भारत में वहनीय आवास बाजार : भारत में इसके विकास में आने वाली चुनौतियां

प्रश्न: भारत में वहनीय आवास बाजार के विकास के लिए जिन चुनौतियों से निपटने की आवश्यकता है, उनका एक विवरण प्रस्तुत कीजिए। हाल के दिनों में सरकार ने इनसे निपटने के लिए क्या कदम उठाए हैं? (150 शब्द)

दृष्टिकोण

  • वहनीय आवास बाजार को परिभाषित कीजिए और वहनीय आवास की आवश्यकता का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  • भारत में इसके विकास में आने वाली चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
  • इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार द्वारा किये गए उपायों पर चर्चा कीजिए।

उत्तर

वहनीय आवास किसी ऐसे आवास को संदर्भित करता है जो कुछ निश्चित प्रकार के वहनीय मानदंडों को पूरा करता हो। इनमें प्रमुख है- (i) आय स्तर, (ii) आवासीय इकाई का आकार और (iii) आवास के लिए आवश्यक व्यय का भाग। यह अनुमान लगाया गया है कि वहनीय आवास की मांग 2012 के 19 मिलियन के स्तर से बढ़कर 2030 में 38 मिलियन आवास इकाई हो जाएगी। इसके अतिरिक्त, अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों के साथ वहनीय आवास की सम्बद्धता आर्थिक विकास में तीव्रता ला सकती है। हालांकि, इस क्षेत्रक को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, जिनके कारण भारत में इसकी वृद्धि बाधित हुई है।

चुनौतियां:

  • भूमि संबंधी मुद्दों जैसे कि शहरी क्षेत्रों में उच्च भूमि लागत, भूमि अधिग्रहण से संबंधित समस्याएं, भूमि संबंधी आंकड़ों एवं अभिलेखों की कमी आदि।
  • भारत में वहनीय आवास बाजार में निजी क्षेत्र की भागीदारी की कमी।
  • निर्धन और मलिन बस्तियों के निवासियों की वित्त के संस्थागत स्रोतों तक पहुंच का अभाव।
  • भारत में एक व्यवहार्य किराया बाजार (viable rental market) की अनुपस्थिति।
  • जटिले अनुमोदन प्रक्रिया, पर्यावरणीय स्वीकृति, उप-कानूनों के निर्माण में स्पष्टता का अभाव और मास्टर प्लान के कार्यान्वयन जैसी विनियामकीय बाधाएं।
  • निम्न लागत वाली भवन सामग्री और निर्माण पद्धतियों से जुड़े तकनीकी नवाचारों के लिए बाजार में आम स्वीकृति और विश्वसनीयता का अभाव।

सरकारी उपाय:

  • मांग-आपूर्ति अंतराल को समाप्त करने के क्रम में, केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) – 2022 तक सभी के लिए आवास जैसा बड़े निवेश वाला कार्यक्रम आरम्भ किया है।
  • वहनीय आवास को अवसंरचना का दर्जा दिया गया है, जिससे डेवलपर्स को बाह्य वाणिज्यिक उधारियों (ECB) सहित वित्तीयन के सस्ते स्रोतों तक पहुंच प्राप्त होगी।
  • वहनीय आवास प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्रों को उधारी (PSL) में सम्मिलित है।
  • केंद्र और राज्य सरकारें आवास क्षेत्र के लिए कर रियायतें प्रदान कर रही हैं।
  • कई राज्य सरकारों ने भवन किराये पर देने वाले मकान मालिकों के हितों की रक्षा हेतु कानून पारित किये हैं, जिससे किराये पर देने हेतु भवनों के निर्माण को प्रोत्साहन मिला है।
  • वहनीय आवास के लिए पात्रता मानदंडों को क्रमशः महानगरों और गैर-महानगरीय क्षेत्रों के लिए सेलेबल एरिया (बिक्री योग्य क्षेत्र) के बजाय कार्पेट एरिया (फर्श क्षेत्र) के 30 वर्ग मीटर और 60 वर्ग मीटर के रूप में पुनर्संशोधित किया गया है। यह प्रभावी रूप से सम्पूर्ण भारत में वहनीय आवास बाजार के आकार में वृद्धि करता है।
  • सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर के लिए FDI को अनुमति प्रदान कर दी है, उदाहरणस्वरूप टाउनशिप हेतु 100% FDI की अनुमति दी गयी है। इसके साथ ही यह भारत में वहनीय आवास बाजार के विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) तथा विश्व बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ भी सहयोग कर रही है।
  • एक एकल, संगठित बाजार के निर्माण के लिए संघीय कर बाधाओं को समाप्त करने हेतु रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REIT), रियल स्टेट (नियामक और विकास) विधेयक, 2016 (RERA) और GST जैसे उपाय पारित किए गए हैं।

इन उपायों के अतिरिक्त, आवास और शहरी विकास निगम लिमिटेड (HUDCO), राष्ट्रीय आवास बैंक (NHB) और राष्ट्रीय भवन संगठन (NBO) जैसे आवास से संबंधित संस्थानों को सुदृढ़ करने और भारत में आवास विकास पर व्यापक शोध को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। साथ ही, पर्याप्त वहनीय आवास की अनुपस्थिति में, वर्तमान आपूर्ति-मांग को पूरा करने के लिए एक सुदृढ़ किराया आवास नीति (rental housing policy) की आवश्यकता है।

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