भारत में राजनीति के अपराधीकरण की वर्तमान स्थिति पर चर्चा : राजनीति के अपराधीकरण से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय (SC) के विभिन्न निर्णय

प्रश्न: राजनीति का अपराधीकरण भारतीय राजनीति व्यवस्था के लिए चिंता का एक प्रमुख विषय बना हुआ है। इस संदर्भ में, विगत वर्षों में सर्वोच्च न्यायालय और निर्वाचन आयोग द्वारा निभाई गई भूमिका का विश्लेषण कीजिए। साथ ही, किस प्रकार मीडिया एक सकारात्मक भूमिका निर्वाह कर सकता है ?

दृष्टिकोण 

  • भारत में राजनीति के अपराधीकरण की वर्तमान स्थिति पर संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  • राजनीति के अपराधीकरण से संबंधित सर्वोच्च न्यायालय (SC) के विभिन्न निर्णयों पर चर्चा कीजिए।
  • निर्वाचन आयोग द्वारा राजनीति के अपराधीकरण को रोकने हेतु वर्षों से निभाई जा रही भूमिका पर चर्चा कीजिए।
  • उन तरीकों पर चर्चा कीजिए जिनके द्वारा मीडिया भारत की राजनीति को स्वच्छ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • भारत में राजनीति का गैर-अपराधीकरण करने के लिए अन्य नवाचारी रणनीतियों का सुझाव दीजिए।

उत्तर

देश के राजनीतिक कार्यों में अपराधिक कृत्यों में संलिप्त लोगों की अल्प या अधिक सहभागिता को “राजनीति का अपराधीकरण” कहा जाता है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्स (ADR) के अनुसार, 34% विधायकों पर आपराधिक आरोप लगे हुए हैं जबकि न्यायालय में केवल 0.5% आपराधिक मामलों में दोष सिद्धि हुई है। यह मुख्यतः नेताओं और अपराधियों के मध्य अनैतिक गठजोड़ के कारण कई गुना बढ़ गया है। इस गठजोड़ में ये दोनों ही परस्पर लाभकारी साझेदारी में कार्य करते हैं।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निभाई गई भूमिका

  • लिली थॉमस वाद (2013) में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि सांसद और विधायक दो वर्ष या उससे अधिक समय के लिए कारावास की सजा के लिए दोषी ठहराए जाने पर तत्काल प्रभाव से अपनी सीट खो देंगे।
  • राजनीतिक दलों पर चुनावों में स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवारों को खड़ा करने के लिए नैतिक दबाव डालने हेतु PUCL बनाम भारत संघ वाद, 2014 में ‘उपर्युक्त में से कोई नहीं (None Of The Above:NOTA)’ का विकल्प प्रदान किया गया।
  • भारत संघ बनाम ADR वाद, 2002 में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि सभी उम्मीदवार नामांकन पत्र भरते समय अपनी संपत्ति और देनदारियों, आपराधिक दोषसिद्धि (यदि कोई हों) और लंबित मामलों को प्रकट करेंगे।
  • SC ने 1997 में सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया कि यदि कोई व्यक्ति दोषी सिद्ध हुआ हो और भ्रष्टाचार अधिनियम 1988 के अंतर्गत उसे एक ट्रायल कोर्ट द्वारा कारावास की सजा सुनाई गई हो तो वे अपील किये जाने पर उसकी दोष सिद्धि को निलंबित न करें।
  • पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन बनाम भारत संघ 2014 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विधायकों से संबंधित मुकदमे की सुनवाई को एक वर्ष के भीतर पूरा करने के लिए अधीनस्थ न्यायालयों (ट्रायल कोर्ट्स) को निर्देश दिया गया है।
  • हाल ही में SC ने विधायिकों से संबंधित मामलों से निपटने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की अनुशंसा भी की है।

भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा निभाई गई भूमिका

  • ECI ने 2015 में उन उम्मीदवारों पर रोक लगाने का सुझाव दिया जो गंभीर आपराधिक आरोपों (हत्या, बलात्कार, अपहरण या नैतिक कदाचार जैसे गंभीर अपराधों से संबंधित) का सामना कर रहे हैं।
  • इसने फर्जी मतदान और मतपत्र में हेर-फेर जैसी कुप्रथाओं को रोककर अधिक पारदर्शिता लाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को शामिल कर चुनाव प्रक्रिया का डिजिटलीकरण किया है। इसके साथ ही संवेदनशील मतदान केन्द्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का भी प्रबंध किया गया है।
  • निर्वाचन प्रक्रिया में जबाबदेहिता बढ़ाने के लिए WPAT पहलerials.org 
  • निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा के बाद ECI द्वारा आदर्श आचार संहिता का प्रवर्तन।

मीडिया द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका

  • किसी उम्मीदवार की वास्तविक प्रकृति को सामने लाने के लिए स्टिंग ऑपरेशन करना।
  • मतदाताओं को जागरूक और सूचित रखना जो अंततः लोकतंत्र को सुदृढ़ करेगा।
  • आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त व्यक्ति के लिए विज्ञापन करने से मना करना।
  • राजनीतिक दलों के वित्त पोषण तंत्र अर्थात् काले धन का उपयोग आदि पर नज़र रखना।
  • आयातित गुंडों का पता लगाने में सुरक्षा बलों की सहायता करना।

इनके साथ-साथ, अस्वीकार करने का अधिकार, वापस बुलाने का अधिकार तथा अपराधी सांसदों और विधायकों को आजीवन चुनाव लड़ने से रोकने हेतु जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करने तथा राजनीतिक दलों को RTI के अंतर्गत लाने की आवश्यकता है ताकि हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में आपराधिक तत्वों को कम किया जा सके।

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