भारत में नवीकरणीय उर्जा : भारत में नवीकरणीय ऊर्जा को संधारणीय रूप से बढ़ाने के समक्ष विद्यमान चुनौतियां

प्रश्न: भारत में नवीकरणीय उर्जा को संधारणीय रूप से बढ़ाने में कई चुनौतियां हैं। विश्लेषण कीजिए। साथ ही चर्चा कीजिए कि इन चुनौतियों से निपटने लिए क्या किया जा सकता है?

दृष्टिकोण

  • विद्यमान नवीकरणीय ऊर्जा परिदृश्य और इससे संबंधित अभीष्ट लक्ष्यों के संदर्भ में संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  • भारत में नवीकरणीय ऊर्जा को संधारणीय रूप से बढ़ाने के समक्ष विद्यमान चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
  • इस दिशा में सरकार द्वारा किए गए कुछ उपायों पर चर्चा कीजिए।
  • अंततः इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए किए जाने वाले कुछ उपायों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

भारत सरकार ने वर्ष 2022 तक 175 GW नवीकरणीय ऊर्जा संस्थापित क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अंतर्गत 100 GW सौर ऊर्जा से और 60 GW पवन ऊर्जा द्वारा प्राप्त किया जाना है। फरवरी, 2018 तक, देश में कुल स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 65 GW है। हालांकि, भारत द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाने में कई चुनौतियों का सामना किया जा रहा है जैसे कि:

  • पारेषण (Transmission) संबंधी अवसंरचना : यह पारेषित सौर ऊर्जा के प्रकार को नियंत्रित करने में अपर्याप्त है। 
  • उपभोक्ताओं द्वारा कम मांग: भारत में नवीकरणीय ऊर्जा पर्यावरण अनुकूलित होने पर भी उपभोक्ताओं के बजाय लक्ष्यों, सरकारी समर्थन और सामान्य आर्थिक गतिविधियों द्वारा अधिक प्रेरित है।
  • अत्यधिक मांग को पूरा करने में असक्षमता: सूर्यातप और पवन प्रवाह में विविधता के कारण, यह उचित समय पर अनुकूल क्षमता का योगदान करके अत्यधिक मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। इसके अतिरिक्त, जलवायु परिस्थितियों के कारण आउटपुट में उतार-चढ़ाव से विद्युत् ग्रिड अवसंरचना में अस्थिरता होती है जिसके परिणामस्वरूप यह विफल हो सकती है।
  • कम कीमत: सौर ऊर्जा की खरीद संबंधी कीमतों में कमी भी एक समस्या है और डिस्कॉम (DISCOMS) कम कीमत वाले सौदे में शामिल नहीं होना चाहती है।
  • तकनीकी बाधाएं: विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय भारतीय परिस्थितियों में पैनल की गुणवत्ता और कार्य-अवधि से संबंधित समस्याएं।
  • कम निवेश: निजी निवेशकों के साथ-साथ उच्च ब्याज दरों को आकर्षित करने में असमर्थता के कारण अधिक निवेश की आवश्यकता हो जाती है।

नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा अनेक उपाय किए गए हैं जैसे कि नवीकरणीय खरीद दायित्व, सौर पार्कों और अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं का विकास, ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर परियोजनाओं के माध्यम से विद्युत पारेषण का विकास, स्वचालित मार्ग के माध्यम से 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति इत्यादि।

चुनौतियों से निपटने के लिए और अधिक उपाय किए जाने की आवश्यकता है, जैसे:

  • कीमतों के निर्धारण में पारदर्शिता: नवीकरणीय ऊर्जा की प्रणालीगत स्तर की लागत का समाधान अधिक पारदर्शी तरीके से किए जाने की आवश्यकता है।
  • ग्रिड क्षमता में वृद्धि: सुदृढ़ पारेषण प्रणाली के लिए स्मार्ट ग्रिड और मांग प्रतिक्रिया प्रणाली पर अधिक ध्यान देने के साथ सभी राज्यों में ग्रिड के तीव्र डिजिटलीकरण को प्राथमिकता प्रदान की जानी चाहिए।
  • पारेषण में सुधार: ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर को अधिक विस्तारित करने की आवश्यकता है जिससे 50 से अधिक अल्ट्रा मेगा सौर पार्कों को स्थापित किया जा सके। इसके अतिरिक्त, अन्तर्राज्यीय नवीकरणीय विद्युत् ऊर्जा प्रवाह को सुगम बनाया जाना चाहिए, क्योंकि इसका संकेन्द्रण उन राज्यों में अत्यधिक होता है जहाँ पवन प्रवाह और सूर्य का प्रकाश पर्याप्त रूप में उपलब्ध होते हैं।
  • बेहतर विनियमन: निर्णय निर्माणकर्ताओं के मध्य विशेषज्ञता विकसित करना, संबंधित अधिकारियों के मध्य समन्वय बढ़ाना और संसाधन मूल्यांकन और मानचित्रण का उपयोग करके समग्र नियामक और आधारभूत रणनीति विकसित करना।
  • कौशल विकास: व्यापक क्षमता निर्माण योजना बनाकर ग्रिड ऑपरेशन और प्रबंधन के लिए तकनीकी कौशल की कमी का समाधान किया जाना चाहिए।

इस प्रकार, नवीकरणीय उर्जा में महत्वपूर्ण वृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए सरकार, उपयोज्यता और विकासकर्ताओ के मध्य साझेदारी के माध्यम से एक परिवेश निर्मित किए जाने की आवश्यकता है।

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