भारत में रेलवे : रेलवे द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं पर चर्चा

प्रश्न: रेलवे द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण सार्वजनिक सेवा को देखते हुए,यह तर्क देना कठिन है कि निजीकरण से इसकी समस्याएं सुलझ सकेंगी। इसके बजाय अन्य विकल्पों पर कार्य करने की आवश्यकता है। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भारत में रेलवे के बारे में और इसके द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिकाओं की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  • रेलवे द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं पर चर्चा कीजिए।
  • निजीकरण द्वारा लाये जाने वाले परिवर्तनों की चर्चा कीजिये तथा यह भी बताइये कि सभी समस्याओं का समाधान यह क्यों नहीं कर सकता है?
  • अन्य उपायों हेतु सुझाव दीजिए।

उत्तर

भारतीय रेलवे राज्य के स्वामित्व वाला उद्यम है। यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क, चौथा सबसे बड़ा रेल मालवाहक तथा 8वां सबसे बड़ा नियोक्ता (1.4 मिलियन कार्यबल) है। यह प्रतिदिन 23 मिलियन यात्रियों को ले जाने और 3 मिलियन टन माल ढोने का कार्य करता है और इससे भारत में कुल कोयले के 90% का परिवहन होता है। इसके अतिरिक्त अन्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • सार्वजनिक परिवहन का सबसे सस्ता और सर्वाधिक सुविधाजनक साधन है।
  • विशेष रूप से लंबी दूरी की यात्रा के लिए उपयुक्त, यह राष्ट्रीय एकीकरण हेतु एक सुदृढ़ आधार प्रदान करता है
  • भारी पदार्थो जैसे कोयला,पेट्रोलियम एवं अन्य अयस्कों की लंबी ढुलाई के लिए सर्वश्रेष्ठ है।
  • कृषि और उद्योगों के विकास में सहायक क्योंकि यह आंतरिक क्षेत्रों को बंदरगाह और अन्य प्रमुख कस्बों तथा शहरों से जोड़ता है।
  • इसके अनुषंगी विनिर्माण और सेवा उद्योग लाखों लोगों के लिए रोजगार का सृजन करते हैं।
  • सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग किया जाता है उदाहरण के लिए, विकट परिस्थितियों में सैनिकों का लाने एवं ले जाने हेतु।

इसके बावजूद,भारतीय रेलवे द्वारा विभिन्न समस्याओं का सामना किया जा रहा है तथा निम्नलिखित कारणों के आधार पर इसके निजीकरण की मांग की गई है: 

  • भारतीय रेलवे पर राज्य का एकाधिकार है, इसे प्रतिस्पर्धी बनने हेतु कम प्रोत्साहन प्राप्त है और ख़राब प्रबंधन किया जाता है।
  • लोकप्रिय नीतियाँ जैसे कि टिकट किराया में संशोधन न करना और मार्गों की ओवरक्राउडिंग (नई गाड़ियों की घोषणा) ने सेवाओं की गुणवत्ता के गिरावट में मुख्य भूमिका निभाई है।
  • यह अपने परिचालन खर्चों को पूरा करने में मुश्किल से सक्षम हो पाती है और इस प्रकार क्षमता विस्तार या बुनियादी ढांचे में सुधार हेतु निवेश अल्प मात्रा में होता है।
  • निम्न जवाबदेहिता के कारण यात्रियों की सुरक्षा स्पष्ट रूप से एक उपेक्षित पहलू है।
  • यह लोगो एवं अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं के लिए अनुत्तरदायी है और एक शताब्दी पुराने मॉडल पर कार्यरत है।

इन तथ्यों के आधार पर, यह तर्क दिया जाता है कि निजीकरण रेलवे को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा और अत्यंत आवश्यक निवेश, प्रबंधकीय कौशल और पूंजी लाएगा। हालांकि, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि निजीकरण इन समस्याओं को हल करने में सक्षम होगा। कई मुद्दे हैं जैसे कि:

  •  ऐसे खरीददार/खरीददारों का मिलना कठिन है जो मानवीय, भौतिक और वित्तीय आदि महत्वपूर्ण संसाधनों का प्रबंधन कर सके/सकें।
  • यदि खरीददार उपलब्ध हैं, तो भी मुख्य मुद्दा यह है कि रेलवे केवल एक वाणिज्यिक इकाई नहीं है- यह राज्य के महत्वपूर्ण सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करती है जैसे परिवहन के किफायती साधनों का प्रावधान करना।
  • रेलवे कर्मियों का प्रबंधन- निजीकरण से विभिन्न लोगों की नौकरियों जा सकती है और उनका अनौपचारीकरण हो सकता है, जिससे सामाजिक अशांति उत्पन्न हो सकती है।
  • निजीकरण क्षेत्रीय असमानता में वृद्धि का कारण बन सकता है क्योंकि अपेक्षित रिटर्न की सम्भावना न होने के कारण निजी निवेशकों को मार्गों पर निवेश करने के लिए प्रेरित नहीं किया जा सकेगा।
  • रेलवे यात्री किराये में वृद्धि से कई लोगों के लिए यह अवहनीय हो सकता है।
  • आवश्यक वस्तुओं की लागत में वृद्धि।
  • व्यवसायिक अवरोध जैसे नीतिगत अनिश्चितता, एक समान स्तर का माहौल बनाने वाले नियामक की अनुपस्थिति, किराया वसूलने, निवेशकों के लिए प्रोत्साहन की कमी और प्रक्रियात्मक मुद्दे भारतीय रेलवे के सफल निजीकरण को रोक सकते हैं।

इस प्रकार,अन्य विकल्पों की खोज की आवश्यकता है जैसे कि:

  • बिबेक देबेराय समिति की सिफारिशें: रेल ट्रैक और आधारभूत संरचना पर सार्वजनिक स्वामित्व के रूप में एकाधिकार बनाये रखने के साथ आंशिक निजीकरण, जबकि यात्रियों और माल के लिए रोलिंग स्टॉक परिचालन निजी क्षेत्र के लिए खोला जाना चाहिए; उप-शहरी सेवाएं संयुक्त उद्यम के रूप में चल सकती हैं और उनमें भारतीय रेलवे के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए निजी प्रवेश कोअनुमति दी जा सकती है; यात्री किराए में वृद्धि को बेहतर सेवाओं के साथ संबद्ध किया जा सकता  है।
  • रेलवे के पास उपलब्ध विशाल भूमि और अवसंरचना पूल का तार्किक उपयोग जिसमें निजी क्षेत्र को लीज पर देना भी शामिल है।
  • रेलवे को अस्पतालों और स्कूलों जैसी गौण-क्षेत्रक गतिविधियों से बाहर निकालना।
  • नवाचारी समाधानों जैसे स्टेशनों और ट्रेनों पर विज्ञापनों के माध्यम से राजस्व का सृजन।
  • ईंधन और विद्युत् के बिलों पर लागत कम करना और कैप्टिव सौर या जैव-अपशिष्ट संयंत्रों के विकास के लिए अन्वेषण करना।

2016-17 में, मध्यम आर्थिक विकास के बावजूद भारतीय रेलवे 1.67 लाख करोड़ रुपये का अब तक सर्वाधिक माल ढुलाई राजस्व और यात्री राजस्व में सकारात्मक वृद्धि प्राप्त करने में सफल रहा।  यह परिवहन क्षेत्र में रेलवे की विशाल क्षमता को दर्शाता है, जिसे न केवल निजीकरण द्वारा बल्कि अन्य सुधार उपायों को लागू करके भी प्राप्त किया जा सकता है।

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