बायोमास प्रबंधन (Biomass Management)

नीति आयोग ने बायोमास प्रबंधन पर ‘क्लीनर एयर बेटर लाइफ ‘(Cleaner Air Better Life) पहल के अंतर्गत गठित टास्क फोर्स की एक रिपोर्ट जारी की है।

पृष्ठभूमि

  • पराली दहन: पिछले कुछ वर्षों से पराली दहन में तीव्र वृद्धि देखी जा रही है। बढ़ता मशीनीकरण, पशुधन की घटती संख्या, कंपोस्टिंग के लिए आवश्यक लंबी अवधि और अवशेषों का आर्थिक रूप से कोई व्यवहार्य वैकल्पिक उपयोग न होना आदि खेतों में पराली दहन के लिए कुछ उत्तरदायी कारण हैं। इसके परिणामस्वरूप वैश्विक तापन तथा वायु गुणवत्ता, मृदा स्वास्थ्य और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • अन्य फसल अवशेषों के विपरीत, धान के पुआल का उपयोग क्षेत्र के बाहर बहुत ही कम मात्रा में किया जाता है। अन्य फसलअवशेषों की तुलना में इसका निम्न कैलोरी मान तथा उच्च सिलिका सामग्री इसके सीमित अनुप्रयोगों के कारण हैं।
  • अवशेषों के पारंपरिक उपयोगों में कमी जैसे कि छप्पर (roof thatch) में इसका प्रयोग न किया जाना, मशीनीकृत कृषि का प्रसार
    और किसानों के लिए धान की कटाई एवं गेहूं बुआई के बीच संक्रमण हेतु लघु अवधि के कारण यह स्थिति और अधिक गंभीर हो गयी है।
  • भारत में अनुमानित 600 मिलियन टन अतिरिक्त कृषि बायोमास की संभावना है और हरियाणा, पंजाब, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में लगभग 39 मिलियन टन धान की पुआल का दहन कर दिया जाता है।
  • यह रिपोर्ट कृषि अपशिष्ट दहन संबंधी समस्या के समाधानों को चिह्नित करती है। दीर्घकाल में, अनुशंसित कार्रवाई, फसल अवशेषों के प्रयोग करने हेतु इन-सीटू और एक्स-सीटू विकल्पों को अपनाने के माध्यम से किसान समुदाय में व्यावहारिक परिवर्तन को प्रेरित
    करेगी।

बायोमास

  • भारत में बायोमास से 18 GW ऊर्जा उत्पादन की क्षमता विद्यमान है।
  • बायोमास ऊर्जा लकड़ी के ईंधन (चारकोल, लकड़ी, अपशिष्ट लकड़ी सहित), फसल अवशेष (जैसे खोई, चावल भूसी और फसल के
    डंठल) और गोबर (बायोगैस सहित) आदि से निर्मित होता है।
  • देश में कुल प्राथमिक ऊर्जा उपयोग का लगभग 32% अभी भी बायोमास से प्राप्त किया जाता है और देश की 70% से अधिक आबादी अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए इस पर निर्भर है। बायोमास पर आधारित अर्थव्यवस्था: बायोमास पावर इंडस्ट्री प्रत्येक वर्ष 600 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश को आकर्षित करती है, जिसमें 5000 मिलियन से अधिक विद्युत् उत्पादन एवं ग्रामीण इलाकों में 10 मिलियन से अधिक कार्य दिवसों का वार्षिक रोजगार सृजित होता है।

फसल अवशेष प्रबंधन के माध्यम से किसानों के मध्य जलवायु सुदृढ़ता निर्माण

  • यह जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (NAFCC) के अंतर्गत कार्यान्वित किया जाएगा।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और अनुकूलन क्षमता में वृद्धि करने के साथ पराली दहन से होने वाले प्रतिकूल पर्यावरण
    प्रभावों से निपटना भी है।
  • जागरूकता बढ़ाने और क्षमता निर्माण गतिविधियों के साथ सफल पहलों और नवाचारी विचारों को प्रोत्साहित कर ग्रामीण क्षेत्रों में
    कार्यान्वयन योग्य और संधारणीय उद्यमशीलता मॉडल बनाए जाएंगे।

बायोमास आधारित सह-उत्पादन परियोजनाओं हेतु कार्यक्रम

  • इसका उद्देश्य देश में विद्युत् उत्पादन के लिए चीनी मिलों और अन्य उद्योगों में बायोमास आधारित सह-उत्पादन परियोजनाओं का
    समर्थन करना है।
  • यह योजना खोई, कृषि आधारित औद्योगिक अवशेष, फसल अवशेष, ऊर्जा फसल वाले बागानों से उत्पादित लकड़ी, खरपतवार,
    औद्योगिक परिचालन में उत्पादित काष्ठ अपशिष्ट आदि जैसे बायोमास का उपयोग करने वाली परियोजनाओं को केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) प्रदान करती है।
  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत नगरपालिका ठोस अपशिष्ट शामिल नहीं है
  • सह-उत्पादन: ‘एक साथ उत्पादन करना’ से आशय ऐसी प्रक्रिया से है जिसमें एक साथ एक ही ईंधन से ऊष्मा और विद्युत् दोनों प्राप्त किया जाता है।

टास्क फोर्स की अनुशंसाएं

त्वरित कार्रवाई –

  • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) प्रणाली का उपयोग करके धान-पुआल के स्व-स्थाने (इन-सीटू) उपचार हेतु किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।

मध्यम और दीर्घकालिक कार्रवाइयाँ

  • वायु प्रदूषण के लिए ‘प्रभाव निधि (Impact Fund)’ का गठन – स्वच्छ प्रौद्योगिकियों का समर्थन करने तथा इसे राष्ट्रीय स्वच्छ
    ऊर्जा कोष से जोड़ना।
  • सेवा-आधारित साझा अर्थव्यवस्था और प्रक्रिया-आधारित प्रोत्साहनों के साथ प्रौद्योगिकियों का उन्नयन करना- सभी किसानों की
    मांग की पूर्ति हेतु आवश्यक मशीनरी हेतु एक साझा अर्थव्यवस्था बनाई जा सकती है एवं यह भी सिफारिश की गयी है कि दीर्घावधि में इन प्रोत्साहनों को निष्पादन से जोड़ा जाए, जिससे बुनियादी ढांचे के कुशल उपयोग को प्रोत्साहन दिया जा सके।
  • स्थानीय स्तर पर पुरस्कृत करना और निगरानी करना – उन्नत रिमोट सेंसिंग डाटा और ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (BDO) द्वारा स्थानीय निगरानी करना। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में जीरो बर्निग के दृष्टिकोण को उत्प्रेरित करने हेतु पंचायतों के लिए वित्तीय पुरस्कार की भी अनुशंसा की गयी है।
  • बाह्यःस्थाने (एक्स-सीटू) उपचार को नियामक समर्थन – पुआलों की मृदा में पुनः जुताई करने हेतु सीमाएँ निर्धारित करना भी | समान रूप से महत्वपूर्ण है।
  • जागरूकता उपकरण – इसमें राज्य कृषि विभागों और कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) से जुड़े समर्पित जागरूकता अभियान और इस
    तरह के तरीकों का पालन करने वाले किसानों को मान्यता प्रदान करना शामिल हैं।

प्रस्तावित समाधान

जुताई अवशेष का खेतों में पुनः उपयोग करना या स्व-स्थाने दृष्टिकोण

  • पुआल खरपतवार के रूप में अवशेष प्रतिधारण (Residue retention as straw mulch) – खरपतवार के दबाव को कम करके
    उपज, जल उपयोग दक्षता, और लाभप्रदता में वृद्धि कर सकते हैं।
  • अवशेष संयोजन (Residue incorporation) – बारीक कटे पुआल का आर्द्र मिश्रण नाइट्रोजन और पुआल में निहित अन्य पोषक तत्वों को संरक्षित करने में मदद करता है।

अन्य उद्देश्यों हेतु निष्कर्षण और उपयोग या बाह्य स्थाने दृष्टिकोण

  • पायरोलिसिस (Biochar) – बायोमास को पायरोलिसिस (वायु की पूर्ण अनुपस्थिति या सीमित उपस्थिति में जलना) द्वारा
    बायोचार में परिवर्तित किया जाता है जिसे मृदा अनुकूलक, चार ब्रिकेट (char briquettes) और अन्य मूल्यवर्धित उत्पादों जैसे घरेलू उद्यान उर्वरक के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
  • ब्रिकेटिंग और/या पैलेटाइजेशन (Briquetting and/or Palletization) – ईंधन के रूप में पुआल का कुशलतापूर्वक उपयोग करने और लंबी दूरी तक सरलतापूर्वक परिवहन करने के उद्देश्य से, बायोमास को नियमित आकार के ब्रिकेट/या छरों (pellets) में परिवर्तित किया जा सकता है। इनका उपयोग आसान है, परिवहन और संग्रहित करना सुविधाजनक है, और इनका उच्च ऊष्मीय मान (हीट वैल्यू) है।
  • ब्रिकेट्स में कोयला और अन्य उच्च उष्मीय मान वाले फसल अवशेषों के साथ औद्योगिक बॉयलर में भली भांति जलाए जाने की क्षमता होती है। पुआल निर्मित छरों में कुकिंग स्टोव और घरेलू एवं साथ ही साथ उद्योगों में हीटिंग उपकरणों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल के लिए बेहतर क्षमता विद्यमान होती है।
  • अन्य प्रयासों में सम्मिलित हैं – जैव-ऊर्जा, जैव-इथेनॉल और अन्य तरल ईंधन में रूपांतरण, बायो-पावर प्लांट और शुष्क किण्वन बायोगैस संयंत्र स्थापित करना।

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