राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (National Commission for Minorities:NCM) का संक्षिप्त परिचय

प्रश्न: संक्षेप में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) के अधिदेश पर प्रकाश डालिए। आयोग द्वारा सामना की जा रही विभिन्न चुनौतियों की पहचान कीजिए और उनके समाधान करने के उपाय सुझाइए।

दृष्टिकोण

  • राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (National Commission for Minorities:NCM) का संक्षिप्त परिचय दीजिए और इसके अधिदेश को रेखांकित कीजिए। आयोग के समक्ष व्याप्त विभिन्न चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
  • इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए आवश्यक उपायों के सम्बन्ध में सुझाव दीजिए।

उत्तर

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक अधिनियम, 1992 के अंतर्गत एक संवैधानिक निकाय के रूप में की गई थी। यह अधिनियम आयोग हेतु निम्नलिखित अधिदेश प्रदान करता है:

  • संघ और राज्यों में अल्पसंख्यक वर्गों की उन्नति और विकास का मूल्यांकन करना।
  • संविधान में तथा संसद और राज्यों के विधान मंडलों द्वारा अधिनियमित क़ानूनों में प्रदत्त रक्षोपायों से संबंधित कार्यों की निगरानी करना।
  • केन्द्र सरकार या राज्य सरकारों के द्वारा अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा के लिए संरक्षण से जुड़े रक्षोपायों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अनुशंसा करना।
  • अल्पसंख्यकों को उनके अधिकारों तथा रक्षोपायों से वंचित करने से संबंधित विशिष्ट शिकायतों को देखना तथा ऐसे मामलों को संबंधित अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करना।
  • अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक तथा शैक्षणिक विकास से संबंधित मुद्दों पर अध्ययन, अनुसंधान तथा विश्लेषण की व्यवस्था करना। इसके साथ ही आवधिक रिपोर्ट तैयार करना एवं सरकार को उचित उपायों हेतु सुझाव देना।

हालांकि, एक संस्था के रूप में NCM अपने अधिदेश को पूरा करने के क्रम में कई प्रमुख संरचनात्मक अक्षमताओं और चुनौतियों का सामना कर रहा है; जैसे:

  • क्षमता से संबंधित चुनौतियां: यह विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर मानव संसाधन की कमी और प्रौद्योगिकी के अल्प-उपयोग से ग्रस्त है। अतः इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में मामले लंबित रहते हैं, शिकायतों का निवारण नहीं होता और सुनवाई में अनिश्चितता जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
  • वित्तीय नियोजन और व्यय से संबंधित चुनौतियां: आवंटित निधि सीमित हैं, जिनमें से अधिकांश व्यय वेतन पर किए जाते हैं तथा शोधपरक अध्ययन एवं प्रकाशनों पर अत्यल्प व्यय किया जाता है।
  • विधिक और संवैधानिक प्राधिकरण से संबंधित चुनौतियां: संवैधानिक प्राधिकार के अभाव ने इसे अपने अधिदेश को पूरा करने में अक्षम बना दिया है। इसके अतिरिक्त, अल्पसंख्यकों के लिए विकास कार्यक्रमों को लागू करने, निगरानी करने एवं समीक्षा करने के लिए राज्य अल्पसंख्यक आयोगों को पर्याप्त शक्तियां प्राप्त नहीं हैं।

NCM द्वारा अनुभव की जाने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • मूलभूत लक्ष्यों को निर्धारित करना ताकि मामलों के अत्यधिक लंबित रहने की प्रवृत्ति को नियंत्रित किया जा सके तथा परिणाम आधारित प्रबंधन ताकि परिचालनों में उत्तरदायित्व और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
  • मामलों की अधिकता को देखते हुए इसकी कुशल कार्यप्रणाली सुनिश्चित करने हेतु समय-समय पर मानव संसाधन आकलन करना चाहिए।
  • नागरिकों की शिकायतों के गुणात्मक निवारण के संबंध में उनसे अनामित (anonymously) फीडबैक प्राप्त करने के लिए हितधारक संतुष्टि सर्वेक्षण आयोजित किये जाने चाहिए।
  • “ई-जनसुनवाई” तंत्र को संस्थागत बनाना। यह अपीलकर्ताओं के अधिवासी जिलों से आयोग को जोड़ता है ताकि सुनवाई में भाग लेने के लिए लोगों को लम्बी दूरी की यात्रा न करनी पड़े।
  • वित्तीय हानि, हानि की सीमा, सामाजिक अन्याय की सीमा आदि के आधार पर राष्ट्रीय और राज्य आयोगों के मध्य के मामलों को अलग करके राज्य स्तरीय आयोगों की भूमिका को रेखांकित करना और सुदृढ़ बनाना।

उपर्युक्त उपायों के साथ NCM को संवैधानिक दर्जा देने से यह सुनिश्चित होगा कि आयोग अपना विधिक अधिदेश प्रभावी ढंग से पूरा कर सके।

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