भारत में BS-VI मानक : महत्व और उसमें आने वाली चुनौतियों
प्रश्न: भारत में भारत स्टेज मानकों के विकास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। साथ ही, वर्ष 2020 से भारत में BS-VI मानकों को योजनाबद्ध रूप से लागू किए जाने के महत्व और उसमें आने वाली चुनौतियों की भी चर्चा कीजिए। (150 words)
दृष्टिकोण
- भारत स्टेज मानकों को स्पष्ट कीजिए तथा भारत में इसके विकास का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- भारत में BS-VI मानकों को आरंभ किए जाने के महत्व को रेखांकित कीजिए।
- इस कदम से संबद्ध चुनौतियों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- आगे की राह सुझाते हुए उत्तर समाप्त कीजिए।
उत्तर
भारत स्टेज मानक, भारत सरकार द्वारा स्थापित उत्सर्जन के ऐसे मानदंड हैं जिनका उद्देश्य आतंरिक दहन इंजन उपकरणों वाली मोटर गाड़ियों द्वारा उत्सर्जित नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOX), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोकार्बन (HC), कणिकीय पदार्थ (PM) तथा सल्फर ऑक्साइड (SO2) जैसे वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन का विनियमन करना है। इन मानकों को तथा इनके कार्यान्वयन हेतु समय-सीमा को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा निर्धारित किया जाता है।
- यूरोपीय मानकों पर आधारित भारत स्टेज मानकों को प्रथम बार वर्ष 2000 में प्रस्तुत किया गया था। यात्री कारें तथा व्यावसायिक वाहन तब भारत-2000 मानकों के समतुल्य यूरो-1 का पालन करते थे।
- 2002 में घोषित प्रथम ऑटो ईंधन नीति द्वारा 2010 तक के लिए उत्सर्जन तथा ईंधन संबंधी दिशा-निर्देश निर्धारित किए गए। 2005 से 13 मेट्रो शहरों में चार-पहिया वाहनों द्वारा भारत स्टेज (BS) III मानकों तथा शेष भारत द्वारा भारत स्टेज (BS) II मानकों का अनुपालन आरम्भ हुआ।
- 2010 से 13 मेट्रो शहरों के लिए भारत स्टेज IV मानक तथा शेष देश में भारत स्टेज III को लागू किया गया। देश के शेष हिस्सों में 2017 से भारत स्टेज IV मानकों को विस्तारित कर दिया गया।
2016 में भारत सरकार द्वारा यह घोषणा की गयी कि देश BS-V मानकों का त्याग करेगा तथा वर्ष 2020 से BS-VI मानकों का अनुपालन करेगा।
चित्र (साभार): इंडियन एक्सप्रेस
भारत में योजनाबद्ध ढंग से लागू किए जाने वाले BS-VI मानकों का महत्व:
ये मानक वैश्विक मानदंडों के अनुरूप हैं, तथा ये भारत में वायु प्रदूषण के सबसे बड़े कारक अर्थात वाहनों से होने वाले उत्सर्जन की समस्या का महत्वपूर्ण रूप से समाधान करेंगे।
- BS-IV ईंधनों में सल्फर की उपस्थित मात्रा 50ppm को कम करके 10 ppm पर लाएँगे।
- डीज़ल कारों में PM2.5, PM10 को BS-IV की तुलना में 80% तक कम करेंगे।
- नाइट्रोजन ऑक्साइड को डीज़ल कारों में 70% तथा पेट्रोल कारों में 25% तक कम करेंगे।
- सभी वाहनों में ऑन-बोर्ड डाइग्नोस्टिक्स (OBD) को अनिवार्य बनाया गया है। OBD उपकरण वाहन के स्वामी या मरम्मत करने वाले तकनीशियन को वाहन प्रणाली की प्रभाविता की जानकारी देता है।
BS-VI मानकों के योजनाबद्ध कार्यान्वयन से उत्पन्न चुनौतियाँ:
- ऑटोमोबाइल निर्माता: 0 BS-IV वाहनों के भण्डार को शीघ्र रिक्त करने तथा विक्रय के उद्देश्य से BS-VI गाड़ियों की पर्याप्त संख्या में निर्माण की दोहरी चुनौतियाँ। 0 BS-VI मानकों के अनुपालन के लिए वाहनों के उन्नयन हेतु प्रौद्योगिकी में अपेक्षाकृत अधिक निवेश की आवश्यकता होगी।
- क्रेताः BS-VI का अनुपालन करने वाले वाहन अधिक महंगे होंगे जिससे भारतीय ऑटोमोबाइल बाज़ार की माँग प्रभावित हो सकती है।
- प्रबंधकीय मुद्दाः नए मानकों को प्रवर्तित करने की समय-सीमा को लेकर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मध्य समन्वय का अभाव।
अन्य चुनौतियाँ:
- तेल कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि BS-VI ईंधन पूरे देश में उपलब्ध हो।
- स्वच्छ ईंधन प्रौद्योगिकी को कार्यान्वित करने हेतु तेल-शोधक कारखानों के उन्नयन पर अत्यधिक निवेश की आवश्यकता है।
वाहनों से भारी मात्रा में होने वाले प्रदूषण के कारण पर्यावरण तथा अर्थव्यवस्था को होने वाली क्षति को देखते हुए ये चुनौतियाँ अत्यंत कम हैं। BS-VI मानकों को कर्यान्वित करना पेरिस जलवायु समझौते के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप भी है। इसके अनुसार, भारत ने अपने कार्बन फुटप्रिंट को 33-35% कम करने का उत्तरदायित्व लिया है। BS-VI मानकों का कार्यान्वयन पर्यावरणीय संधारणीयता तथा बाज़ार संबंधी प्रतिस्पर्धात्मकता के मध्य संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
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