भारत में सड़क सुरक्षा : उपाय व सुझाव

प्रश्न: भारत में सड़क सुरक्षा प्राप्त करना क्यों एक चुनौतीपूर्ण कार्य बना हुआ है? विभिन्न हितधारकों को ध्यान में रखते हुए, कुछ उपायों का सुझाव दीजिए, जिन्हें भारत में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए अपनाया जा सकता है।

दृष्टिकोण

  • भारत में सड़क दुर्घटनाओं के निरंतर वृद्धि में कमी करने के दौरान सामना की जाने वाली चुनौतियों की सूचीबद्ध कीजिए।
  • सड़क सुरक्षा में सम्मिलित विभिन्न हितधारकों का उल्लेख कीजिए।
  • विभिन्न हितधारकों को ध्यान में रखते हुए, कुछ उपायों का सुझाव दीजिए, जिन्हें भारत में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए अपनाया जा सकता है।

उत्तर

सड़क नेटवर्क के संदर्भ में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है तथा वार्षिक तौर पर 1.5 लाख लोगों की मृत्यु के साथ भारत विश्व भर में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के 10% के लिए उत्तरदायी है। इसको ध्यान में रखते हुए, भारत ने 2015 में ब्रासीलिया घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए तथा 2020 तक सड़क दुर्घटनाओं एवं मृत्यु दर को आधा करने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।

हालाँकि, निम्नलिखित कारणों से भारत में सड़क दुर्घटनाओं को कम करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बना हुआ है:

  • राजमार्गों पर अधिकांशतः दुर्घटनायें, पदार्थो एवं निर्माण की निम्न गुणवत्ता सहित सड़क की निम्नस्तरीय डिजाइन एवं इंजीनियरिंग के कारण होती हैं।
  • भारतीय सड़क कांग्रेस के विनिर्देशों के विपरीत निर्मित अनधिकृत स्पीड ब्रेकरों की अधिकता, लगभग 2 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं के लिए उत्तरदायी हैं।
  • समयबद्ध तरीके से सड़क अवसंरचना के समन्वय एवं रखरखाव में नगर एजेंसियों की विफलता।
  • सड़कों पर निरंतर बाढ़ एवं स्थिर जल हेतु उत्तरदायी अपर्याप्त जल निकासी प्रणाली सड़क पर किसी भी प्रकार के मरम्मत कार्य में बाधा उत्पन्न करती है, जो शहरी परिस्थितियों में दोपहिया दुर्घटनाओं की चिंता का एक प्रमुख विषय है।
  • सड़कों पर रेस्तरां और चाय की दुकानों द्वारा अपने क्षेत्र में तीव्र पहुँच बनाने हेतु बीच-बीच में बने अवैध मोड़ यातायात के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित करते हैं।
  • सड़क पर यातायात और वाहनों को विनियमित करने वाले कानूनों का निम्न प्रवर्तन। विभिन्न विधानों एवं नीतियों के अधिनियमन के पश्चात, यातायात कानूनों के विनियमों को लागू करने में विलम्ब हुआ है।
  • सड़क सुरक्षा के प्रति लोगों का रवैया लापरवाही भरा रहा है। लेन ड्राइविंग का पालन नहीं करना, गलत तरीके से ओवरटेक करना, अत्यधिक तेज चलाना, पीछा करना, सीट बेल्ट और हेलमेट जैसे सुरक्षा उपायों का प्रयोग न करने से दुर्घटना के प्रति सुभेद्यता बढ़ जाती है।

पैदल चलने वाले यात्री, वाहन चालक, यातायात पुलिस और नीति निर्माताओं जैसे विभिन्न हितधारक सड़क दुर्घटनाओ से प्रभावित होते हैं। अतः, निम्नलिखित उपायों के माध्यम से ये सभी सड़क सुरक्षा में योगदान कर सकते हैं:

  • पैदल यात्री:
  • पैदल चलने वाले यात्रियों के लिए सावधानीपूर्वक परिचालित ट्रैफ़िक लाइट, सबवे , पैदल चलने वाले यात्री पथ और ज़ेबरा क्रॉसिंग लगाए जाएं।
  • स्कूल, वृद्धाश्रम आदि जैसे क्षेत्रों में गति सीमा निर्धारित की जानी चाहिए। 
  • मृत्यु की दर को कम करने के लिए किसी भी सिविल या आपराधिक कार्रवाई से अच्छे नागरिकों (गुड समैरिटन) को सुरक्षा प्रदान करना। 
  • वाहन चालक
  • वाहनों के सुरक्षा डिजाइन के संबंध में उचित सुरक्षा विनियम बनाना।  इसे मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत शराब पीकर गाड़ी चलाने पर सख्त प्रतिबंध के साथ संबद्ध किया जाना चाहिए।
  • सड़क सुरक्षा के संबंध में शिक्षा एवं जागरूकता बढ़ाना। 
  • नीति निर्माता: 
  • इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट के अनुप्रयोग, सुरक्षा कानूनों को लागू करने, ट्रामा केयर आदि सहित सड़क सुरक्षा पर जागरूकता को बढ़ावा देने, सुरक्षित परिवहन के लिए अवसंरचना को प्रोत्साहित करने के लिए हाल ही में स्वीकृत राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्वयन करना। 
  • राज्यों में मॉडल ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट की स्थापना और असंगठित क्षेत्र के भारी मोटर वाहन चालकों को प्रारम्भिक प्रशिक्षण देना।
  • यातायात पुलिस: 
  • मोटर वाहन अधिनियम आदि जैसे यातायात संबंधी नियमों एवं विनियमों को कठोरता से लागू करना।
  • ० यातायात कर्मियों के लिए कार्य के निश्चित घंटे एवं कार्य की शिफ्ट को निर्धारित करना।
  • नागरिक समाज
  • इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया के माध्यम से सड़क सुरक्षा का समर्थन/प्रचार अभियान।

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