भारत में समलैंगिकता : भारत में समलैंगिकता के प्रति वर्तमान अभिवृत्ति को प्रभावित करने वाले कारक
प्रश्न: भारत में समलैंगिकता के प्रति राज्य और समाज की समकालीन अभिवृति को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं? साथ ही, बदलती अभिवृति और इस परिवर्तन को लाने वाले कारकों पर भी टिप्पणी कीजिए।
दृष्टिकोण
- भारत में समलैंगिकता के प्रति वर्तमान अभिवृत्ति को प्रभावित करने वाले कारकों पर प्रकाश डालिए।
- समलैंगिकता के प्रति अभिवृत्ति में परिवर्तन लाने लाने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए और यह भी बताइए कि वह परिवर्तन क्या है।
- आगे की राह बताते हुए उत्तर को समाप्त कीजिए।
उत्तर
हालांकि भारत में समलैंगिकता को पूर्णतः स्वीकृति नहीं मिली है, परन्तु इसके प्रति समाज और राज्य की अभिवृत्ति में परिवर्तन आया है। समकालीन अभिवृत्ति को प्रभावित करने वाले कारकों में धर्म, अंतर्राष्ट्रीय विमर्श, निजता का अधिकार, कानूनी घोषणाएं, चिकित्सकीय समझ में प्रगति आदि सम्मिलित हैं।
समलैंगिकता का विरोध करने वाली अभिवृत्ति के कारण:
- मुख्य प्रश्न यह है कि क्या यह कामुकता की एक प्राकृतिक अभिव्यक्ति है या केवल एक गुप्त इच्छा है? समलैंगिकता का विरोध करने वाले लोग समान्यत: इसे एक गुप्त इच्छा की अभिव्यक्ति मानते हैं।
- धर्म: इस्लाम और ईसाई धर्म जैसे प्रमुख धर्म समलैंगिकता को स्पष्ट रूप से पाप मानते हैं। इसके अतिरिक्त सभी प्रमुख धर्मों के धार्मिक समूह समलैंगिकता के अपराधीकरण का समर्थन करते हैं।
- पारंपरिक मूल्य: भारतीय संस्कृति विवाह प्रणाली, वंश -वृद्धि और पारंपरिक मूल्यों की निरंतरता का समर्थन करती है।
- लोग प्रायः परिवार के सदस्यों द्वारा बहिष्कृत किए जाने के डर से समलैंगिक प्रवृत्तियों को दबा लेते हैं।
- सामाजिक कलंक: अनेक भारतीयों के लिए समलैंगिकता आज भी एक सामजिक वर्जना है। उनकी दृष्टि में यह एक पश्चिमी अवधारणा है।
- कानूनी प्रावधान: IPC की धारा 377 समलैंगिकता को अपराध घोषित करती है। इस प्रकार कठोर कानूनी प्रावधानों ने भी इस अभिवृत्ति को बढ़ावा दिया है।
- राजनीतिक कारण: समाज में प्रचलित अभिवृत्ति के कारण भारत का राजनीतिक वर्ग भी LGBT से सम्बंधित अधिकारों के प्रति उदासीन रहा है। उन्हें आशंका है कि LGBT अधिकारों का समर्थन उनके वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है।
- समलैंगिकता को चिकित्सकीय समस्या माना गया है और स्वदेशी चिकित्सा के द्वारा इसके इलाज का दावा किया जाता रहा है।
हालांकि, विलम्ब से ही सही किन्तु इसके प्रति समाज के कुछ वर्गों की अभिवृत्ति में पर्याप्त सीमा तक परिवर्तन आया है। इसके फलस्वरूप समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखने वाले कानून को रद्द करने हेतु जनहित याचिकाएं दायर किए जाने की प्रवृति देखी गई है।
समलैंगिकता के प्रति बदलती सामाजिक अभिवृत्ति के कारण:
- वैश्वीकरण: सूचना और विचारों के मुक्त प्रवाह के कारण विकसित विश्व में समलैंगिकता के प्रति व्याप्त उदार दृष्टिकोण को भारतीयों द्वारा भी अपनाया जा रहा है।
- सोशल मीडिया: सामाजिक नेटवर्क उन समलैंगिकों को सुविधा उपलब्ध कराने हेतु महत्वपूर्ण प्लेटफार्म है जिन्हें समर्थन प्रणाली की आवश्यकता होती है।
- फिल्म उद्योग: फिल्मों में भी समलैंगिकों के प्रति उदार अभिवृत्ति प्रदर्शित की जा रही है।
- संगठनों का समर्थन : हमसफ़र ट्रस्ट, नाज़ फाउंडेशन जैसे संगठन समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का समर्थन करते हैं। इन संगठनों को वर्ष 2017 में उच्चतर न्यायपालिका द्वारा दिए गए अनुकूल निर्णयों से सहायता मिली है; सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार अनुच्छेद 21 के अंतर्गत यौनाभिमुखता की गारंटी दी गई है।
- खुला सार्वजनिक समर्थन: दिल्ली, बैंगलोर इत्यादि में समलैंगिक परेड जैसे कार्यक्रमों में भागीदारी के माध्यम से युवाओं का समर्थन बढ़ रहा है।
इस प्रकार, समलैंगिकता के संबंध में कानूनी और सामाजिक अभिवृत्ति में परिवर्तन परिलक्षित हो रहे हैं। LGBT समुदाय के कानूनी अधिकारों का समर्थन करने और इन्हें हाशिये पर जाने से रोकने के लिए उनके प्रति सकारात्मक सामाजिक दृष्टिकोण विकसित करने की आवश्यकता है।
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