भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली : चुनौतियाँ एवम समाधान के लिए सरकार द्वारा की गई पहलें

प्रश्न: भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली की चुनौतियों का समाधान करने के लिए विगत वर्षों में सरकार द्वारा की गई पहलों के बावजूद, इसकी गुणवत्ता में सुधार लाने और इसकी प्रासंगिकता बढ़ाने हेतु अभी भी कई सुधारों की आवश्यकता है। विश्लेषण कीजिए।(250 words)

दृष्टिकोण

  • भारत में उच्च शिक्षा प्रणाली का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इसमें सुधार के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए विभिन्न प्रयासों को रेखांकित कीजिए। साथ ही स्पष्ट कीजिए की इनसे किस प्रकार शिक्षा क्षेत्र में सुधार हुआ है।
  • तत्पश्चात चर्चा कीजिए कि गुणवत्ता और प्रासंगिकता, दोनों मोर्चों पर अभी भी विद्यमान मुद्दों के कारण पृथक सुधारों की आवश्यकता है।
  • संक्षिप्त निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

2030 तक, भारत विश्व के सबसे युवा राष्ट्रों में से एक होगा, क्योंकि इसकी कॉलेज जाने वाले आयुवर्ग के युवाओं की संख्या लगभग 140 मिलियन होगी तथा विश्व के प्रत्येक चार स्नातकों में से एक भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली से उत्तीर्ण होने वाला छात्र होगा। हाल के वर्षों में सरकार द्वारा देश में उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए अनेक पहलों को प्रारंभ किया गया है:

  • इम्पैक्टिंग रिसर्च इन्नोवेशन एंड टेक्नोलॉजी (IMPacting Research INnovation and Technology;IMPRINT) के तहत, सरकार का उद्देश्य IIT और भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से प्रमुख इंजीनियरिंग चुनौतियों का समाधान करना है।
  • IIT में नवाचार को बढ़ावा देने, नवोन्मेषी विचारों को प्रेरित करने, शिक्षा एवं उद्योग के मध्य कार्रवाई का समन्वय करने और प्रयोगशालाओं एवं अनुसंधान सुविधाओं को सुदृढ़ करने हेतु उच्चतर अविष्कार योजना की शुरूआत की गई।
  • राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (National Institutional Ranking Framework:NIRF) के तहत शैक्षिक संस्थानों को वस्तुनिष्ठ मानदंडों के आधार पर एक स्वतंत्र रैंकिंग एजेंसी द्वारा रैंक प्रदान की जाती है।
  • ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ अकैडमिक नेटवर्क्स (GIAN) योजना वैज्ञानिकों और उद्यमियों के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभाओं के उपयोग हेतु भारत और अन्य देशों के उच्च शिक्षण संस्थानों के मध्य साझेदारी की सुविधा प्रदान करती है।

अन्य पहलों के साथ-साथ, उपर्युक्त पहलों द्वारा नए IITS, IIMS की स्थापना से उच्च शिक्षा तक बेहतर पहुंच, IITS और IISc द्वारा विश्व भर के विश्वविद्यालयों में लगभग 15-20% संकाय सदस्यों का योगदान तथा 2016-17 में सकल नामांकन अनुपात में 25.2% वृद्धि जैसे सुधार देखे गए हैं। फिर भी, उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार एवं इसकी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।

उच्च शिक्षा की बेहतर गुणवत्ता के उद्देश्य से सुधार:

  • अनुदानों को प्रदर्शन से संबद्ध करना: विश्वविद्यालयों को प्रदान किए जाने वाले अनुदान के कुछ अनुपात को उनके प्रदर्शन और शिक्षा की गुणवत्ता से जोड़ा जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, केंद्रीय और क्षेत्रीय स्तर के विश्वविद्यालयों के मध्य एक संतुलित आवंटन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
  • शिक्षक संबंधी संसाधनों का विकास: गुणवत्तापूर्ण शिक्षण कौशल की पर्याप्तता को सुनिश्चित करने के लिए कुछ प्रमुख सुधार किए जाने की आवश्यकता है- जैसे पूर्व-सेवा संकाय प्रशिक्षण, जर्नलों की गुणवत्ता की जांच, निष्पादन आधारित संकाय मूल्यांकन, विशिष्ट पेशेवरों की भर्ती को प्रोत्साहन आदि।
  • उत्कृष्टता एवं समावेशन के मध्य संतुलन सुनिश्चित करना: बेहतर गुणवत्ता वाले शिक्षकों की कमी, बढ़े हुए ग्रेड, छात्रों और शिक्षकों के मध्य अनुपस्थिति की प्रकृति, प्रयोगशाला अवसंरचना की कमी आदि के मुद्दों से पर्याप्त रूप से निपटने की आवश्यकता है।
  • प्रत्यायन ढांचे में सुधार करना: देश में प्रत्यायन कवरेज अभी भी अपर्याप्त है। एक पारदर्शी, उच्च गुणवत्तापूर्ण प्रक्रिया के माध्यम से सूचीबद्ध विश्वसनीय प्रत्यायन एजेंसियों को प्रत्यायन की अनुमति प्रदान कर, कवरेज में वृद्धि के माध्यम से इस नियमित बनाए जाने की आवश्यकता है।

उच्च शिक्षा की प्रासंगिकता बढ़ाने के उद्देश्य से सुधार:

  • पाठ्यक्रम डिजाइन: पाठ्यक्रम को इस प्रकार से डिजाइन किया जाना चाहिए जिससे वह उच्च शिक्षा को कौशल/ व्यावसायिक प्रशिक्षण और इंडस्ट्री इंटरफेस के साथ एकीकृत कर सके।
  • उच्च शिक्षा संस्थानों में सभी छात्रों के लिए सामाजिक जुड़ाव हेतु अर्थपूर्ण अवसर: स्थानीय समुदाय के मुद्दों के साथ उच्च शिक्षा के अधिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए, IMPRINT इंडिया जैसी पहल को भी सामाजिक प्रासंगिकता के क्षेत्रों में प्रत्यक्ष अनुसंधान के लिए विस्तारित करने की आवश्यकता है।
  • शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण: भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा छात्रों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ज्ञान, कौशल और क्षमता प्रदान की जानी चाहिए। यह छात्रों को वैश्विक नागरिक के रूप में अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने वाले वैश्विक दृष्टिकोण को विकसित करने में सहायक होगा।
  • उचित मानकीकरण: खोई हुई विश्वसनीयता को पुनः प्राप्त करने और विश्वविद्यालय की योग्यता की प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए, अधिगम परिणामों,नियोजनीयता संबंधी कौशल और दक्षताओं पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, एक राष्ट्रीय उच्चत्तर शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क (NHEQF) को मिशन मोड में विकसित किया जाना चाहिए।

हालांकि, भारत को बाजार आधारित सुधारों के दौरान वहनीय, गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए इक्विटी और विविधता के मुद्दों का समाधान करने की आवश्यकता है। अतः इन सभी पहलुओं का ध्यान रखने के लिए नई शिक्षा नीति निर्मित की जानी चाहिए।

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