आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसल : GM फसलों को अपनाए जाने के पक्ष और विपक्ष में तर्क

प्रश्न: भारत में वृहद् पैमाने पर आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलों को अपनाए जाने के पक्ष और विपक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • आनुवंशिक संशोधन को परिभाषित करते हुए GM फसलों के उदाहरण दीजिए।
  • भारत में वृहद् पैमाने पर GM फसलों को अपनाए जाने के पक्ष और विपक्ष में तर्क प्रस्तुत कीजिए।
  • तदनुसार निष्कर्ष दीजिए।

उत्तरः

आनुवंशिक संशोधन से तात्पर्य किसी जीव के जीन को परिवर्तित करने की प्रक्रिया से है, जिसके अंतर्गत किसी जीव के DNA के मौजूदा खंड को परिवर्तित करना अथवा किसी जीव में अन्य जीव के जीन को प्रवेश कराने की प्रक्रिया सम्मिलित है। भारत आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलों के अंतर्गत शामिल कृषि क्षेत्र ( वर्ष 2017 में 11.4 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र) के संदर्भ में विश्व में पांचवें स्थान पर है।

बीटी कपास भारत में उगाई जाने वाली एकमात्र GM फसल है। बीटी कपास के अतिरिक्त विनियामक विचारण के अंतर्गत शामिल अन्य GM फसलों में ग्लाइफोसेट-टॉलरेंट कॉटन और बायोटेक हाइब्रिड मस्टर्ड शामिल हैं। हालांकि, GM सरसों, बीटी बैंगन आदि अन्य GM फसलों की कृषि प्रारंभ करने संबंधी प्रस्ताव को बीज की प्रभुता (seed sovereignty) और प्राकृतिक संसाधनों के पारिस्थितिक स्वास्थ्य जैसी विभिन्न चिंताओं के कारण कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

GM फसलों के पक्ष में तर्क:

खाद्य सुरक्षा: GM फसलों की उत्पादकता उच्च है और यह बढ़ती जनसंख्या के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इनसे आयात पर निर्भरता में कमी होगी, उदाहरण के लिए, कुकिंग ऑयल का आयात।

उत्पादन की कम लागत: 

  • कीटनाशकों और पीड़कनाशकों के उपयोग में कमी: GM खाद्य फसलें रोगों के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी होती हैं। उदाहरण के लिए, बीटी कॉटन तकनीक की सफलता ने बॉलवर्म के प्रति प्रतिरोध को भी सुनिश्चित किया है, जिसके कारण अन्य कीटों के नियंत्रण हेतु कृषि पद्धतियों और नए कीटनाशकों के उपयोग में सुधार हुआ है।
  • लगभग दो दशक पूर्व GM फसलों के व्यवसायीकरण के पश्चात् से कृषि उत्पादन में लगभग 100 बिलियन डॉलर की वृद्धि और लगभग 500 मिलियन किलोग्राम कीटनाशकों के छिड़काव में कमी अनुमानित है।
  • फसलों की निराई (weeding) जैसी प्रक्रियाओं में कम श्रम की आवश्यकता होती है।

अधिक उपज और अल्प अवधि: GM फसलों के वृद्धि चक्र (growing cycles) की अवधि कम होती है, जिससे उत्पादन में वृद्धि और परिणामतः आय में वृद्धि होती है।

सुरक्षा: स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा किए गए विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, GM खाद्य पदार्थ सुरक्षा मानकों के अनुरूप हैं और इनसे मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिमों की संभावना नहीं है।

उद्योग और निर्यात में वृद्धि: फसलों के उत्पादन में वृद्धि से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग जैसे उद्योगों को अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है। इससे निर्यात में वृद्धि होगी।

GM फसलों के विपक्ष में तर्क:

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा: यह तर्क दिया जाता है कि GM फसलों के कैंसरकारी प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं। WHO के अनुसार, GM फसलों से एलर्जी संबंधी प्रतिक्रिया और जीन स्थानांतरण संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। GM खाद्य पदार्थों से शरीर की जठरांत्रीय मार्ग (gastrointestinal tract) की कोशिकाओं में जीन स्थानांतरण मानव स्वास्थ्य को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है।
  • जैव-विविधता के लिए खतरा: ऐसा माना जाता है कि यदि GM खाद्य पदार्थों को गैर-GM फसलों के साथ मिश्रित किया जाता है, तो इससे पारिस्थितिक संतुलन एवं जैव-विविधता के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसका खाद्य संरक्षण और खाद्य सुरक्षा पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।
  • क्षेत्र परीक्षण (फील्ड ट्रायल) और जांच (टेस्टिंग): GM फसलों के लिए किए जाने वाले फील्ड ट्रायल का पर्याप्त और उचित रूप से पर्यवेक्षण नहीं किया जाता है। अपने एक शोध में एम.एस. स्वामीनाथन द्वारा कहा गया कि GM फसलों के लिए सतर्कता सिद्धांतों (precautionary principle) का उचित अनुपालन नहीं किया गया है। साथ ही, इनके मूल्यांकन में किसी भी विज्ञान-आधारित और कठोर जैव सुरक्षा प्रोटोकॉल का अनुपालन नहीं किया गया है।
  • विनियमन का अभाव और अवैध आयात: विनियमन के अभाव के कारण GM फसलों की अवैध किस्मों का आयात किया जाता है। उदाहरण के लिए, कई पर्यावरणविदों द्वारा यह तर्क दिया जाता है कि Bt कपास, HT (हर्बीसाइड टॉलरेंट) कपास की अवैध कृषि और अन्य GM खाद्य पदार्थों का अवैध आयात अभी भी जारी है।
  • आजीविका संबंधी सुरक्षा: आलोचकों द्वारा तर्क दिया जाता है कि GM फसलें लघु और सीमांत किसानों की आजीविका की सुरक्षा करने में विफल रही हैं।

अतः खाद्य सुरक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने और किसानों की स्थिति में सुधार लाने हेतु GM खाद्य पदार्थों के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाए जाने की आवश्यकता है। यह कार्य पर्यावरण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए GM फसलों और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के विनियमन के लिए प्रभावी उपायों को सुनिश्चित करके किया जा सकता है।

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