भारत में वृद्धजनों की बढ़ती आबादी से संबंधित चर्चा

प्रश्न: कई अक्षमताएँ हैं जिनका एक व्यक्ति उम्र बढ़ने के दौरान अनुभव करता है। सविस्तार वर्णन कीजिए। साथ ही, इन्हें दूर करने के लिए सरकार द्वारा की गई प्रमुख पहलों की भी पहचान कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भारत में वृद्धजनों की बढ़ती आबादी से संबंधित मुद्दों पर संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  • उम्र बढ़ने के दौरान वृद्धजनों द्वारा अनुभव की जाने वाली अक्षमताओं का वर्णन कीजिए।
  • अक्षमताओं को दूर करने हेतु वृद्धजनों के कल्याण के लिए आरम्भ की गई प्रमुख सरकारी पहलों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में वृद्धजनों (60 वर्ष से अधिक) की आबादी बढ़ रही है। कुल जनसंख्या का लगभग 8.6% वृद्धजन हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक बढ़कर इसके लगभग 19% होने का अनुमान है। आयुवृद्धि एक जटिल प्रक्रिया है जो वृद्धजनों के लिए कई समस्याओं को उत्पन्न करती है।

आयु वृद्धि के साथ वृद्धजनों द्वारा अनुभव की जाने वाली अक्षमताओं में सम्मिलित हैं:

  • स्वास्थ्य समस्याएँ: मधुमेह, गठिया, श्रवणह्वास आदि जैसी चिरकालिक बीमारियाँ वृद्धजनों की जीवन-पद्धति को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती हैं। इसके अतिरिक्त भारत में जराचिकित्सा (geriatric) सुविधाओं में कई कमियाँ मौजूद हैं जो उनके उपचार में बाधा उत्पन्न करती हैं।
  • अवसंरचना संबंधी बाधाएँ: वर्तमान अवसंरचना और परिवहन सुविधाएँ वृद्धजनों के अनुकूल नहीं हैं, जिसके कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
  • वित्तीय तनाव: NSSO के 53वें चक्र के अनुसार, वृद्धजनों की लगभग आधी आबादी अपनी आर्थिक आवश्यकताओं के लिए पूर्णतया दूसरे पर निर्भर है, जबकि 20% आबादी ऐसी ही आवश्यकताओं के लिए आंशिक रूप से दूसरे पर निर्भर है।
  • सामाजिक सुरक्षा सुविधाओं का अभाव: वृद्धाश्रम, दैनिक देखभाल केंद्र, परामर्श केंद्र आदि जैसी जराचिकित्सा देखभाल सुविधाओं की कमी से वृद्धजनों के साथ-साथ उनकी देखभाल करने वालों पर भी बोझ में वृद्धि होती है।
  • सामाजिक और मनोवैज्ञानिक समस्याओं में वृद्धि: एकल परिवारों में वृद्धि होने और परिवार के सदस्यों के प्रवास से, वृद्धजनों में भावनात्मक और शारीरिक समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। वे अवसाद, अनुपयोगिता, कलंक आदि जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं का भी सामना कर रहे हैं।

वृद्धजनों की समस्याओं को संबोधित करने हेतु आरम्भ प्रमुख सरकारी पहलों में सम्मिलित हैं:

  • एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम: इसका उद्देश्य आश्रय, भोजन, चिकित्सा सेवा आदि जैसी मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर वृद्धजनों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना है।
  • राष्ट्रीय वयोश्री कार्यक्रम: यह योजना BPL श्रेणी से संबंधित वरिष्ठ नागरिकों के लिए शारीरिक सहायक उपकरण और जीवन-सहायक उपकरण उपलब्ध कराती है। यह योजना पूर्णतया केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है।
  • राष्ट्रीय वृद्धजन परिषद: यह केंद्र और राज्य सरकारों को वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण और उनके जीवन स्तर में वृद्धि से संबंधित सभी मामलों पर परामर्श प्रदान करती है।
  • प्रधानमंत्री वय वंदना योजना: यह बुजुर्गों के लिए अनिश्चित बाजार स्थितियों के कारण भविष्य में उनकी ब्याज आय में गिरावट के विरूद्ध उनकी रक्षा करने हेतु पेंशन योजना है।
  • माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण व कल्याण अधिनियम: यह अधिनियम बच्चों/संबंधियों द्वारा माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण को अनिवार्य और न्यायाधिकरणों के माध्यम से प्रवर्तनीय बनाता है। बुजुर्ग आबादी के समक्ष व्याप्त कई अक्षमताओं के कारण भारत में बुजुर्गों की देखभाल तेजी से निजी और सार्वजनिक चिंता के एक महत्वपूर्ण तत्व के रूप में उभर रही है। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 41 के तहत वृद्धावस्था के संबंध में सार्वजनिक सहायता का प्रभावी प्रावधान करना राज्य का कर्तव्य है। इस प्रकार, उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए पर्याप्त उपाय किये जाने चाहिए।

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