अतिरिक्त, भारतीय संस्कृति “अतिथि देवोभव” को बढ़ावा देती है, इस प्रकार, स्थानीय लोगों को भारतीय परंपराओं को जीवित रखते हुए पर्यटकों के लिए रहने की सुविधापूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।
यद्यपि, हितधारकों की प्राथमिकताओं में अल्पकालिक रूप में संघर्ष विद्यमान है, यह अनुभव करना महत्वपूर्ण है कि राज्य, नागरिक और बाजार, इनका एक ही परिवेश में अस्तित्व विद्यमान रहता हैं।
(b). सभी हितधारकों के हित व्यवस्थित रूप से संबद्ध होते है। यदि फंसे लोगों को समय पर और सुरक्षित रूप से पुनर्वास किया जाता है, तो फंसे स्थानीय लोग काम करेंगे और मांग सृजित करेंगे और परिणामतः, बाजार के अभिकर्ता समृद्ध होंगे। इसके अतिरिक्त, बाजार के अभिकर्ता जो इस तरह के पुनर्वास में सहायता करेंगे, उनकी एक ब्रांड छवि बन जाएगी और वे अत्यधिक लाभ उठाएंगे। राज्य की प्राथमिकताएं अन्य हितधारकों के समान है,क्योंकि राज्य के प्राथमिक कार्य समाज के सभी वर्गों के हितों को बनाए रखना है।
आपदा की दी गई स्थिति में, हितों के बीच में सामंजस्य स्थापित करने के लिए निम्नलिखित उपायों को नियोजित किया जा सकता है:
- आवश्यकता के समय आवश्यक वस्तुओं की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु आपूर्ति श्रृंखला संबंधी आधारभूत संरचना का जीर्णोद्धार करने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। निकटतम जिलों से आपूर्ति की त्वरित उपलब्धता कराई जानी चाहिए।
- जब तक कि पर्यटकों को सुरक्षित रूप से निकला नहीं जाता तब तक राज्य को एक निकासी योजना पर कार्य करना चाहिए, संसाधनों पर समान दबाव तब भी बना रहेगा जब कीमतों को नियंत्रित किया जाएगा।
- इस तरह की राष्ट्रीय आपदा के समय घोषित कीमत स्तर से अधिक कीमतों को बढ़ाना अवैध बनाया जाना चाहिए। यह फंसे लोगों के हितों की सुरक्षा और राहत प्रदान करने में सहायता करेगा।
- आवश्यक वस्तुओं का भंडारण और कार्टलाइजेशन राज्य द्वारा प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
- आपदा प्रबंधन समिति को आपातकालीन स्थितियों की आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए एक रणनीति तैयार करनी चाहिए और उचित निष्पादन तंत्र का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना चाहिए,जो अधिक आवश्यक होने पर बाधित न हो।
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