केस स्टडीज : मतदाताओं द्वारा कम मतदान को लोकतंत्र की प्रभावी कार्य-पद्धति के समक्ष उपस्थित चुनौतियों में से एक

प्रश्न: आपको निर्वाचन आयोग द्वारा एक दूरस्थ और अल्पविकसित क्षेत्र में चुनाव आयोजन की निगरानी करने के लिए बूथ स्तर का एक अधिकारी नियुक्त किया गया है। चुनाव की तैयारी के लिए, आपको अधिकतम मतदान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए आप गाँवों के लोगों के साथ उन्हें बड़ी संख्या में मतदान करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित करते हैं। हालांकि वे इस तथ्य से आपका सामना कराते हैं कि पिछले कई चुनावों के बावजूद, प्रतिनिधियों द्वारा किए गए वादे पूरे नहीं हुए हैं और यहां तक की आजीविका की मूलभूत आवश्यकताएं भी उपलब्ध नहीं हैं। इस प्रकार, वे आपकी अपीलों की उपेक्षा करते हैं और बाद में मतदानों का आश्वासन तो दूर, आपको सुनने तक के लिए नहीं आते हैं। इस जानकारी के आधार पर, निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए:

(a) इस स्थिति में हितधारकों की उनके हितों के साथ पहचान कीजिए।

(b) आप लोगों को मनाने और अधिकतम मतदान सुनिश्चित करने के लिए किन कारकों को ध्यान में रखेंगे?

दृष्टिकोण

  • मतदाताओं द्वारा कम मतदान को लोकतंत्र की प्रभावी कार्य-पद्धति के समक्ष उपस्थित चुनौतियों में से एक के रूप में संक्षेप में रेखांकित कीजिए।
  • सूक्ष्म और समष्टि स्तरों पर, उनके हितों के साथ जुड़े सभी हितधारकों की पहचान कीजिए।
  • लोगों को मतदान करने हेतु मनाने के लिए उन सभी कारकों को रेखांकित कीजिए जिन्हें आप ध्यान में रखेंगे।

उत्तर

लोकतंत्र अनिवार्य रूप से उन संस्थानों से संबंधित हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लोगों द्वारा और लोगों के लिए संचालित हैं। ऐसे संस्थानों की स्थापना का प्रथम चरण मतदान ही है। फिर भी, लोकतंत्र की स्वाभाविक रूप से मंद प्रगतिशील प्रकृति के कारण, कभी-कभी लोगों के द्वारा मतदान को निरर्थक पद्धति के रूप में देखा जाता है। उपर्युक्त केस स्टडी इसी विवरण को दर्शाती है।

(a) इस स्थिति में निम्नलिखित हितधारकों और उनके हितों की पहचान की गई है: 

गांव के सभी पंजीकृत मतदाता: सभी पंजीकृत मतदाताओं द्वारा मतदान किया जाना चाहिए, जब वे अपने प्रतिनिधियों का चयन करेंगे, केवल तभी विकास संकेतक बेहतर होंगे। मतदाताओं के विशेष समूहों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • महिलाएं और युवा: ECI ने चरणबद्ध मतदाता शिक्षा तथा निर्वाचक भागीदारी (SVEEP) योजना प्रारंभ की है ताकि महिलाओं और युवाओं पर मतदान के माध्यम से अपने राजनीतिक अधिकारों के उपयोग के लिए बड़ी संख्या में मतदान करने हेतु ध्यान केंद्रित किया जा सके। वस्तुतः स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव में भागीदारी उनके हित में है क्योंकि वे निर्वाचित प्रतिनिधियों की नीतियों से गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं।
  • वृद्ध जन: इन्हें स्वस्थ लोकतंत्र और विकास सुनिश्चित करने के लिए दूसरों को भी मतदान करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • पहली बार मत देने योग्य बने मतदाता (फर्स्ट टाइम वोटर्स): मतदान और विकास कार्यों के महत्व पर जागरूकता का प्रसार और फर्स्ट टाइम वोटर्स को मतदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। वे युवा हैं तथा शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य नीतियों से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
  • स्थानीय राजनीतिक दल / राजनेता: इन्हें आदर्श आचार संहिता, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (1951) का पालन करना चाहिए तथा नि: शुल्क और निष्पक्ष नैतिक प्रक्रियाओं का अभ्यास करना चाहिए। मतदाताओं के अविश्वास ने चुनाव प्रक्रिया को संकट में डाल दिया है। यह राजनीतिक-लोकतांत्रिक व्यवस्था के अस्तित्व के लिए खतरा है। इसलिए, उनका हित लोगों की अधिकतम भागीदारी पर निर्भर है।
  • जिला कलेक्टर: यह सुचारू चुनाव प्रकिया सुनिश्चित कराने के लिए जिला स्तर पर एक नोडल अधिकारी होता है। कम भागीदारी से तात्पर्य है कि वे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के अपने कर्तव्यों में विफल रहे हैं।
  • भारत का निर्वाचन आयोग (ECl): अधिकतम भागीदारी चुनाव प्रक्रिया के लिए अच्छा संकेत है जिसके लिए ECI उत्तरदायी होता है। मतदाताओं का अविश्वास ईमानदार और सत्यनिष्ठ उम्मीदवारों का चयन करने की ECI की क्षमता को सीमित करता है।
  • राष्ट्र: यह समस्त राष्ट्र के हित में है कि देश के सर्वाधिक दूरस्थ क्षेत्र से संबंधित प्रत्येक नागरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा हो, अन्यथा यह विरोध, असंतोष और अराजकता का कारण बन सकता है।
  • स्थानीय स्वशासन निकाय: नागरिकों का कर्तव्य है कि वे उन्हें प्राप्त मतदान के अधिकार का प्रयोग करें। ये निकाय उन्हें उनके कर्तव्य के सम्बन्ध में शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • स्वयं: मुझे मतदाता भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए निर्दिष्ट किया जा रहा है अतः इस सन्दर्भ में मेरी विफलता मेरे पेशेवर कर्तव्य में असफलता के समान होगी।

(b). लोगों को मनाने और अधिकतम मतदान सुनिश्चित करने के लिए मेरे द्वारा जिन कारकों को ध्यान में रखा जाएगा, वे निम्नानुसार हैं:

  • मतदाताओं के मध्य निराशा जिसके कारण वे सोचते हैं कि कोई सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है।
  • निर्वाचित प्रतिनिधियों में विश्वास की कमी।
  • चुनाव की उपयोगिता के प्रति उनके दृष्टिकोण में कठोरता।
  • चुनावी प्रक्रिया के महत्व की सीमित समझ।
  • उनके लिए उपलब्ध उत्तरदायित्व तंत्र के बारे में अनभिज्ञता।
  • क्षेत्रों का अल्पविकास और दूरस्थता।

इस प्रकार, यदि चुनाव के प्रति उनके दृष्टिकोण को परिवर्तित किया जाए और उनकी अनुभूति को संशोधित किया जाए, तो मेरे द्वारा लोगों को मनाने और अधिकतम मतदान सुनिश्चित करने का कार्य किया जा सकता है। यह निम्नलिखित के माध्यम से किया जा सकता है:

  • ग्रामीणों द्वारा उठाए गई सभी चिंताओं को धैर्यपूर्वक सुना जाना।
  • वृद्धजनों को मतदान करने के लिए तथा युवाओं को उनके महत्त्वपूर्ण परिवर्तनकारी अभिकर्ता होने के सम्बन्ध में प्रेरित करने हेतु प्रोत्साहित किया जाना।
  • आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर अभिकर्ताओं के रूप में कार्य करने के लिए कहा जाना ताकि लोगों को बाहर आने और मतदान करने तथा उदाहरणों के नेतृत्व में सक्षम बनाया जा सके।
  • युवाओं एवं महिला मतदाताओं को सहभागिता के लिए प्रोत्साहित किया जाना। इसके साथ ही उन्हें यह भी विश्वास दिलाया जाना कि उन्हें ऐसे व्यक्ति को मतदान करना चाहिए, जो उन्हें लगता है कि परिवर्तन लाने में सक्षम है। लोगों को यह शिक्षा देना कि कि जब तक वे चुनावी प्रक्रियाओं में भाग नहीं लेते हैं, तब तक वे भी मतदाताओं के रूप में अपने उत्तरदायित्वों का पालन नहीं कर रहे हैं। इसलिए परिवर्तन लाने के लिए भारत के मतदाताओं को मतदान प्रकिया में भागीदारी करनी चाहिए।
  • उन्हें NOTA के उपयोग के बारे में शिक्षित करना, जिसके माध्यम से वे अपने असंतोष को व्यक्त कर सकते हैं।
  • चुनावों के संवैधानिक प्रावधानों के साथ-साथ नागरिकों को उनके अधिकारों सम्बन्ध में शिक्षित करना।
  • दूरस्थ क्षेत्रों से संबंधित शासन, संचार और संसाधनों की समस्या को प्रकट करना और यह रेखांकित करना कि उनमें समय के साथ कैसे परिवर्तन लाया जाएगा। मेरे द्वारा निरंतर प्रयासों के माध्यम से लोगों को दूरस्थ क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाले राजनीतिक नेताओं के उदाहरणों से परिचित करवाया जायेगा।
  • उन्हें जागरूक बनाना और RTI, सोशल ऑडिट, शिकायत निवारण तंत्र तथा वेबसाइटों आदि उन उपकरणों के उपयोग के बारे में ज्ञान प्रदान करना, जिनके माध्यम से वे बाद में सांसदों / विधायकों को उत्तरदायी बना सकते हैं। यह उनकी निराशा को कम करेगा।
  • SVEEP योजना के उद्देश्यों को कार्यान्वित करना।
  • इन बैठकों के दौरान लोगों द्वारा बताई गयी सभी चुनौतियों और चिंताओं को SDM एवं जिला कलेक्टर के कार्यालय को सूचित करना।

इन चरणों से परिणाम मिलने और चुनाव में लोगों की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने की अपेक्षा है।

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