भारत के बेहतर भविष्य हेतु महात्मा गांधी और नेहरू की कुछ समानताऐं

प्रश्न: जवाहरलाल नेहरु और महात्मा गाँधी के निकट सहयोगी होने के बावजूद, दोनों के बीच राज्य की भूमिका और इसके नियंत्रण की सीमा के संबंध में अर्थपूर्ण मतभेद थे। टिप्पणी कीजिए।

दृष्टिकोण

  • विभिन्न क्षेत्रों में राज्य की भूमिका और इसके नियंत्रण के सम्बन्ध में गांधी और नेहरू की विचारधाराओं के मध्य मतभेदों को स्पष्ट कीजिए।
  • भारत के बेहतर भविष्य हेतु महात्मा गांधी और नेहरू की कुछ समानताओं को वर्णित करते हुए सकारात्मक निष्कर्ष के साथ उत्तर समाप्त कीजिए।

उत्तर

भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू दो महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे। नेहरू, महात्मा गांधी से अत्यधिक प्रभावित थे। दोनों ने स्वतंत्र भारत के विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक पक्षों को आकार प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। किन्तु राज्य की भूमिका और इसके नियंत्रण की सीमा के संबंध में उनके विचार मूलतः भिन्न थे। गांधीजी के विचारो में भारतीय नैतिकता की झलक विद्यमान थी वहीं दूसरी ओर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पश्चिमी विचारों से प्रभावित थे।

  • गांधी जी का लक्ष्य एक ऐसे आदर्श (यूटोपियन) राज्य का निर्माण कर्ना था, जहां नागरिक स्वयं इतने जिम्मेदार होंगे कि एक सुदृढ़ एवं शक्तिशाली राज्य की आवश्यकता न्यूनतम होगी जबकि नेहरू ने एक ऐसे राज्य की कल्पना की जो सभी के लिए एक निष्पक्ष और समृद्ध संसार का निर्माण कर सके।
  • गांधी जी के विचार स्वयं के अनुभव और राज्य द्वारा किये जाने वाले बल के प्रयोग के संबंध में निहित असहमति पर आधारित थे।
  • गांधी जी समाजवाद को नापसंद नहीं करते थे अपितु उन्होंने समाजवादी राज्य द्वारा शक्ति के प्रयोग का विरोध किया।
  • यद्यपि हिंसा के मुद्दे पर नेहरू लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास करते थे और उन्होंने कभी भी समाजवादी समाज के निर्माण हेतु विद्रोहपूर्ण हिंसा को साधन के रूप में स्वीकार नहीं किया। तथापि उन्होंने स्वीकार किया कि “बाह्य प्रतिरक्षा और आंतरिक एकजुटता के लिए बल और नियंत्रण का प्रयोग आवश्यक है” तथा “सरकारें खुले तौर पर हिंसा पर आधारित होती हैं।”
  • नेहरू के अनुसार, भारत के पुनर्निर्माण की यथाशीघ्र आवश्यकता थी क्योंकि केवल तभी सर्वाधिक वंचित व्यक्तियों को स्वतंत्रता प्रदान की जा सकती थी। वे मानते थे कि विकास भारत की स्वतंत्रता हेतु महत्वपूर्ण पहलू है। जबकि, गांधी के लिए आन्तरिक स्वतंत्रता अधिक महत्वपूर्ण थी इसलिए राज्य की कार्यवाही के प्रति उनका स्वाभाविक अविश्वास बना रहा।
  • गांधीजी ने अर्ध्वगामी नियोजन (बॉटम-अप प्लानिंग) का समर्थन किया। ग्रामीण उद्योग पर, ग्रामीण आत्मनिर्भरता पर, मशीनरी और अति उत्पादन के विरोध पर तथा इच्छाओं पर नियंत्रण पर उनके द्वारा बल दिया जाना, व्यक्तिगत मानवीय नैतिक पूर्णता के दर्शन का भाग था। दूसरी ओर नेहरू सोवियत मॉडल से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्होंने त्वरित औद्योगीकरण के साथ पंचवर्षीय योजनाओं एवं राज्य नियोजन को अपनाने पर बल दिया।
  • गांधीजी ने ट्रस्टीशिप के माध्यम से पुनर्वितरण का समर्थन करते हुए आत्म-साधित व्यक्तिगत उत्तरदायित्व के संबंध में लिखा। वहीं नेहरू ने एक ऐसी व्यवस्था के निर्माण का प्रयास किया जिसके तहत व्यक्तियों और व्यवसायों को राज्य द्वारा निर्धारित नियोजन प्रक्रिया के अनुरूप कार्य करने हेतु निर्देशित किया जा सके।

इन सभी मतभेदों के बावजूद, उनके विचारों में कई समानताएं थीं जैसे अहिंसक माध्यमों का समर्थन और महिलाओं के प्रति सम्मान आदि। वे कृषकों के उत्थान, जमींदारी प्रथा और उपनिवेशवाद के उन्मूलन के लिए निरंतर प्रयासरत रहे। हालांकि दोनों के द्वारा अपनाए गए साधनों की भिन्नता के बावजूद उनका समान लक्ष्य एक स्वतंत्र, समृद्ध और समावेशी भारत का निर्माण था।

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