भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZS) : पुनरुद्धार हेतु सुझाव

प्रश्न: भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZS) वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने में सक्षम क्यों नहीं हो पाए हैं? इस संदर्भ में, भारत में SEZs को पुनर्जीवित करने के लिए कुछ उपायों का सुझाव दीजिए।

दृष्टिकोण

  • उन उद्देश्यों की संक्षिप्त चर्चा कीजिए जिनके लिए भारत में SEZs की स्थापना की गयी थी। 
  • वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने में SEZs की विफलता के कारणों को रेखांकित कीजिए।
  • SEZs को पुनरुद्धार हेतु उपाय सुझाइए।

उत्तर

भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) की स्थापना, व्यवसाय हेतु सरलीकृत प्रक्रिया एवं अनुकूल परिवेश प्रदान करने तथा विनिर्माण एवं रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गयी थी। व्यापार को बढ़ावा देने के लिए इन क्षेत्रों पर विशिष्ट व्यापार एवं व्यवसाय कानून लागू होते हैं।

SEZs की विफलता के कारण:

  • बंदरगाह, रेल और वायुमार्ग के माध्यम से कनेक्टिविटी जैसे बाह्य अवसंरचनात्मक समर्थन का अभाव।
  • अपेक्षाकृत कम अवधि के कार्यकाल के कारण क्षेत्र के दीर्घकालिक विकास को प्रोत्साहित करने में राज्य सरकारों की विफलता।
  • कर छूट के दुरुपयोग की आशंका से सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले कर प्रोत्साहनों को समाप्त करना। उदाहरण के लिए 2011-12 से न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT) छूट को समाप्त कर दिया गया है।
  • प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के एक शोध के अनुसार, SEZ स्थलों का चयन किसी क्षेत्र की आर्थिक क्षमता को ध्यान में रखने के स्थान पर रियल एस्टेट स्पेक्यूलेशन पर आधारित होता है और इस प्रकार क्षेत्र की क्षमता की उपेक्षा की जाती है।
  • प्रायः SEZ स्थलों का चयन वोट बैंक के निर्माण के लिए विशिष्ट नृजातीय और जाति समूहों को लक्षित करने के उद्देश्य से किया जाता है।

उपाय:

  • राज्यों को अपने स्वयं के निर्यात संवर्द्धन क्षेत्र (Export Promotion Zones: EPZ) स्थापित करने की अनुमति प्रदान की जानी चाहिए। राज्यों के मध्य प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करने से निर्यात में सुधार और SEZs के संवर्द्धन में सहायता मिल सकती है।
  • मुक्त बाजार क्षेत्रों की स्थापना हेतु केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है। इस क्षेत्र को कर छूट पुनः प्रदान की जा सकती है।
  • SEZs के पुनरुद्धार के लिए बाबा कल्याणी समिति की अनुशंसाएं:
  • निर्यात के स्थान पर आर्थिक एवं रोजगार वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करना। 
  • विनिर्माण SEZS संबंधी प्रोत्साहन मांग, निवेश, रोजगार और प्रौद्योगिकी, मूल्य संवर्द्धन और समावेशिता सहित
  • विशिष्ट मापदंडों पर आधारित होने चाहिए। 
  • प्रारंभिक केंद्र से अंतिम केंद्र तक कनेक्टिविटी अवसंरचना का विकास।
  • सूचना तकनीक (IT) और सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाओं (ITES) जैसे सेवा क्षेत्र के लाभों को स्वास्थ्य देखभाल,
  • वित्तीय सेवाओं, विधिक, मरम्मत और डिजाइन सेवाओं में अपनाया जाना चाहिए।
  • प्रवेश और निकासी प्रक्रिया को सरल बनाया जाना चाहिए।

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