नेल्सन मंडेला : व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक जीवन में साहस के महत्व
प्रश्न: नीचे दो कथन दिए गए हैं। स्पष्ट कीजिए कि आप उनसे क्या समझते हैं और वर्तमान संदर्भ में उनकी प्रासंगिकता की विवेचना कीजिए।
प्रश्न: “मैंने जाना कि साहस भय की अनुपस्थिति नहीं, बल्कि उस पर विजय है। साहसी व्यक्ति वह नहीं है जिसे भय की अनुभूति नहीं होती, अपितु साहसी वह है जो भय पर विजय पाता है”- नेल्सन मंडेला।
दृष्टिकोण
- दिए गए कथन की विस्तारपूर्वक व्याख्या कीजिए।
- व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक जीवन में साहस के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर
साहस केवल भय का अभाव नहीं है। यह भय की स्थिति में उचित निर्णय लेने या कार्रवाई करने का सदगुण है। यह उचित ही कहा गया है कि साहस ‘भयभीत होने की स्थिति में आगे बढ़कर अनिवार्य कार्यवाही करना है।
भय एक ऐसी स्थिति है जिसका हम सभी ने अपने जीवन में किसी न किसी समय पर सामना किया है- जैसे किसी के बारे में अपने निष्पक्ष विचार व्यक्त करने का भय, अपने सपनों के लिए प्रयास करने का भय आदि। भय का अनुभव नहीं करने वाला व्यक्ति अज्ञानी और भय को स्वयं पर हावी होने देने वाला व्यक्ति एक कायर होता है।
हाल ही में ‘मी टू’ आंदोलन में, सामान्य नागरिकों (पीड़ितों) ने उच्च और शक्तिशाली व्यक्तियों के विरुद्ध आवाज उठाई। प्रभावशाली पदों पर आसीन व्यक्तियों को चुनौती देने और न्याय के लिए प्रयास करने हेतु अत्यधिक साहस की आवश्यकता होती है।
नेल्सन मंडेला का जीवन ऐसे साहसी कृत्यों का प्रमाण है। उन्होंने रंगभेद को समाप्त करने के न्यायोचित कारण का समर्थन किया। भेदभाव का सामना करने और अपने जीवन के समक्ष ख़तरा उत्पन्न होने के बावजूद भी वह अपने उद्देश्य पर अडिग रहे।
वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता विशेषतः सार्वजनिक सेवा और सार्वजनिक जीवन में
- प्रतिकूलता में वृद्धि: साहस एक न्यायोचित पक्ष का समर्थन करना है, यहां तक कि विपरीत परिस्थितियों में भी। यह सुशासन और दक्ष सार्वजनिक प्रशासन के लिए एक अनिवार्य शर्त है। किसी सिविल सेवक को सार्वजनिक अधिकारियों, विधायिका के निर्वाचित सदस्यों, लोगों के अन्य प्रतिनिधियों आदि की अनुचित मांगों को स्वीकार नहीं करना चाहिए। उन्हें कार्यपालिका को स्पष्ट, स्वतंत्र और निष्पक्ष सलाह देते हुए भी साहस का प्रयोग करने की आवश्यकता है।
- सामाजिक कल्याण या राज्य द्वारा समर्थित लक्ष्य के लिए आत्म-विश्वास एवं प्रतिबद्धता: केवल साहसी व्यक्ति ही वास्तव में शोषितों और वंचितों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध रह सकता है। किसी व्यक्ति के लिए ऐसी स्थिति तब होती है जब वह अपने जीवन के कारण और उद्देश्य में शाश्वत विश्वास रखता है। यह एक नौकरशाह में करुणा और सहानुभूति की भावनाएं उत्पन्न करता है। लेकिन साहस के सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक यह है कि व्यक्ति निरंतर ऐसा कार्य करता रहे जिस पर वह विश्वास करता है। न्यायसंगत कारणों के लिए दृढ़ बने रहना व्यक्तिगत रूप से स्वयं, समाज और राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण है।
जेल में मंडेला का 27 वर्ष का लंबा संघर्ष और प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल आत्म-विश्वास के महत्व और दृढ़ विश्वास के साहस का प्रतीक है। यह आज के सिविल सेवकों के लिए एक सीख है, जिसे वे समाज के दुर्बल और उत्पीडित वर्गों के लिए अपने दायित्त्वों के निर्वहन के समय अपना सकते हैं।
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- जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक कानून द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता का आपके लिए कोई मायने नहीं है – डॉ. बी. आर. अम्बेडकर