भारतमाला परियोजना का संक्षिप्त परिचय
प्रश्न: निजी अवसंरचना व्यय में वृद्धि एवं अवरुद्ध परियोजनाओं का पुनरुद्धार भारतमाला परियोजना की सफलता हेतु महत्वपूर्ण है। चर्चा कीजिए। साथ ही, राष्ट्रीय राजमार्गों से सम्बद्ध अवरुद्ध परियोजनाओं के पुनरुद्धार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को सूचीबद्ध कीजिए।
दृष्टिकोण
- भारतमाला परियोजना का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश और इसमें होने वाले घाटे का उल्लेख कीजिए।
- निजी निवेश में कमी हेतु उत्तरदायी कारणों का संक्षिप्त में उल्लेख कीजिए।
- राष्ट्रीय राजमार्गों से सम्बद्ध अवरुद्ध परियोजनाओं के पुनरुद्धार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर
भारतमाला परियोजना राजमार्ग क्षेत्र के लिए एक अम्ब्रेला प्रोग्राम है। यह महत्वपूर्ण अवसंरचना अंतराल को कम कर संपूर्ण देश में माल ढुलाई (freight) और लोगों के आवागमन की सुगमता को अधिक सुविधाजनक बनाने पर केंद्रित है। इसमें आर्थिक गलियारे, राष्ट्रीय राजमार्ग आदि परियोजनाओं का विकास भी सम्मिलित है।
केंद्र सरकार ने सड़क निर्माण हेतु आगामी पांच वर्षों में लगभरा 6.92 ट्रिलियन के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें से 1.16 ट्रिलियन व्यय निजी भागीदारी द्वारा किये जाने की उम्मीद है। इस प्रकार यह निजी निवेश लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वर्तमान स्थिति के अनुसार, अवसंरचना क्षेत्र में निजी-सार्वजनिक भागीदारी (PPP) अनुबंधों में व्याप्त विभिन्न समस्याओं के कारण निजी निवेश कम होता है। इन समस्याओं में जोखिमों का निम्नस्तरीय आकलन और उत्तरदायित्वों की अस्पष्ट सीमाएं आदि सम्मिलित हैं।
भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण मंजूरी और बढ़ती मुकदमेबाजी जैसे मुद्दे, बैंकों के साथ-साथ कंपनियों की खराब बैलेंस शीट के कारण क्रेडिट की पहुंच के कम होने जैसी अधिक जटिल समस्याओं में वृद्धि करते हैं। ये मुद्दे परियोजनाओं को अवरुद्ध करने के प्रमुख कारणों के रूप में उभरे हैं। अन्य कारणों में कच्चे माल की आपूर्ति की समस्या, वित्त का अभाव, प्रमोटर की अभिरुचि का अभाव आदि सम्मिलित हैं।
हालांकि अवसंरर्चना निवेश 2007-12 (11वीं पंचवर्षीय योजना) में 23.8 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2013-17 (12वीं पंचवर्षीय योजना) में 37.2 लाख करोड़ हो गया। परन्तु इस वृद्धि के बाद भी 55.7 लाख करोड़ रुपये के मूल लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सका है। अतः, भारतमाला परियोजना के विकास के लिए निजी अवसंरचना व्यय को बढ़ाने और प्रोत्साहित करने के साथ-साथ इससे सम्बद्ध अवरुद्ध परियोजनाओं का पुनरुद्धार अत्यावश्यक है।
राष्ट्रीय राजमार्गों से सम्बद्ध अवरुद्ध परियोजनाओं के पुनरुद्धार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न क़दम निम्नलिखित हैं:
- सड़क परिवहन मंत्रालय और NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) अवरुद्ध परियोजनाओं की निगरानी कर रहे हैं। जो अवरुद्ध परियोजनाएँ भौतिक रूप से पूर्ण हो चुकी हैं, उनके पुनरुद्धार के लिए NHAI द्वारा एकमुश्त वित्त निवेश किया जा रहा है।
- भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण मंजूरी की प्रक्रिया के सरलीकरण, इक्विटी निवेशकों के निर्गमन, प्रीमियम अवधि का पुनर्निर्धारण करने, विवाद समाधान प्रणाली में सुधार करने, विभिन्न स्तरों पर निरंतर समीक्षा करने आदि के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं।
- इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (EPC) के स्थान पर हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल (HAM) का प्रारंभ: HAM के अंतर्गत पूंजीगत व्यय स्थगित (deferred) रहता है। इसके अतिरिक्त, इसके तहत परियोजनाओं हेतु EPC मोड की तुलना में विनिर्माण वर्षों के दौरान कम राशि की आवश्यकता होती है।
- पूर्व से संचालित परियोजनाओं के सुदृढ़ीकरण हेतु बाजार से नई पूंजी को आकर्षित करने के लिए ट्रांसफर मॉडल में टोल संचालन के माध्यम से परियोजनाओं का मुद्रीकरण, टोल राजस्व का प्रतिभूतिकरण आदि पहले आरम्भ की गई हैं।
- सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों (PSBs) का पुनर्पूजीकरण भी अवरुद्ध परियोजनाओं के पुनरुद्धार में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अवरुद्ध परियोजनाओं के कार्य में तीव्रता लाने हेतु आदर्श PPP अनुबंधों के नियमों एवं शर्तों पर बाद के चरण में पुनर्वार्ता करने के संबंध में भी पुनर्विचार किया जा रहा है।
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