भारत में नगरीय अपशिष्ट के प्रसार और समस्या : ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के महत्व

प्रश्न: भारत के मेगा नगर जो अत्यधिक मात्रा में अपशिष्ट उत्पन्न कर रहे हैं, के परिणाम चिंताजनक हैं। इस कथन का सविस्तार वर्णन कीजिए और इस संबंध में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के महत्व की चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भारत में नगरीय अपशिष्ट के प्रसार और समस्या का वर्णन कीजिए।
  • नगरीय अपशिष्ट के परिणामों की चर्चा कीजिए।
  • इस मुद्दे का समाधान करने में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

भारत में प्रतिदिन 1,50,000 टन से अधिक नगरपालिका ठोस अपशिष्ट उत्पन्न होता है, तथापि, मात्र 83% अपशिष्ट को ही एकत्रित किया जाता है तथा 30% से भी कम अपशिष्ट को उपचारित किया जाता है। विश्व बैंक ने, 2025 तक भारत में प्रतिदिन लगभग 3,77,000 टन अपशिष्ट उत्पादित होने का अनुमान लगाया गया है। इसके लिए उत्तरदायी प्रमुख कारणों में अनियोजित नगरीकरण, तीव्र औद्योगीकरण, बढ़ती आय, उपभोक्तावाद, अवैज्ञानिक निपटान प्रणाली के साथ-साथ अप्रभावी एवं अपर्याप्त अपशिष्ट अवसंरचना शामिल हैं।

नगरीय अपशिष्ट के परिणाम

  •  शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies: ULBs) पर दबाव: अधिकांश ULBS अत्यधिक अपशिष्ट उत्पादन, वित्तीय मुद्दों, अवसंरचना एवं प्रौद्योगिकी के अभाव तथा निजी क्षेत्र एवं गैर-सरकारी संगठनों की निम्न भागीदारी के कारण प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन सेवाएं प्रदान करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: भूमि भराव क्षेत्रों (लैंडफिल्स) के खुले होने के कारण इनसे मीथेन, टोल्यून और मेथिलीन क्लोराइड जैसी खतरनाक गैसों का उत्सर्जन होता है। भूमि भराव मृदा एवं जल संसाधनों के संदूषण का भी कारण बनता है और इसके परिणामस्वरूप प्राकृतिक पर्यावासों का निम्नीकरण होता है।
  • आर्थिक प्रभाव: इन अपशिष्टों के निस्तारण संबंधी डंपिंग स्थलों द्वारा विशाल नगरीय भूमि का उपयोग किया जाता है, फलस्वरूप इन स्थलों के आस-पास के क्षेत्रों में व्यवसाय या आवास परियोजनाओं से संबंधित गतिविधियों का संचालन कठिन हो जाता है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: अपशिष्ट क्षेत्रों और डंपिंग स्थलों के खुले होने के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य और जानवरों के समक्ष गंभीर खतरा उत्पन्न हो जाता है। ऐसे क्षेत्रों और इनके समीपवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग श्वसन, त्वचा और जठरांत्र (गैस्ट्रोइन्टेस्टनल) संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाते हैं।
  • सामाजिक प्रभाव: प्रायः भूमि भराव के निकटवर्ती क्षेत्रों में रहने वाली जनसंख्या समाज के अपेक्षाकृत अधिक संवेदनशील निम्न वर्गों से संबंधित होती है।

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016

“संधारणीय विकास”, “सावधानी” और “प्रदूषकों द्वारा भुगतान” के सिद्धांतों पर आधारित ये नियम अब नगपालिका क्षेत्रों से बाहर स्थित क्षेत्रों पर भी लागू होते हैं तथा नगरीय संकुलों, जनगणना नगरों, अधिसूचित औद्योगिक टाउनशिपों, राज्य एवं केंद्र सरकार के संगठनों, तीर्थ स्थलों, धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व के स्थलों इत्यादि तक विस्तृत हैं। नगरीय अपशिष्ट प्रबंधन जोखिम का समाधान करने में सहायता कर सकने वाले विभिन्न प्रावधान निम्नलिखित हैं:

  • स्रोत पर पृथक्करण: पुनर्घाप्ति, पुन:उपयोग और पुनर्चक्रण द्वारा अपशिष्ट से लाभ अर्जन को सुव्यवस्थित बनाने हेतु कचरे के स्रोत पर पृथक्करण को अनिवार्य किया गया है।
  • SEZs, औद्योगिक भू-क्षेत्रों और औद्योगिक पार्कों के डेवेलपर्स द्वारा पुनर्णाप्ति और पुनर्चक्रण की सुविधा हेतु अलग से क्षेत्र निर्धारित करने का प्रावधान किया गया है।
  • कलेक्ट बैक स्कीम: ब्रांड मालिक जो अजैव-निम्नीकरणीय पैकेजिंग पदार्थों के माध्यम से अपने उत्पादों का विक्रय या विपणन करते हैं, उन्हें अपने उत्पादन के कारण उत्पन्न पैकेजिंग अपशिष्ट को पुनः एकत्रित करने हेतु एक व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए।
  • उपयोगकर्ता शुल्क (User fee): स्थानीय निकायों को बड़ी मात्रा में कचरा उत्पादन करने वाले उत्पादकों पर संग्रहण, निपटान और प्रसंस्करण के लिए उपयोगकर्ता शुल्क अधिरोपित करने का अधिकार प्रदान किया गया है। उत्पादकों को कचरा संग्रहण करने वालों को “उपयोगकर्ता शुल्क” का भुगतान करना होगा और कचरा फैलाने एवं कचरे का पृथक्करण न करने पर उसी समय जुर्माने (Spot Fine) का प्रावधान किया गया है।
  • एकीकरण: नए नियमों में यह भी उल्लेख किया गया है कि राज्य सरकार द्वारा कूड़ा उठाने वालों (रेग पिकर्स), अपशिष्ट एकत्रित करने वालों और कबाड़ीवालों का अनौपचारिक क्षेत्र से औपचारिक क्षेत्र में एकीकरण किया जाएगा।
  • अपशिष्ट प्रसंस्करण और उपचार: यह परामर्श दिया गया है कि जैव-निम्नीकरणीय अपशिष्ट को कंपोस्टिंग या बायोमीथेनेशन के माध्यम से संसाधित, उपचारित और निस्तारित किया जाना चाहिए।
  • इन नियमों में अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पन्न करने पर भी बल दिया गया है।

यद्यपि इन नियमों को एक अच्छे उद्देश्य के साथ निर्मित किया गया है, परन्तु इन नियमों के बेहतर क्रियान्वयन के लिए समुदायों, NGOs, छात्रों और अन्य हितधारकों के सहयोग से व्यापक स्तर पर जागरुकता अभियान की योजना बनाई जानी चाहिए।

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