दक्षिण एशिया में भारत के मादक पदार्थों की तस्करी के प्रमुख गंतव्य
प्रश्न: दक्षिण एशिया में भारत के मादक पदार्थों की तस्करी के प्रमुख गंतव्य स्थल के साथ-साथ पारगमन केंद्र बनने के कारणों पर चर्चा कीजिए। यह भारत की आंतरिक सुरक्षा को कैसे प्रभावित करता है?
दृष्टिकोण
- उन कारणों का उल्लेख करें जिनके कारण भारत दक्षिण एशिया में मादक पदार्थों की तस्करी के लिए एक प्रमुख गंतव्य और पारगमन केंद्र है।
- चर्चा कीजिए कि यह भारत की सुरक्षा को कैसे प्रभावित करता है।
- निष्कर्ष में संक्षिप्त रूप से आगे की राह सुझाइए।
उत्तर
यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) के इंटरनेशनल नारकोटिक्स कंट्रोल बोर्ड (INCB) की 2018 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारत मादक पदार्थों के अवैध व्यापार के प्रमुख केंद्रों में से एक है। इन मादक पदार्थों में कैनबिस (Cannabis) से लेकर ट्रामाडोल (Tramadol) जैसे नए सिंथेटिक ओपियोइड और मेथमफेटामाइन (Methamphetamine) जैसे डिज़ाइनर ड्रग्स शामिल हैं।
विभिन्न कारकों के संयोजन ने भारत को दक्षिण एशिया में मादक पदार्थों की तस्करी के लिए एक प्रमुख गंतव्य के साथ-साथ पारगमन केंद्र बना दिया है। इन कारकों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- विश्व के सबसे बड़े अफीम उत्पादक क्षेत्रों अर्थात् पश्चिम में ‘गोल्डन क्रिसेंट’ (अफगानिस्तान-पाकिस्तान-ईरान) और पूर्व में ‘गोल्डन ट्रायंगल’ (म्यांमार-थाईलैंड-लाओस) से निकटता।
- भारत का उपयोग ‘सदर्न रूट’ के विकल्प के रूप में भी किया जा रहा है। सदर्न रूट पाकिस्तान अथवा इस्लामी गणतंत्र ईरान के माध्यम से खाड़ी देशों से होकर पूर्वी अफ्रीका और गंतव्य देशों को जाता है।
- भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में बुलियन तस्करों का एक पूर्व-विद्यमान नेटवर्क है, जो मादक पदार्थों की तस्करी में भी सहायता करता है।
- पारंपरिक तस्करी मार्गों, छिद्रिल सीमाओं, अच्छी तरह से विकसित परिवहन नेटवर्क और शिथिल बॉर्डर सतर्कता आदि की विद्यमानता भारत में और उससे बाहर मादक पदार्थों की तस्करी को सुगम बनाते हैं।
- इंटरनेट पर ड्रग्स खरीदने की वैश्विक प्रवृत्ति, विशेषकर ‘डार्कनेट’ ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग करना, जिसे ट्रैक करना कठिन है। यह पहले से ही भारत सहित संपूर्ण दक्षिण एशिया में विस्तृत हो चुका है।
- भारत का मादक पदार्थों (जैसे- दक्षिण अमेरिका से कोकीन) के लिए आपूर्ति मार्ग के रूप में भी उपयोग किया जाता है क्योंकि देश में मादक पदार्थों के लिए उच्च स्तर की रुचि है और साथ ही मादक पदार्थों के उपयोगकर्ताओं की संख्या भी बढ़ रही है।
मादक पदार्थों की तस्करी और भारत की आंतरिक सुरक्षा
वर्षों से मादक पदार्थों की तस्करी का यह तात्पर्य है कि सीमाओं की शुचिता का उल्लंघन हो रहा है और उनकी सुरक्षा के साथ समझौता किया जा रहा है। भारत की आंतरिक सुरक्षा पर इसके प्रभावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- मादक पदार्थों के तस्करों द्वारा देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का अतिक्रमण करने का तात्पर्य है कि देश में हथियारों की तस्करी और साथ ही आतंकवादियों की घुसपैठ के लिए समान मार्गों का उपयोग किया जा सकता है। उदाहरणार्थ, वर्ष 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के दौरान बमों को पारंपरिक तस्करी के ज़रिए पहुँचाया गया था।
- नशीली दवाओं और मादक पदार्थों की अवैध बिक्री से उत्पन्न धन का उपयोग कश्मीर, उत्तर-पूर्व आदि में आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए किया जाता है।
- नारकोटिक्स और मादक पदार्थों की बड़े पैमाने पर उपलब्धता उनकी घरेलू मांग को प्रोत्साहित करती है, जो समाज में कानून और व्यवस्था की समस्या उत्पन्न कर सकती है। यह अन्य समस्याओं के साथ ही नशीले पदार्थों की लत वाले व्यक्तियों की देखभाल और पुनर्वास के लिए संसाधनों के विचलन और उत्पादन की क्षति के माध्यम से देश के लिए एक बड़ी आर्थिक निकासी (economic drain) का कारण बनती है।
- मादक पदार्थों की तस्करी का राजनीतिक प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ता है क्योंकि ड्रग कार्टेल अवैध मादक पदार्थों के व्यापार को नियंत्रित करने के लिए राज्य के संस्थानों को कमज़ोर बनाकर, उनमें प्रवेश करके और उन्हें भ्रष्ट करके उच्च स्तर पर सुरक्षा को प्रभावित करते हैं।
भारत ने मादक पदार्थों की आपूर्ति और मांग में कमी की रणनीति के माध्यम से समस्या से निपटने का प्रयत्न किया है। इस रणनीति में कानून अधिनियमित करना, स्वैच्छिक संगठनों के साथ सहयोग करना, निगरानी बढ़ाने के माध्यम से अपनी सीमाओं और तटों को सुरक्षित करना और साथ ही अपने पड़ोसी देशों एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सक्रिय सहयोग की मांग करना भी शामिल है। नारकोटिक ड्रग्स की अवैध ट्रैफिकिंग से निपटने हेतु किये गए व्यय को पूरा करने के लिए नशीली दवाओं के सेवन के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कोष का सृजन भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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