भारत में वृद्ध आबादी की वर्तमान स्थिति : भारत द्वारा सामना की जा रही सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां

प्रश्न: वृद्ध आबादी के बढ़ते अनुपात के कारण भारत द्वारा सामना की जा रही सामाजिक-आर्थिक चुनौतियाँ क्या हैं? इस संबंध में, सरकार द्वारा उनकी विशिष्ट समस्याओं का समाधान करने के लिए उठाए गए कुछ क़दमों का उल्लेख कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भारत में वृद्ध आबादी की वर्तमान स्थिति को वर्णित करते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।
  • वृद्ध आबादी के बढ़ते अनुपात के कारण भारत द्वारा सामना की जा रही सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों पर संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  • सरकार द्वारा इन समस्याओं का समाधान करने के लिए उठाए गए प्रमुख क़दमों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 104 मिलियन वृद्ध जनसंख्या (60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के) निवास करती है। यह अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक भारत की लगभग 20% आबादी वृद्ध होगी, जो वर्तमान 8.6% से नाटकीय वृद्धि को दर्शाता है। इसके अतिरिक्त, औसत भारतीय की जीवन प्रत्याशा 60 वर्ष की आयु पूरी करने के पश्चात् कम से कम 18 वर्ष अधिक होने की सम्भावना व्यक्त की गयी है, जो निर्भरता अनुपात (डिपेंडेंसी रेशियो) में वृद्धि को दर्शाता है।

वृद्ध आबादी किसी देश के लिए विभिन्न सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां प्रस्तुत करती हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  • स्वास्थ्य देखभाल संबंधी चुनौतियाँ: बढ़ती वृद्ध आबादी के साथ रोग पैटर्न में संक्रमणीय रोगों से गैर-संक्रमणीय रोगों की ओर परिवर्तन होने की संभावना होती है, जो मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के पुनर्मूल्यांकन की मांग करता है।
  • सामाजिक असमानता: शहरी और ग्रामीण विभाजन के साथ वृद्ध एक विषम वर्ग का निर्माण करते हैं। इसके अतिरिक्त, विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक आयामों के अनुसार उनकी जरूरतें भी अलग-अलग हैं।
  • सरकारी व्यय में वृद्धि: स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाओं, सुविधाओं और संसाधनों पर व्यय में वृद्धि के कारण वृद्ध व्यक्तियों की बढ़ती संख्या देश में स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक देखभाल प्रणालियों पर दबाव डालती है।
  • अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: वृद्ध आबादी में वृद्धि के साथ सरकार का सामाजिक सुरक्षा संबंधी व्यय भी बढ़ता है, जैसे- पेंशन के रूप में बढ़ता व्यय। इसके अतिरिक्त, कार्यशील आयु के लोगों की कम संख्या, संकुचित कर आधार के साथ साथ कर संग्रहण में कमी को भी प्रदर्शित करती है।
  • एकल परिवारों की बढ़ती प्रवृत्ति: इस बढ़ती प्रवृत्ति के साथ, परिवारों में वृद्ध व्यक्तियों की उनकी कम गतिशीलता तथा कमजोरी व असमर्थता के कारण देखभाल करना भी कठिन हो जाता है।

उपर्युक्त समस्या से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय: 
  • केंद्रीय क्षेत्रक की ‘वयोवृद्ध लोगों के लिए एकीकृत कार्यक्रम’ (Integrated Programme for Older Persons:IPOP) योजना, जिसका उद्देश्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करके तथा उत्पादक और सक्रिय आयु में वृद्धि को प्रोत्साहित करके वरिष्ठ नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।
  • “राष्ट्रीय वयोश्री योजना” का मुख्य उद्देश्य BPL श्रेणी के वरिष्ठ नागरिकों के लिए भौतिक सहायता और जीवन-यापन के लिए आवश्यक सहायक उपकरण प्रदान करना है।
  •  ग्रामीण विकास मंत्रालय: राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) के तहत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (IGNOAPS) के अंतर्गत वृद्धावस्था पेंशन प्रदान की जाती है।
  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय: राष्ट्रीय बुजुर्ग स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम (National Programme for Health Care of the Elderly: NPHCE) प्रारंभ किया गया है, जिसका उद्देश्य वृद्ध लोगों को आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान करना है।
  • वित्त मंत्रालय का राजस्व विभाग: आयकर अधिनियम, 1961 के तहत कर छूट जैसे प्रोत्साहन प्रदान किए गए हैं। – प्रधान मंत्री वय वंदन योजना (PMVWY): वृद्धावस्था के दौरान सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने और बाजार की अनिश्चित स्थितियों के कारण उनकी ब्याज संबंधी आय में भविष्य में होने वाले गिरावट के विरुद्ध सुरक्षा के लिए यह योजना प्रारंभ की गयी है।
  • रेल मंत्रालय: रेलवे द्वारा वृद्धजनों के लिए समय-समय पर अनेक सुविधाओं की घोषणा की जाती है, साथ ही उनका विस्तार भी किया जाता है। इसमें सम्मिलित हैं- किराए में रियायत, निचले बर्थ पर सीट आरक्षण, अलग काउंटर की व्यवस्था इत्यादि।
  • गृह मंत्रालय: इसने सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को वृद्ध व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके विरुद्ध किसी भी उपेक्षा, दुर्व्यवहार और हिंसा के सभी स्वरूपों को समाप्त करने के लिए तत्काल उपाय करने के निर्देश जारी किए हैं।

भारत में वृद्ध लोगों की बढ़ती संख्या के साथ, भारत के पास अवसर है कि वह इन वृद्ध लोगों के अनुभवों और ज्ञान रूपी संपत्ति का उपयोग करने के लिए प्रभावी और लक्षित नीतियों को सूचीबद्ध करे। साथ ही इसके माध्यम से इस संभावित ‘वृद्ध भार’ (elderly burden) को ‘दीर्घायु लाभांश’ (longevity dividend) में परिवर्तित करने का प्रयास करे।

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