प्रक्रिया की संक्षिप्त चर्चा : भारत में महंगी और समयसाध्य वाद प्रक्रिया

प्रश्न: भारत में महंगी और समयसाध्य वाद प्रक्रिया के आलोक में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के महत्व की उदाहरणों सहित चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • भारत में महंगी और समयसाध्य वाद प्रक्रिया की संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  • वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र को परिभाषित कीजिए और इसके महत्व का वर्णन कीजिए।

उत्तर:

भारत में वाद प्रक्रिया वर्तमान में उच्च लागत और विलंबता जैसी समस्याओं से ग्रसित है, इसके लिए न्यायाधीश-जनसंख्या अनुपात का कम होना (यह अंतराल न्यायालयों के रिक्त पदों पर भर्ती न होने के कारण और अधिक रहा है), अनेक अपरिहार्य कारण और अपील एवं पुनः विचार के कई चरण, न्यायालय की जटिल तकनीकों के कारण वकीलों पर निर्भरता तथा न्यायालयों एवं वकीलों द्वारा उच्च शुल्क वसूल किया जाना आदि प्रक्रियागत विलंबता जैसे कारण उत्तरदायी हैं। वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) प्रक्रिया विवाद समाधान की पारंपरिक प्रक्रिया हेतु एक वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रदान करती है। यह वाद प्रक्रिया में शामिल पक्षों को सुलभ, उपयोगी, अनौपचारिक, स्वैच्छिक, त्वरित और आर्थिक रूप से वहनीय न्याय उपलब्ध कराती है। भारत में ADR तंत्र के अंतर्गत अन्य साधनों के साथ-साथ पंचाट, मध्यस्थता/सुलह, लोक अदालत और उपभोक्ता विवाद निवारण प्रणाली शामिल हैं।

ADR तंत्र का महत्व 

  • यह त्वरित न्याय की सुविधा प्रदान करता है और इस प्रक्रिया के दौरान प्राप्त होने वाले अंतिम निर्णय पर इसमें शामिल पक्षों की परस्पर सहमति होती है। इसके परिणामस्वरूप लिए गए निर्णयों का त्वरित क्रियान्वयन होता है।
  • वैवाहिक और पारिवारिक मामलों के सौहार्दपूर्ण समाधान में मध्यस्थता द्वारा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकती है।
  • अधिकांश ADR प्रक्रियाएं एकीकृत दृष्टिकोण पर आधारित होती हैं। ये वाद प्रक्रिया की सामान्य विधि की तुलना में अधिक सहयोगात्मक और कम प्रतिस्पर्धी होती हैं।
  • यह परामर्श या मध्यस्थता केंद्रों के माध्यम से न्याय को अधिक सुलभ बनाता है।
  • ADR के अंतर्गत कार्यवाही का स्वरूप अनौपचारिक होता है और वकील को नियुक्त करने जैसी न्यायालय की विधिक औपचारिकताओं और जटिलताओं को इसमें शामिल नहीं किया जाता है।
  • सरकारी विभागों और एजेंसियों के मध्य विवादों को वाद प्रक्रिया के बजाय न्यायालय की मध्यस्थता के माध्यम से बेहतर तरीके से निपटाया जा सकता है।
  • इसका उपयोग किसी भी समय किया जा सकता है, तब भी जब कोई मामला न्यायालय के समक्ष लंबित हो।
  • ADR प्रक्रिया न्यायालयी कार्यवाही की महंगी और लंबी प्रक्रिया की तुलना में प्रायः कम तनावपूर्ण होती है; अधिकांश लोगों को ADR प्रक्रिया के माध्यम से अपनी समस्याओं का समाधान करने में अत्यधिक संतुष्टि प्राप्त हुई है।
  • जैसा कि मलिमथ समिति द्वारा कहा गया था, कि ADR न्यायालयी कार्यवाही में विलम्ब और भीड़ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

न्यायिक प्रणाली को सुदृढ़ करने हेतु विकासशील देशों में ADR तंत्र को शामिल किया जा रहा है। भारत में ADR का अंगीकरण एवं इसे लोकप्रिय बनाना, भारत में सभी के लिए न्याय प्राप्त करने के अपेक्षित लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक प्रमुख कदम सिद्ध होगा।

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