भारत में शहरी आबादी और शहरी गरीबी : इस समस्या के समाधान हेतु सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदम
प्रश्न: शहरी जनसंख्या में सार्थक वृद्धि को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि भारत में लोक नीति द्वारा शहरी गरीबी की प्रकृति और विस्तार को पहचाना और पर्याप्त रूप से संबोधित किया जाना चाहिए। शहरी गरीबों द्वारा सामना की जा रही समस्याओं और उनसे निपटने हेतु सरकार के कार्यक्रमों और पहलों के संदर्भ में चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- भारत में शहरी आबादी और शहरी गरीबी पर संक्षेप में चर्चा कीजिए।
- चर्चा कीजिए कि शहरी गरीबी की प्रकृति और विस्तार को पहचानना और संबोधित करना क्यों महत्वपूर्ण है।
- इस समस्या के समाधान हेतु सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों की व्याख्या कीजिए।
- आगे की राह के साथ उत्तर को समाप्त कीजिए।
उत्तर
2011 की जनगणना के अनुसार, 31.16% भारतीय जनसंख्या, शहरी क्षेत्रों में निवास करती है। इसमें शहरी गरीबों की एक बड़ी संख्या भी शामिल है। गरीबी पर गठित डॉ. सी. रंगराजन विशेषज्ञ समूह के अनुसार शहरी गरीबी रेखा से नीचे (BPL) की जनसंख्या 102.5 मिलियन या शहरी जनसंख्या का 26.4% है।
शहरी गरीब कई वंचनाओं के साथ जीवन यापन करते हैं, जिनमें सम्मिलित हैं:
- रोजगार के अवसरों और आय तक पहुंच सीमित है।
- अपर्याप्त और असुरक्षित आवास: 17% से अधिक शहरी जनसंख्या या लगभग 65 मिलियन लोग मलिन बस्तियों में निवास करते हैं।
- स्वच्छता संबंधी समस्याएं: शहरी गरीबों के लिए स्वच्छता से संबंधित मूलभूत सुविधाएं और सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। उदाहरण के लिए, शहरी क्षेत्रों में कुल परिवारों के लगभग 13% लोगों के पास शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
- अस्वास्थ्यकर परिवेश: शहरी गरीबों के बच्चों की लगभग आधी संख्या कुपोषित है। लगभग 30% शहरी परिवारों के पास स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है।
- सामाजिक सुरक्षा तंत्र नाममात्र या न के बराबर है।
- स्वास्थ्य और शिक्षा के पर्याप्त अवसरों तक पहुंच सीमित है।
- शहरों में गरीबों के विरुद्ध वर्गीय भेदभाव में वृद्धि हो रही है।
- शहरी गरीबों की राजनीतिक भागीदारी भी न्यून है।
इस प्रकार, सरकार द्वारा आरम्भ किए गए कार्यक्रम और नीतिगत पहले, शहरी गरीबी उन्मूलन के लिए अति महत्वपूर्ण हो जाते हैं। हाल ही में आरम्भ की गई कुछ पहलों में सम्मिलित हैं:
- प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी): यह योजना 2022 तक मलिन बस्तियों के पुनर्वास और वहनीय आवास के माध्यम से”सभी के लिए आवास” की परिकल्पना करती है।
- स्मार्ट सिटीज मिशन: यह 2019-2020 तक 100 संधारणीय और नागरिक-अनुकूल ‘स्मार्ट’ सिटीज का निर्माण करने वाली एक महत्वाकांक्षी योजना है।
- अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत): इस मिशन के माध्यम से शहरों की सुविधाओं में वृद्धि की जाएगी परिणामस्वरूप सभी, विशेष रूप से गरीब और वंचित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा।
- दीनदयाल अंत्योदय योजना (राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन): यह योजना शहरी गरीबों को व्यक्तिगत और समूह उद्यमों तथा स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की स्थापना में सहायता करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करने पर केंद्रित है।
- अन्य योजनाएं जैसे स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान आदि।
शहरी गरीबों के मध्य महिलाएँ, बच्चे, वृद्ध, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक आदि समुदाय के लोग अधिक सुभेद्य हैं अत: नीति निर्माताओं द्वारा इन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
शहरी गरीबी के समाधान हेतु मुख्य रूप से बुनियादी सेवाओं, सुभेद्य वर्गों के लिए लक्षित सब्सिडी, कौशल विकास और लाभदायक रोजगार के विकास से संबंधित प्रावधानों को सम्मिलित किया जाना चाहिए। यह सरकारी नीतियों, कार्यक्रमों और योजनाओं में सभी हितधारकों की भागीदारी तथा एक उत्तरदायी प्रशासन द्वारा संभव है।
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- आपदाओं के प्रति शहरी क्षेत्रों की सुभेद्यता
- राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (National Urban Health Mission:NUHM)
- शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Bodies: ULBs)
- नगरीय क्षेत्रों की परिभाषा : शहरी क्षेत्र का गठन करने वाले तत्वों के संबंध में स्पष्टता की कमी
- शहरीकरण : सामाजिक एकीकरण और आर्थिक अवसरों की सम्भावनायें