भारत में GST प्रणाली का उसके उद्देश्यों के संबंध में मूल्यांकन

प्रश्न: अब जबकि भारत में GST को लागू हुए दो वर्ष हो गए हैं, क्या आप मानते हैं कि यह प्रणाली अपने अपेक्षित उद्देश्यों को प्राप्त करने के पथ पर अग्रसर है? प्रासंगिक तथ्यों से अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भारत में GST प्रणाली के संबंध में एक संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • भारत में GST प्रणाली का उसके उद्देश्यों के संबंध में मूल्यांकन करते हुए उससे संबन्धित प्रासंगिक तथ्य प्रस्तुत कीजिए।
  • संक्षिप्त निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

‘एक राष्ट्र, एक बाजार, एक कर’ के रूप में प्रचारित, GST स्वतंत्र भारत में सबसे दूरगामी कर सुधारों में से एक है। यह निम्नलिखित उद्देश्यों को पूर्ण करने की आशा से लाया गया है :

  • एक समान कर दरों और प्रक्रियाओं के साथ भारत को एक साझा बाजार के रूप में निर्मित करना एवं इस प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर एक एकीकृत अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त करना।
  • व्यापार करने की लेन-देन लागत में कमी के कारण प्रतिस्पर्धा में सुधार।
  • अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के अनुपालन में वृद्धि कर अर्थव्यवस्था की औपचारिकता की सीमा में सुधार करना। यह केंद्र और राज्यों के अप्रत्यक्ष करों को एक साथ जोड़कर अनुपालन लागत में कटौती के माध्यम से किया जाना था।
  • संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला/शृंखला में इनपुट टैक्स क्रेडिट के निर्बाध प्रवाह प्रदान कर वस्तुओं और सेवाओं की लागत को कम करके करों की कास्केडिंग को कम करना।
  • सम्पूर्ण भारत में वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही से लॉजिस्टिक्स और परिवहन लागत को कम करना।

भारत में GST प्रणाली अपने उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु सही पथ पर है। GST प्रणाली की उपलब्धियों में से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • करदाताओं की संख्या में वृद्धि: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, GST लागू होने के बाद अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 50% की वृद्धि हुई है। अधिक व्यवसायों और व्यापारियों को पंजीकरण करने हेतु प्रोत्साहित करने से अर्थव्यवस्था को औपचारिक स्वरूप प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
  • कर की कम दरें: 28%, 18%, 12% और 5% की चार स्तरीय दर व्यापक रूप से ‘भुगतान करने की क्षमता’ और ‘जो वस्तु का उपयोग करता है’ के सिद्धांत पर आधारित है। ये सभी दरें किसी विशेष वस्तु की पूर्व-GST दरों की संग्रहण दर से कम  है।
  • माल की निर्बाध आवाजाही: प्रवेश कर के उन्मूलन और राज्यों में GST (SGST) की समान दर लागू करने से ट्रकों का ठहराव, वस्तुओं का परीक्षण और अंतर-राज्य चौकियों पर प्रवेश कर या चुंगी का संग्रह अनावश्यक हो गया है। इसने अनावश्यक देरी और दुर्भावना को कम किया जिससे लागत पर बचत हुई है।
  • माल की कम लागत: GST शासन एक राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण (NAA) का प्रावधान करता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि कर या इनपुट टैक्स क्रेडिट की दर में कमी का लाभ ग्राहक तक पहुँचाया जाए।
  • एक राष्ट्रीय बाजार: GST शासन में, एक विशेष वस्तु के लिए, GST की दर पूरे देश में एक समान है। इसलिए, अब भारत में भविष्य में एक समान आर्थिक बाजार की परिकल्पना की जा सकती है।
  • देश भर में उद्योग का एक समान विकास: GST एक गंतव्य-आधारित उपभोग कर है, जो उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों को IGST से अतिरिक्त राजस्व प्रदान करेगा, इसके अलावा राज्य के अन्दर होने वाले व्यापार पर स्वयं राज्य द्वारा लगाया जाने वाला GST भी राज्यों को राजस्व प्रदान करता है।यह उम्मीद की जाती है कि इस अतिरिक्त राजस्व को औद्योगिक विकास हेतु आवश्यक बुनियादी ढाँचे के विकास में लगाया जाएगा।

जबकि GST की उक्त सफलताएं ध्यान देने योग्य हैं, लेकिन कुछ कठिनाइयाँ भी व्याप्त है, जिनमें सुधार किये जाने की आवश्यकता है। इनमें शामिल हैं:

  • प्रौद्योगिकी सम्बन्धी कठिनाइयाँ: GSTN लागू होने पश्चात् कुछ हफ्तों में ही क्रैश कर गया। इसके अतिरिक्त, GSTN के साथ होने वाले संव्यवहार में लघु व्यवसायों की मदद के लिए लायी गई GST सुविधा प्रोवाइडर्स (GSPs) की सेवाएं प्रारंभ में उपलब्ध नहीं थीं।
  • छोटे व्यवसायों को प्रभावित करने वाले नीतिगत मुद्दे: छोटे व्यवसाय के लिए कर-छूट की ऐशहोल्ड सीमा केवल 20 लाख रुपये वार्षिक टर्नओवर है और साथ ही अंतर-राज्य आपूर्ति के लिए प्रारंभ में कोई छूट नहीं थी। इसने छोटे व्यवसायियों अंतर-राज्यीय व्यापार को रोकने, GST से बाहर रहने और अंततः व्यवसाय में हानि सहने हेतु विवश किया।
  • इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करने के लिए बोझिल और लंबी रिफंड प्रक्रिया: यह विशेष रूप से निर्यातकों के लिए एक बड़ी चुनौती सिद्ध हुई है। उनके इनपुट टैक्स क्रेडिट में देरी होती है, जिससे उनके कारोबार की गति मंद होती है। उदाहरण के लिए, इसी देरी के कारण वस्त्र उद्योग को 1500 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।
  • GST में छूट: पेट्रोलियम उत्पाद और विद्युत GST के दायरे से बाहर हैं। इससे मनमाना मूल्य निर्धारण और इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुपस्थिति की समस्या उत्पन्न होती है। यह सबसे बड़ा कारण है कि GST में दरों को और अधिक तर्कसंगत बनाना कठिन है।
  • प्रतिलोम प्रभार तंत्र (रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म) संबंधी मुद्दा: पंजीकृत बड़े व्यवसायों के लिए अनिवार्य था कि वे अपंजीकृत आपूर्तिकर्ताओं की ओर से सभी अनुपालन आवश्यकताओं को पूरा करें और GST का भुगतान करें।

इसलिए, पंजीकृत व्यवसायों ने छोटे आपूर्तिकर्ताओं के साथ लेन-देन को रोक दिया। इस प्रकार, अपने सभी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए तकनीकी, प्रशासनिक और परिचालन चुनौतियों के संबंध में GST प्रणाली में अभी भी विभिन्न सुधारों की आवश्यकता है।

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