भारत में विवाह विच्छेद के मुद्दे : भारत में विभिन्न क्षेत्रों के बीच तलाक की दर

प्रश्न: असाहचर्य, न कि तलाक, भारत में अधिकांश महिलाओं के लिए विवाह विच्छेद का एक प्रमुख रूप है। इसके पीछे संभावित कारण क्या हो सकते हैं? साथ ही, चर्चा कीजिए कि भारत में विभिन्न क्षेत्रों के बीच तलाक की दर में सुस्पष्ट अंतर क्यों हैं।

दृष्टिकोण

  • भारत में विवाह विच्छेद के मुद्दे को समझाते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिए।
  • असाहचर्य (अलगाव) और तलाक के मध्य विभेद स्पष्ट कीजिए।
  • स्पष्ट कीजिए की क्यों असाहचर्य एक प्रभावशाली विशेषता है।
  • साथ ही, भारत में विभिन्न क्षेत्रों के बीच तलाक की दर में अंतर का वर्णन कीजिए।

उत्तर

तलाक विवाह की समाप्ति है, जबकि असाहचर्य का अर्थ दम्पति के एक साथ न रहने से है, भले ही वे कानूनी रूप से विवाहित हों। असाहचर्य के पश्चात् तलाक हो भी सकता है और नहीं भी।

जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में असाहचर्य वाले लोगों की संख्या तलाकशुदा लोगों से तीन गुनी है। असाहचर्य के उच्च प्रतिशत के निम्नलिखित कारण हैं:

  • सामाजिक कलंक: असाहचर्य विवाह संस्था को निरंतर बनाए रखता है, इसलिए यह सामाजिक रूप से अधिक स्वीकार किया जाता है।
  • विलंबित न्यायिक प्रक्रिया: तलाक के लिए कानूनी प्रक्रिया की आवश्यकता होती है। लोग दीर्घकालिक, प्रतिकूल और महंगी न्यायालय सुनवाई के डर से असाहचर्य को अपनाते हैं।
  • लैंगिक समीकरणों में परिवर्तन: वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बहुत सी शहरी महिलाएं उत्पीड़न का शिकार होने पर, गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए असाहचर्य को अपनाती हैं।

2011 की जनगणना यह इंगित करती है कि तलाक और असाहचर्य की दर राज्यों और क्षेत्रों में व्यापक रूप से भिन्न है। समग्र रूप से भारत के लिए तलाक की दर 0.24%, जबकि मिजोरम में यह 4.08%, केरल में 0.32%, जनजातीय बहुल छत्तीसगढ़ में 0.34% और गुजरात में 0.63% है। इसे निम्न रूप में देखा जा सकता है:

  • पूर्वोत्तर राज्यों की दर देश के शेष भागों की तुलना में अधिक है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि पूर्वोत्तर भारत में जनजातीय कानून अनौपचारिक संबंधों की अनुमति प्रदान करते हैं और मातृसत्तात्मक प्रणाली विद्यमान होने के कारण महिलाएं अपेक्षाकृत उच्च सामाजिक प्रस्थिति का लाभ उठाती हैं।
  • उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और राजस्थान जैसे भारत के उत्तरी राज्य जो अत्यधिक पितृसत्तात्मक माने जाते हैं, यहाँ तलाक की दर बहुत कम है।
  • बड़े राज्यों में गुजरात की दर सर्वाधिक है जिसकी प्रति व्यक्ति आय और साक्षरता अन्य की तुलना में अधिक है।
  • केरल जैसे राज्यों में पितृसत्तात्मक मानदंड कम कठोर हैं और श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी अत्यधिक है। साथ ही, उन्हें अपने मूल परिवार (जहाँ पर उनका जन्म हुआ हो) से समर्थन भी प्राप्त होता है। इसलिए, तलाक हेतु सामाजिकआर्थिक कारण कम उत्तरदायी हैं।

यद्यपि असाहचर्य और तलाक की दरें वैश्विक औसत से कम हैं तथापि वे तीव्र गति से बढ़ रही हैं। समय की मांग है कि सभी धार्मिक समुदायों में असाहचर्य में रहने वाली / परित्यक्त महिला के लिए श्रेष्ठतर कानूनों को संस्थागत बनाया जाना चाहिए।

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