BRICS एवं इसकी उपलब्धियों का संक्षिप्त परिचय

प्रश्न: BRICS की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए, इसके सदस्यों को इसे उपलब्ध अवसरों और अन्तर्निहित सीमाओं का वास्तविक मूल्यांकन करना चाहिए। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • BRICS एवं इसकी उपलब्धियों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • इसकी प्रासंगिकता पर प्रश्न चिन्ह लगाने वाली अन्तर्निहित सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  • BRICS द्वारा अपने सदस्यों को प्रदान किए जाने वाले अवसरों की चर्चा कीजिए।

उत्तर

BRICS विश्व की कुल जनसंख्या के 40% और विश्व की GDP के एक चौथाई अंश (17 ट्रिलियन डॉलर) का प्रतिनिधित्व करता है। BRICS ने अपने पहले दशक में ही साझे हितों के मुद्दों की पहचान करने और इन मुद्दों का समाधान करने के लिए एक प्लेटफार्म का निर्माण करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • व्यापार, अवसंरचना वित्तीयन, शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन और पीपल टू पीपल कनेक्शन को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर पर्याप्त सहयोग प्रदान करना।
  • BRICS अकादमिक फोरम और बिजनेस काउंसिल जैसे प्लेटफॉर्म एक- दूसरे के उद्योगों, शैक्षणिक क्षेत्रों और सरकारों के मध्य आपसी समझ में सुधार करने में उपयोगी सिद्ध हुए हैं।
  • न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था (CRA) का संस्थानीकरण।

हालांकि, नई राजनीतिक वास्तविकताओं के परिप्रेक्ष्य में, BRICS राष्ट्रों को इसकी अंतर्निहित सीमाओं पर विचार करने के लिए अपने दृष्टिकोण को पुनर्रचित करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए:

  • BRICS न तो सैन्य संगठन है और न ही साझा मूल्यों पर आधारित है। इसके सदस्यों में चीन सत्तावादी है जबकि भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका लोकतांत्रिक हैं। चीन की तुलना में रूस सीमित रूप से सत्तावादी है, किन्तु इसकी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संरचनाएँ अन्य देशों से भिन्न हैं।
  • BRICS राष्ट्रों की असमान प्रकृति, मुख्य रूप से वैश्विक वित्तीय प्रणाली के सुधार से संबंधित मुद्दों की एक सीमित श्रृंखला  को छोड़कर अन्य सभी नीतियों और कार्यों के सन्दर्भ में साझा दृष्टिकोण को बाधित करती है।
  • इसके सदस्य देश भौगोलिक रूप बिखरे हुए हैं और उनकी अर्थव्यवस्था विकास के अलग-अलग चरणों में हैं।
  • अन्य आर्थिक संगठनों के विपरीत, BRICS किसी भी साझी राजनीतिक व्यवस्था या सुरक्षा व्यवस्था को स्थापित करने का प्रयत्न नहीं करता है।
  • BRICS के अंदर विद्यमान अन्तराल भी समूह को कमजोर करते हैं। उदाहरण के लिए चीन का ‘BRICS प्लस’ मॉडल जिसके तहत उन राष्ट्र राज्यों को BRICS का सदस्य बनाने का विचार है जो इसके बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के अभिन्न अंग हैं; भारत और चीन सीमा पर सैन्य गतिरोध जैसे- डोकलाम पठार विवाद।

यदि BRICS को अगले दशक में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखनी है, तो इसके प्रत्येक सदस्य को इस पहल से प्राप्त होने वाले अवसरों का वास्तविक मूल्यांकन करना होगा:

  • चीन के लिए, BRICS एक सामूहिक माध्यम है जिसके माध्यम से यह उभरती हुई वैश्विक व्यवस्था को आकार दे सकता है। यह सदस्य देशों के विरुद्ध चीन के कट्टर राष्ट्रवादी (jingoistic) और आक्रामक रवैये को नियंत्रित करता है।
  • यह वैश्विक शासन के उभरते हुए क्षेत्रों जैसे बाह्य अंतरिक्ष, महासागरों और इंटरनेट से संबंधित विषयों के समाधान हेतु पारस्परिक सहयोग के क्षेत्रों में विस्तार करने का अवसर प्रदान करता है।
  • विकास परियोजनाओं के लिए त्वरित ऋण समर्थन प्रदान करने के साथ ही पश्चिमी देशों पर निर्भरता को कम करता है।
  • इन देशों की सामूहिक राजनीतिक और आर्थिक शक्ति वैश्विक सम्मेलनों, कानूनों या संधि के मामलों में उनके पक्ष को और मजबूत करती है, जो अन्यथा व्यक्तिगत रूप से संभव नहीं होता।

इस प्रकार, वैश्विक मामलों में पश्चिम के स्थायी आधिपत्य का सामना करने के लिए BRICS में अत्यधिक क्षमताएं विद्यमान हैं। एक बहुध्रुवीय विश्व में जहाँ आर्थिक और राजनीतिक शक्ति का तीव्र प्रसार हो रहा है, BRICS अपने सदस्य देशों को वैश्विक शासन के मानदंडों को प्रभावित करने और उन्हें आकार देने के सन्दर्भ में सहायता कर सकता है और अपनी प्रासंगिकता को बनाए रख सकता है।

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