भारत में ई-गवर्नेस : प्रभावशीलता में सुधार लाने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की क्षमता

प्रश्न: भारत में ई-गवर्नेस की प्रभावशीलता में सुधार लाने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की क्षमता की विवेचना कीजिए।

दृष्टिकोण

  • हाल के समय में सरकार द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को दिए जा रहे प्रोत्साहन का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  • तत्पश्चात भारत में ई-गवर्नेस की प्रभावशीलता में सुधार करने के लिए AI की क्षमता पर चर्चा कीजिए।
  • इस संबंध में उठाए गए विभिन्न कदमों का उल्लेख करते हुए उन चुनौतियों पर प्रकाश डालिए जिनका निवारण किए जाने की आवश्यकता है।

उत्तर

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) मशीनों, विशेष रूप से कंप्यूटर प्रणाली द्वारा मानव बुधिमत्ता प्रक्रियाओं का अनुकरण है। इन प्रक्रियाओं में सीखना, तर्क और स्वत: सुधार शामिल हैं। विभिन्न देशों द्वारा अपने समग्र प्रशासन की प्रभावशीलता में सुधार हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता को अपनाया जा रहा है।

हाल ही में नीति आयोग ने केंद्रीय मंत्रालयों और राज्यों को ऐसी प्रमुख परियोजनाओं की पहचान करने के लिए कहा है जहाँ AI को समस्याओं के समाधान हेतु अपनाया जा सकता है।

भारत में ई-गवर्नेस की बढ़ती प्रभावशीलता में AI की संभव्यता :

  •  लाभार्थियों की पहचान: AI योजनाओं हेतु लाभार्थियों की पहचान करने तथा दोहराव का पता लगाने में अत्यंत सहायक सिद्ध हो सकती है। इससे सरकारी राजकोष पर बोझ कम होगा।
  • भविष्योन्मुखी नीति-निर्माण: AI विशेष रूप से उन क्षेत्रों में, जहां निकट भविष्य में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, समयबद्ध हस्तक्षेप और विशिष्ट नीति-निर्माण के माध्यम से सरकार का मार्गदर्शन करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
  • उत्तरदायी शासन: A। स्वचालित, बुद्धिमत्तापूर्ण अभिकर्ताओं के निर्माण को सक्षम बनाती है। उदाहरणस्वरूप, रीयल-टाइम धोखाधड़ी का पता लगाने वाली प्रणालियाँ, जो निरंतर सरकारी व्यय की निगरानी करती हैं तथा वर्चुअल लेजिस्लेटिव असिस्टेंट्स (आभासी विधायी सहायक), जो नागरिकों से लेकर विधि-निर्माताओं तक की प्रतिपुष्टि को शीघ्रता से संश्लेषित करते हैं।
  • लोगों के साथ अंतःक्रिया: नेचुरल लैंग्वेज प्रॉसेसिंग और स्पीच रिकग्निशन में सुधार उपयोगकर्ताओं को किसी कंप्यूटर से इस प्रकार बात करने में सक्षम बनाएगा जैसे वे किसी मनुष्य से बात कर रहे हों। समय के साथ इस प्रकार की बातचीत उत्तरोत्तर अधिक भाषाओं में संभव होती जाएगी। साथ ही, चैट-बॉट या AI-सक्षम बॉट उपयोगकर्ताओं की उनकी दुविधाओं के संदर्भ में तत्काल प्रतिक्रिया और स्पष्टीकरण प्राप्त करने में सहायता कर सकते हैं।
  • स्वचालित अनुस्मारक (रिमाइन्डर): AI का उपयोग नागरिकों को स्वचालित नोटिस भेजने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, राशन-दुकान के मालिकों को इस संदर्भ में सचेत किया जा सकता है कि उन्होंने निर्धारित समय तक राशन के पर्याप्त भाग को वितरित नहीं किया है।
  • परियोजना निगरानी: AI का उपयोग शासन की परियोजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए भी किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र एक ऐसी परियोजना का परीक्षण कर रहा है जो स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण कार्यक्रम की निगरानी करेगी।
  • डिजिटल दस्तावेजों को वर्गीकृत करना: AI का उपयोग सरकारी अधिसूचनाओं, भू-अभिलेखों और न्यायालय के आदेशों सहित सरकारी दस्तावेज़ों को शीघ्रता से और कुशलतापूर्वक वर्गीकृत करने व व्यवस्थित करने के लिए भी किया जा सकता है। इस प्रकार इसमें संलग्न मानव संसाधनों को भी मुक्त किया जा सकता है। यह वर्गीकरण न केवल सरकार को नागरिकों के प्रति अधिक कुशलता से प्रतिक्रिया देने में सहायक है, बल्कि नागरिकों को सरकारी सूचनाओं तक अधिक आसानी से पहुंचने में सक्षम भी बनाता है।

AI की क्षमता को अनुभव करते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने AI से संबंधित अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए चार समितियों का गठन किया है। साथ ही नीति आयोग द्वारा AI के लिए राष्ट्रीय रणनीति जारी की गई है और NIC द्वारा दिल्ली में कमांड एंड कंट्रोल सेंटर स्थापित किया गया है जो निगरानी, समस्या निवारण तथा तकनीकी सहायता के लिए एक एकल खिड़की समाधान प्रदान करेगा।

इसके अतिरिक्त, डेटा संरचना के आधुनिकीकरण और एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस के निर्माण में निवेश किया जाना चाहिए, ताकि मौजूदा सरकारी विभाग भारत में ई-गवर्नेस की प्रभावोत्पादकता में सुधार के लिए AI के उपयोग को अपनाने हेतु भलीभांति तैयार हो सकें।

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