भारत में गुहा स्थापत्य : गुहा स्थापत्य के तत्व जैसे- पुरावशेष, कलाकृतियाँ, भित्तिचित्र तथा प्रतिमाएँ
प्रश्न: भारत में गुहा स्थापत्य न केवल हमें प्राचीनकालीन परम्पराओं और रीति-रिवाजों की जानकारी प्रदान करता है, अपितु यह सरंचनात्मक अभियांत्रिकी एवं कलाकृतियों के संबंध में महत्वपूर्ण उपलब्धियों का दृश्य उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- उत्तर के प्रथम भाग में उदाहरणों सहित दर्शाइए कि कैसे गुहा स्थापत्य के तत्व जैसे- पुरावशेष, कलाकृतियाँ, भित्तिचित्र तथा प्रतिमाएँ तत्कालीन परम्पराओं और रीति-रिवाजों की जानकारी प्रदान करते हैं।
- उत्तर के द्वितीय भाग में संरचनात्मक अभियांत्रिकी और कलाकृतियों के संबंध में महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर
भारत की गुहा कला शैली और स्थापत्य शैली अभूतपूर्व समृद्धि तथा विविधता से परिपूर्ण है। जहाँ एक ओर भीमबेटका जैसी पुरापाषाण और मध्य पाषाण युग की गुफाओं की विशेषता दैनिक जीवन के विषयों पर आधारित चित्रकारियां हैं; वहीं दूसरी ओर मौर्योत्तरकालीन गुहा स्थापत्य कला रीति-रिवाजों और परम्पराओं के चित्रण के साथ धार्मिक महत्व को भी प्रदर्शित करती है। उदाहरण के लिए:
- भीमबेटका की अनेक गुफाएँ अपनी चित्रित छतों के साथ एक विशिष्ट उंचाई पर स्थित हैं जिसके कारण उन्हें दूर से भी देखा जा सकता है। ये गुफाएँ एक समुदाय की जीवन पद्धति को दर्शाती हैं।
- बौद्ध गुफाएँ प्रमुख व्यापार मार्गों के अत्यंत निकट स्थित हैं। इनका निर्माण धनी व्यापारियों के द्वारा कराया गया था जो संभवतः बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। ये गुफाएँ यात्रा करने वाले व्यापारियों को अस्थाई निवास की सुविधा प्रदान करती थीं।
- अजंता, कार्ले, बाघ इत्यादि गुफाओं में पाई गई भगवान बुद्ध एवं बोधिसत्वों की प्रतिमाएं, भित्तिचित्र, नक्काशियां आदि जातक कथाओं से प्रेरित हैं। कन्हेरी, भज तथा बेडसा के साथ ही इन गुफाओं में भी बौद्ध मठ (विहार) तथा प्रार्थना सभाकक्ष (चैत्य) के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- एलोरा,एलीफेंटा, कार्ले तथा बादामी गुफाओं की चित्रकारी, प्रतिमाएं एवं भित्तिचित्र हिन्दू मिथकों से प्रेरित हैं। इनमें से अधिकांश गुफाएं जैन एवं बौद्ध धर्म से भी प्रभावित हैं।
- इन गुफाओं से विष्णु के अवतारों, गंगा, यमुना, नटराज शिव आदि अनेक हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाएं प्राप्त हुई हैं।
- सित्तनवासल, उदयगिरी तथा खंडगिरी की जैन गुफाओं के भित्तिचित्र विभिन्न वनस्पति एवं खनिज रंगों से चित्रित किए गए हैं। इन गुफाओं से जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएं भी प्राप्त हुई हैं।
- मौर्यकालीन बराबर गुफाएँ आजीवक संप्रदाय को समर्पित हैं। इन गुफाओं से अशोक के अभिलेख प्राप्त हुए हैं। ये गुफाएँ प्राचीन भारत के धार्मिक सामंजस्य तथा सहिष्णुता के प्रतीक हैं।
उपर्युक्त उदाहरणों द्वारा तत्कालीन रीति-रिवाजों एवं परम्पराओं का स्पष्ट चित्रण किया गया है। साथ ही इनके माध्यम से सरंचनात्मक अभियांत्रिकी और कलाकृतियों में महत्वपूर्ण उपलब्धियों के अंतर्निहित दृष्टान्तों को निम्नलिखित रूप में वर्णित किया जा सकता है:
- अतिविशाल चट्टानों में गुफाओं का निर्माण क्रमिक रूप से अधिक विकसित हुआ क्योंकि अन्य निर्माण सामग्रियों की तुलना में यह अधिक स्थायी विकल्प था। रथ के आकार में निर्मित एलोरा का कैलाश मंदिर विश्व की सबसे बड़ी एकाश्म चट्टान निर्मित संरचना है।
- गुफा मंदिरों के समृद्ध अलंकरण और प्रतिमाओं के रूपांकनों की गुणवत्ता प्राचीन भारतीय कला के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक है। गुफाओं के अंदर अधिक ऊंचाई पर कार्य करने के लिए वास्तुकारों ने विपरीत पहाड़ी ढलान पर परावर्तक धातु की सतह स्थापित कर उसका उपयोग करने की तकनीक को अपनाया।
- कुछ गुफाओं में सभा स्थल बिना किसी सहारे (स्तंभों) के हैं जो अल्प परिवर्तनों के साथ 1500 वर्षों से अस्तित्वमान हैं। ये प्रतिमाओं, अलंकृत स्तम्भों तथा नक्काशीदार छतों से युक्त अत्यंत जटिल संरचनात्मक योजना की सफलता को दर्शाते हैं।
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