भारत में कृषि विस्तार : कृषि विस्तार के समक्ष व्याप्त चुनौतियां
प्रश्न: भारत में कृषि विस्तार के समक्ष चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए, चर्चा कीजिए कि इन्हें दूर करने में ICT से कैसे सहायता मिल सकती है।
दृष्टिकोण
- कृषि विस्तार से क्या आशय है, संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
- भारत में कृषि विस्तार के समक्ष व्याप्त चुनौतियों का वर्णन कीजिए।
- चर्चा कीजिए कि ICT कृषि विस्तार के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने में कैसे सहायता कर सकती है। उदाहरण सहित पुष्टि कीजिए।
- उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
किसानों की आय को दोगुना करने के विषय पर गठित दलवई समिति कृषि विस्तार को “कृषि मूल्य शृंखला के साथ-साथ सभी कृषि उप-क्षेत्रों में सूचना, ज्ञान, प्रौद्योगिकी, कौशल, जोखिम और कृषि प्रबंधन प्रथाओं को साझा करने की क्षमता प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाने वाली प्रणाली के रूप में परिभाषित करती है ताकि किसानों को धारणीय आधार पर अपने उद्यम से उच्च निवल आय प्राप्त करने हेतु सक्षम बनाया जा सके।”
भारत में, प्रमुख विस्तार कार्यक्रम कृषि विस्तार और प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय मिशन के ‘सब-मिशन ऑन एग्रीकल्चर एक्सटेंशन‘ के तहत लागू किए जाते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र, राज्य कृषि विश्वविद्यालय, उर्वरक सहकारी समितियाँ जैसे भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड तथा ITC जैसे निजी उद्यम आदि विस्तार सेवाएं प्रदान करने वाले अन्य प्रमुख अभिकर्ता हैं।
कई एजेंसियों की भागीदारी के बावजूद, भारत में कृषि विस्तार की चुनौतियां निम्नलिखित हैं:
- वन साइज फिट्स ऑल दृष्टिकोण: सार्वजनिक क्षेत्र किसानों को वन-साइज-फिट्स-ऑल दृष्टिकोण प्रदान करता है। इस प्रकार, प्रदान की गई जानकारी आपूर्ति-संचालित होती है न कि आवश्यकता-आधारित या क्षेत्र-विशिष्ट।
- किसानों की निष्क्रिय भूमिका: किसानों, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों की एक निष्क्रिय भूमिका होती है और उनके विचारों को प्रायः ध्यान में नहीं रखा जाता है।
- निधियों और पदाधिकारियों से सम्बंधित मुद्दे: सरकारी कर्मचारियों पर प्रायः अन्य राज्य और केंद्रीकृत योजनाओं को लागू करने के अधिदेश का अत्यधिक बोझ डाल दिया जाता है, जिसके कारण पहुँच का स्तर निम्न होता है। इसके अलावा, धन का आवंटन अपर्याप्त है।
- कनेक्टिविटी के मुद्दे: इंटरनेट तक कम पहुंच और मोबाइल कनेक्टिविटी कृषि विस्तार के विकेंद्रीकरण में बाधा उत्पन्न करती
- निजी क्षेत्र के साथ मुद्दे: निजी क्षेत्र का विस्तार केवल ऐसे कुछ क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित करने के कारण सीमित रहता है जहां मुनाफा मिलना तय होता है।
- गुणवत्ता नियंत्रण: विशिष्ट मानकों या गुणवत्ता प्रमाणीकरण के पालन के बिना कृषि विस्तार क्षेत्र में अभिकर्ताओं की एक बड़ी संख्या।
चुनौतियों का समाधान करने में ICT की भूमिका में शामिल हैं:
- किसानों को रियल टाइम में जानकारी प्रदान करना: ICT में जलवायु परिवर्तन, सीमित जल उपलब्धता, आगत उपयोग आदि जैसी जटिलताओं से संबंधित सामयिक, विश्वसनीय और प्रासंगिक जानकारी तक पहुंच प्रदान करके किसानों की बड़ी संख्या तक प्रत्यक्षतः और लागत प्रभावी तरीके से पहुंचने की क्षमता है।
- अंतर को पाटना: ICT किसानों और विस्तार एजेंसियों के बीच दो-तरफा सूचना प्रवाह की सुविधा प्रदान कर सकती है। यह सूचना अंतराल और अवरोधों का समाधान कर बाजार की दक्षता भी बढ़ा सकती है।
- सार्वजनिक रेडियो और टीवी कार्यक्रम: इनका उपयोग बड़े पैमाने पर किसानों तक पहुंचने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, दूरदर्शन पर ‘किसान चैनल‘ कृषि से संबंधित कार्यक्रमों का प्रसारण करता है और विस्तार सेवाओं के बारे में ज्ञान का प्रसार करता है।
- मोबाइल फ़ोन: इनका उपयोग कीमतों और अवस्थिति जैसी बाज़ार जानकारी और परामर्श एकत्र करने एवं प्रचारित करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, किसान कॉल सेंटर 22 स्थानीय भाषाओं में किसानों के मुद्दों पर तुरंत प्रतिक्रिया करता है।
- वेब पोर्टल: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अन्य हितधारकों के साथ सूचना साझा करने और जोड़ने के अवसर प्रदान कर सकता है। उदाहरण के लिए, ‘किसान पोर्टल’, जहां किसान फसल बीमा, भंडारण, बाजार मूल्य आदि की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। एक अन्य उदाहरण ‘ई-चौपाल’ है, जो किसानों से सीधे कृषि और जलीय कृषि उत्पादों की खरीद के लिए इंटरनेट का उपयोग करता है।
हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ICT अपनाने की सफलता किसानों के ज्ञान पर निर्भर है कि वे उपकरणों का उपयोग कैसे करते हैं और इंटरनेट को कैसे निर्देशित करते हैं। इसके अलावा, वेब पोर्टल, ई-लर्निंग और टेक्स्ट-आधारित SMS संदेश अधिकांशतः केवल साक्षर किसानों के लिए उपयोगी होते हैं। इस प्रकार, यह सुनिश्चित करना उचित है कि किसान ICTसक्षम कृषि विस्तार सेवाओं के वितरण से पूर्व भलीभांति प्रशिक्षित और उचित जानकारियों से लैस हों।
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