भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) : गठन तथा इसके उद्देश्यों का संक्षिप्त वर्णन
प्रश्न: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) का गठन पिछले कई वर्षों के राजनीतिक कार्यकलापों की स्वाभाविक पराकाष्ठा थी, जिसको इस दौरान कई अन्य संगठनों की स्थापना से चिन्हित किया गया। स्पष्ट कीजिए।
दृष्टिकोण
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के गठन तथा इसके उद्देश्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- कांग्रेस से पूर्व गठित विभिन्न संगठनों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए तथा यह भी बताइए कि कैसे वे संगठन कांग्रेस के गठन के पश्चात् समाप्त हो गए।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महत्व को रेखांकित करते हुए निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना वर्ष 1885 में की गई थी जिसका उद्देश्य भारत के लोगों में राजनीतिक चेतना उत्पन्न करने तथा साझा राजनीतिक समझ विकसित करने हेतु विभिन्न संगठनों को एक साथ एक मंच पर लाना था।
इसके निर्माण के पूर्व अनेक राजनीतिक संगठन विद्यमान थे। हालांकि इन संगठनों पर शिक्षित मध्यम वर्ग (वकील, पत्रकार, चिकित्सक, शिक्षक इत्यादि) का प्रभुत्व था। इस वर्ग के पास अपना एक व्यापक परिप्रेक्ष्य और एक वृहद् एजेंडा था। कांग्रेस की स्थापना से पूर्व स्थापित कुछ महत्वपूर्ण संगठन निम्नलिखित हैं:
बंगाल में राजनीतिक संगठन
- वर्ष 1836 में राजा राममोहन रॉय के सहयोगियों द्वारा स्थापित बंगभाषा प्रकाशिका सभा।
- ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन द्वारा एक पृथक एवं जनता द्वारा निर्वाचित प्रकृति के विधानमंडल तथा न्यायिक कार्यों से कार्यपालिका के पृथक्करण इत्यादि सुधारों की मांग की गई थी।
- इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ कलकत्ता की स्थापना वर्ष 1876 में सुरेन्द्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस द्वारा की गई थी। इस संगठन की स्थापना ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन की रूढ़िवादी तथा जमींदार समर्थक नीतियों की प्रतिक्रिया स्वरुप की गई थी। इसका उद्देश्य लोगों की राजनीतिक, बौद्धिक तथा भौतिक उन्नति को प्रोत्साहित करना था।
- वर्ष 1866 में लन्दन में दादाभाई नौरोजी द्वारा ईस्ट इंडिया एसोसिएशन का गठन भारतीय हित के प्रश्नों पर चर्चा करने तथा इंग्लैंड में जनसमर्थन प्राप्त करने हेतु किया गया था।
बम्बई में राजनीतिक संगठन
- पूना सार्वजनिक सभा की स्थापना वर्ष 1867 में महादेव गोविंद रानाडे एवं अन्य सहयोगियों द्वारा की गई थी, इसका उद्देश्य सरकार और जनता के मध्य सेतु के रूप में कार्य करना था।
- बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन का गठन वर्ष 1885 में बदरुद्दीन तैयबजी, फिरोजशाह मेहता तथा के. टी. तेलंग द्वारा किया गया था।
मद्रास में राजनीतिक संस्थाएं
- मद्रास महाजन सभा की स्थापना एम. वीर राघवाचारी, बी. सुब्रह्मण्यम अय्यर एवं पी. आनंद चारलू द्वारा वर्ष 1884 में की गई थी।
उपर्युक्त संगठनों द्वारा सिविल सेवाओं के भारतीयकरण, भारतीय सिविल सेवाओं में प्रवेश हेतु अधिकतम आयु-सीमा में कमी का विरोध, वाक् एवं अभियक्ति की स्वतंत्रता, कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण, शस्त्र अधिनियम के निरसन इत्यादि के लिए आंदोलन चलाए गए थे। इन संगठनों को अपेक्षित सफलता प्राप्त न होने के कारण ब्रिटिश सरकार पर अधिक दबाव बनाने हेतु एक अखिल भारतीय संगठन की आवश्यकता महसूस होने लगी। इल्बर्ट बिल विवाद ने इस आकांक्षा को और अधिक तीव्र कर दिया।
1880 के दशक के पूर्वार्द्ध में एक सेवानिवृत अंग्रेज सिविल सेवक ए. ओ. ह्यूम द्वारा इस विचार को अंतिम रूप प्रदान किया गया। ह्यूम ने उस समय के अग्रणी बुद्धिजीवियों को एकजुट किया तथा उनके सहयोग से दिसम्बर 1885 में बम्बई में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम सत्र का आयोजन किया।
उपर्युक्त उल्लिखित मुद्दों के समाधान करने के अतिरिक्त, कांग्रेस ने स्थापना के पश्चात् प्रारंभ में ही अनेक आर्थिक मुद्दों को भी उठाया। इसने नमक कर, विदेशों में भारतीय श्रमिकों के साथ किये जाने वाले व्यवहार तथा वनवासियों की समस्याओं के विरुद्ध अनेक प्रस्ताव पारित किए। इन कार्यवाहियों से प्रदर्शित होता है कि कांग्रेस ने न केवल व्यावसायिक समूहों, ज़मींदारों तथा उद्योगपतियों के मुद्दों पर ही सरकार से वार्ता की बल्कि जन-सामान्य से संबंधित मुद्दों को भी उठाया।
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