भारत जैसे लोकतंत्र में मीडिया के महत्व : भारत में मीडिया से संबंधित समकालीन मुद्दे

प्रश्न: भारत जैसे लोकतंत्र में मीडिया के महत्व को स्पष्ट कीजिए। समकालीन समय में मीडिया को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों की पहचान कीजिए। इस सन्दर्भ में, इन मुद्दों का समाधान करने हेतु उपायों को सूचीबद्ध कीजिए।

दृष्टिकोण

  • उत्तर के प्रारंभ में, विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (WPFI) में भारत की रैंकिंग में गिरावट के संदर्भ में लिखिए।
  • इसके पश्चात भारत जैसे लोकतंत्र में मीडिया के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  • उत्तर के अगले भाग में, भारत में मीडिया से संबंधित समकालीन मुद्दों का उल्लेख कीजिए।
  • अंतिम भाग में, समस्या के समाधान हेतु आवश्यक सुझावों एवं उपायों को सूचीबद्ध कीजिए।

उत्तर

रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स द्वारा संकलित विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (World Press Freedom Index: WPFI) में भारत को विगत वर्ष की तुलना में 2 स्थान की गिरावट के साथ 138वां स्थान प्राप्त हुआ है। इसने भारत जैसे लोकतंत्र में मीडिया के महत्व की स्थिति पर ध्यान आकर्षित किया है।

मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी कहा जाता है, क्योंकि यह निम्नलिखित अपरिहार्य भूमिकाओं का निर्वहन करती है:

  • यह लोगों को आवश्यक सूचना प्रदान करती है, ताकि वे सुविज्ञ निर्णय ले सकें।
  • वाद-विवाद, विचार-विमर्श तथा मत-संग्रह (polls) इत्यादि के माध्यम से मीडिया सरकार को जनता के प्रति उत्तरदायी बनाती है।
  • यह लोगों को लोकतंत्र के बारे में शिक्षित करने के साथ ही जनता के मतों एवं सुझावों के माध्यम से लोकतांत्रिक मांगों का सृजन कर सार्वजनिक नीति हेतु महत्वपूर्ण इनपुट भी प्रदान करती है।
  • यह मानवाधिकारों के उल्लंघन, सत्ता के दुरुपयोग, न्याय वितरण में कमियों, लोकतांत्रिक संस्थानों में भ्रष्टाचार इत्यादि का प्रकटीकरण करती है।
  • मीडिया अखिल भारतीय महत्व के मुद्दों को उठाकर एकता एवं भाईचारे का निर्माण करने में सहायता करती है और साथ ही देश में विद्यमान विविधता को भी रेखांकित करती है।

भारतीय मीडिया अत्यधिक जीवंत रही है एवं जब भी लोकतंत्र को निरंकुश प्रवृत्तियों (जैसे राष्ट्रीय आपातकाल) से खतरा उत्पन्न हुआ है, तब इसने इन प्रवृत्तियों के विरुद्ध ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

वर्तमान समय में मीडिया को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित हैं:

  • भारतीय मीडिया में फेक न्यूज की समस्या विद्यमान है, जिससे लोगों को गलत सूचना प्राप्त होती है तथा बड़े पैमाने पर अफवाहों और भ्रम का प्रसार होता है।
  • कभी-कभी यह गैर-जिम्मेदार रिपोर्टिंग में भी संलिप्त हो जाती है तथा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संवेदनशील सूचनाओं को लीक कर देती है। उदाहरणार्थ मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमले की घटना के मामले में गैर-ज़िम्मेदाराना रिपोर्टिंग करना तथा कभी-कभी भीड़ की भावनाओं को उत्तेजित करते हुए कानून और व्यवस्था से सम्बंधित समस्याएं उत्पन्न करना।
  • मीडिया उच्च TRPs की स्पर्धा में सनसनीखेज समाचार दिखाती है जिससे सार्वजनिक मुद्दों से सम्बंधित समाचारों का महत्व कम हो जाता है।
  • मीडिया में पेड न्यूज की समस्या भी विद्यमान है जो लोगों को भ्रमित करती है।
  • भारत में बढ़ रही मीडिया ट्रायल की घटनाओं ने न्याय को उपहास का विषय बना दिया है।
  • मीडिया का निगमीकरण एवं लाभ-संचालित हितों जैसी समस्याओं द्वारा भारत में मीडिया की विविधता और गुणवत्ता को प्रभावित किया जा रहा है।

इस पृष्ठभूमि में भारत में मीडिया को सशक्त बनाने हेतु निम्नलिखित उपाय करना समय की मांग है।

  • कानून द्वारा पेड न्यूज़ को व्यापक रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए और इस सम्बन्ध में दंडनीय उपाय किए जाने चाहिए।
  • प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में खींचतान (टर्फ वॉर) से बचने के लिए हेतु इनके लिए एकल विनियामक होना चाहिए।
  • भारतीय प्रेस परिषद को विधि द्वारा दंडनीय शक्तियां प्रदान की जानी चाहिए।
  • न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी जैसे स्व-नियामक निकायों को सशक्त बनाया जाना चाहिए।
  • पत्रकारों पर हमलों के मामलों की त्वरित सुनवाई की जानी चाहिए।

मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ हो सकता है परन्तु विनियमन के बिना यह भारत में लोकतंत्र के लिए अपमानजनक भी हो सकता है। इसे संवैधानिक सीमाओं और विनियमों के भीतर उचित स्वतंत्रता प्रदान की जानी चाहिए।

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