अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन (IWT) : मल्टी मॉडल परिवहन

प्रश्न: एक विकसित अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन (IWT) न केवल देश की समग्र परिवहन क्षमता को बढ़ाएगा, अपितु इससे मल्टी मॉडल परिवहन मिश्रण को सुधारने में भी सहायता मिलेगी। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • IWT में अन्तर्निहित संभावना की संक्षेप में चर्चा कीजिए। 
  • क्षमता बढ़ाने के संदर्भ में अंतर्देशीय जलमार्ग के लाभों पर प्रकाश डालिए। 
  • परिवहन क्षेत्र के मॉडल मिश्रण में असंतुलन को स्पष्ट कीजिए।
  • इस संबंध में उठाए जाने वाले कुछ कदमों को सुझाइए।

उत्तर

वर्तमान में, भारत में लगभग 14,500 किमी. लंबा नौगम्य जलमार्ग है। इनमें विभिन्न भूआकृतिक क्षेत्रों में विभिन्न नदी प्रणालियां, नहरें, पश्चजल (बैकवाटर), संकरी खाड़ियां (क्रीक) और ज्वारीय प्रवेशिका (टाइडल इनलेट्स) सम्मिलित हैं। इनके विभिन्न आर्थिक और पर्यावरणीय लाभों के बावजूद, भारत में जलमार्ग का लॉजिस्टिक में योगदान लगभग 1.5% ही है, जबकि इसकी तुलना में चीन का योगदान 8.7% है।

अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन (IWT) का विकास निम्नलिखित तरीकों से समग्र परिवहन क्षमता को बढ़ाएगा:

  •  अधिक मात्रा में माल ढुलाई (freight): यह कार्गो परिवहन में कई गुना वृद्धि कर सकता है। उदाहरण के लिए: केवल महाराष्ट्र द्वारा जलमार्गों के माध्यम से 2016-17 में 33.29 MMT से अधिक का परिवहन किया गया। इसी प्रकार, बिहार से असम तक 1000 टन से अधिक की फ्लाई ऐश का परिवहन जलमार्ग के माध्यम से किया गया।
  • नए मार्गों के माध्यम से कनेक्टिविटी बढ़ाना: उदाहरण के लिए: NW-1 (इसे जल मार्ग विकास परियोजना के तहत विकसित किया जा रहा है) प्रस्तावित पूर्वी समर्पित माल-भाड़ा गलियारे और NH-19 के साथ मिलकर नई दिल्ली के दक्षिण एशियाई व दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के मध्य संपर्क को बेहतर बनाने में सहायता करेगा।
  • बल्क कार्गो परिवहन को दक्ष बनाएगा: अत्याधुनिक पोत डिजाइनों को अपनाने से एक ही समय में बल्क कार्गो मालवाहकों की आवाजाही संभव हो सकेगी, जिससे सड़क या एक पूर्ण रेल रेक से लगभग 150 ट्रक भार को कम किया जा सकता है।

IWTs मल्टी-मॉडल परिवहन मिश्रण को सुधारने में भी सहायक होगा। यह रेलवे, रोडवेज, तटीय शिपिंग और एयरवेज के साथ संपर्क रखने वाले एक बड़े मल्टी-मॉडल परिवहन नेटवर्क का भाग बनेगा। ईंधन दक्ष और पर्यावरण अनुकूल होने के कारण, यह भारत में यात्री और माल ढुलाई के अधिकांश भाग का वहन करने के कारण दबावग्रस्त रेल और सड़क नेटवर्क को अनुपूरित करने में सहायक सिद्ध होगा।

विश्व बैंक के अनुसार, एक टन माल की एक किमी ढुलाई करने का खर्च सड़क मार्ग द्वारा 2.28 रुपये, रेल मार्ग द्वारा 1.41 रुपये और जलमार्ग द्वारा 1.19 रुपये आता है। इसलिए, IWT मल्टी-मॉडल परिवहन मिश्रण को सुधारने के साथ ही तुलनात्मक रूप से कम लागत पर तीव्र वैकल्पिक परिवहन सुविधा भी प्रदान करेगा। इस अन्तर्निहित संभावना को पहचानते हुए, सरकार द्वारा सागरमाला कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है, जिसका उद्देश्य अगले दस वर्षों में मॉडल परिवहन मिश्रण में घरेलू जलमार्ग की हिस्सेदारी को बढ़ाकर दोगुना करना है।

हालांकि, केवल IWT को विकसित करना ही पर्याप्त नहीं है। इसे प्रोत्साहित करने हेतु अन्य उपायों जैसे कि IWT के माध्यम से परिवहन करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन, सड़क मार्ग के माध्यम से कोयले और ज्वलनशील पदार्थों के अधिक दूरी तक परिवहन करने पर उच्च सड़क कर का आरोपण, टर्मिनल सुविधाओं को बढ़ाना, रिवरबैंक के साथ औद्योगिक गलियारों को बढ़ावा देने आदि की भी आवश्यकता है।

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