भारत में अंधविश्वासी मान्यताएं और प्रथाएं : अंधविश्वास को दूर करने हेतु वैज्ञानिक मनोवृत्ति
प्रश्न: समझाइए कि भारत में अंधविश्वासी मान्यताएं और प्रथाएं बहुतायत में क्यों हैं। इस संदर्भ में, अंधविश्वास को दूर करने हेतु वैज्ञानिक मनोवृत्ति अंतर्निविष्ट करने के महत्व की विवेचना कीजिए।
दृष्टिकोण
- अंधविश्वास क्या है, इसका संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- भारत में अंधविश्वास के प्रचलित होने के विभिन्न कारणों का उल्लेख कीजिए।
- वैज्ञानिक मनोवृत्ति को अंतर्निविष्ट करने के महत्व को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर
अंधविश्वास किसी ऐसी मान्यता अथवा प्रथा को संदर्भित करता है, जिसकी व्याख्या अलौकिक घटनाओं के आधार पर की जाती है तथा यह मानवीय कारण या वैज्ञानिक ज्ञान पर आधारित नहीं होता है। भारत सदियों से निरंतर चली आ रही परंपराओं, मान्यताओं और विभिन्न रूढ़ियों का देश रहा है, जिनमें से अनेक दीर्घकाल तक निर्विवाद बनी रही हैं।
भारत में अंधविश्वास के प्रचलित होने के विभिन्न कारण निम्नलिखित हैं:
- अधिकांश अंधविश्वास अशिक्षा और अज्ञानता से उत्पन्न हुए हैं। तार्किक मान्यताओं के अभाववश अभी भी एक सीमा तक अन्धविश्वास अशिक्षा और अज्ञानता के कारण ही व्याप्त हैं।
- कठोर धार्मिक और पारिवारिक संरचनाओं द्वारा वैज्ञानिक तार्किकता के स्थान पर अंधविश्वास और मान्यताओं को महत्व प्रदान किया गया जिसके कारण प्रचलित मान्यताओं के प्रति निर्विवादित श्रद्धा और आज्ञाकारिता युक्त मनोवृत्ति को प्रोत्साहन मिला।
- अंधविश्वास से संबंधित मान्यताओं को पुष्टि पूर्वग्रह (Confirmation bias: उन तथ्यों को महत्व देना जो हमारी पूर्व धारणाओं से सुसंगत हों तथा अन्य की उपेक्षा कर देना) और सुदृढ़ बना देता है।
- पौराणिक कथाओं एवं चमत्कारों पर आधारित विस्तृत साहित्य भी भारत में अंध भक्ति को बढ़ावा देता है।
- संस्कृति के संरक्षण के नाम पर प्रगतिशील सोच के प्रति सांस्कृतिक आक्रामकता और स्वयं से भिन्न विचारों के प्रति असहिष्णुता।
- स्थापित व्यवस्था द्वारा ऐसी प्रथाओं को निरंतर बनाए रखना (विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में) जो अतार्किक एवं अवैज्ञानिक हैं।
परिणामतः, विद्यमान अंधविश्वासों को दूर करने तथा भारतीय मानस में तार्किक एवं आलोचनात्मक सोच को अंतर्निविष्ट करने और वैज्ञानिक मनोवृत्ति का विकास अत्यंत आवश्यक है। अंधविश्वास की बुराई से लड़ने में इसके महत्व को देखते हुए, इसे भारतीय संविधान में अनुच्छेद 51A के तहत एक मूल कर्तव्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
वैज्ञानिक मनोवृत्ति महत्वपूर्ण है क्योंकि:
- यह समीक्षा की भावना, तर्क की संस्कृति तथा आलोचनात्मक एवं तार्किक सोच को विकसित करती है, जो लोगों के मध्य व्याप्त अनुरूपता अभिवृत्ति (confirmatory attitude) के लिए चुनौती प्रस्तुत करती है। यह हमें बेहतर निर्णय लेने में सहायता करती है और समस्याओं के प्रति तर्कसंगत दृष्टिकोण प्रदान करती है।
- यह सामाजिक रूप से संरचित पदानुक्रमों और इस प्रकार उन पदानुक्रमों द्वारा समाज में उत्पन्न विश्वास प्रणाली पर प्रश्न उठाती है। यह जन्म पर आधारित विभिन्न सामाजिक बुराइयों को दूर करने में सहायता करती है।
- वैज्ञानिक मनोवृत्ति, चमत्कारों एवं अज्ञात की तुलना में वैज्ञानिक तर्क के माध्यम से अत्यधिक भय उत्पन्न करने वाली परिघटनाओं की व्याख्या करते हुए लोगों के मन की आशंकाओं को दूर करती है।
- वैज्ञानिक मनोवृत्ति देश और व्यक्तियों, दोनों को प्रगति की राह पर अग्रसर करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके विकसित हो जाने पर लोग स्वयं को नियति के सुपुर्द करने के बजाय जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं।
इस प्रकार वैज्ञानिक मनोवृत्ति न केवल राष्ट्र को अंधविश्वास की बुराई से मुक्त करने बल्कि भारत को सतत प्रगति की राह पर अग्रसित करने हेतु भी आवश्यक है।
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