राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में बदलते परिदृश्य : भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा संरचना के आधुनिकीकरण के लिए उठाए गए कदम

प्रश्न: वर्तमान और भावी (उभरते) खतरों से निपटने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा संरचना को पर्याप्त सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। इस कथन का सविस्तार वर्णन करते हुए, राष्ट्रीय सुरक्षा संरचना के आधुनिकीकरण हेतु हाल ही में उठाए गए कदमों की विवेचना कीजिए।

दृष्टिकोण

  • राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में बदलते परिदृश्य के बारे में एक संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।
  • वर्तमान खतरों के साथ-साथ भविष्य के उन खतरों को भी दूर करने पर चर्चा कीजिए जो मजबूत राष्ट्रीय सुरक्षा संरचना की आवश्यकता उत्पन्न कर रहे हैं।
  • भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा संरचना के आधुनिकीकरण के लिए उठाए गए कदमों पर चर्चा कीजिए।
  • कुछ सुझावों के साथ संक्षेप में निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

भारत अत्यंत चुनौतीपूर्ण रणनीतिक वातावरण का सामना कर रहा है, जिसमें उसके प्रत्यक्ष विरोधियों के पास सशक्त क्षमताएँ और सेनाएँ हैं जो तेजी से आधुनिक हो रही हैं। भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा संरचना को मौजूदा सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत होने की आवश्यकता है, इन सुरक्षा खतरों में शामिल हैं:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के मध्य बढ़ते तनाव के साथ जटिल वैश्विक संबंध। साथ ही, अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी का भी हमारी सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। रूस के विरुद्ध अमेरिकी प्रतिबंध प्रत्यक्षतः हमारी सैन्य हार्डवेयर खरीद पर प्रभाव डालते हैं।
  • पाकिस्तान सामरिक परमाणु हथियारों के अधिग्रहण द्वारा पूर्ववर्ती विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध से हटकर पूर्ण स्पेक्ट्रम प्रतिरोध की नीति अपना रहा है, जिसने भारत को अपने परमाणु सिद्धांत पर पुनर्विचार करने हेतु बाध्य किया है।
  • साइबरस्पेस को खतरे जैसे युद्ध के नए माध्यम, जैसा कि 2017 में WannaCry रैंसमवेयर अटैक के रूप में देखा गया था। साथ ही, ये हमारे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहे हैं। भ्रामक प्रचार वीडियो और संदेश उभरती सुरक्षा चिंताओं के कुछ अन्य रूप हैं।
  • इसके अलावा, भारत को उत्तर पूर्व में आदिवासी, नृजातीय, धार्मिक और भाषाई समस्याओं के साथ-साथ असहमति से उभरने वाले घरेलू विद्रोहों से भी निपटना है।
  • हिन्द और प्रशांत महासागर में चीन की बढ़ती शक्ति को देखते हुए एक मजबूत सैन्य सिद्धांत और शक्ति की आवश्यकता है।

इस संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा संरचना में व्याप्त विभिन्न कमजोरियों से निपटे जाने की आवश्यकता है। रक्षा योजना के लिए साइलो-दृष्टिकोण (जिसमें विभिन्न विभागों के बीच सूचना का उचित आदान-प्रदान नहीं होता है) के परिणामस्वरूप एक एकीकृत दृष्टिकोण का अभाव है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए टुकड़ों में बंटा (episodic) और प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण वर्तमान समय के अनुकूल नहीं है। भारत को सैन्य हार्डवेयर के स्वदेशीकरण की ओर बढ़ने के साथ-साथ सैन्य और मशीनरी शक्तियों में मौजूदा अंतराल को पाटने की आवश्यकता है।

भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा संरचना को आधुनिक बनाने के लिए हाल ही में कई कदम उठाए गए हैं, जैसे:

  • निर्णय लेने की समग्र प्रक्रिया को तीव्र बनाने हेतु राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) की अध्यक्षता में एक रक्षा योजना समिति की स्थापना।
  • SPG (रणनीतिक नीति समूह) द्वारा लिए गए निर्णयों के सुचारु समन्वय और कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कैबिनेट सचिव के बजाय NSA को प्रमुख के रूप में नियुक्त कर SPG का पुनर्गठन।
  • तीनों सशस्त्र बलों में साइबर, अंतरिक्ष और विशेष अभियानों के लिए एक संयुक्त संरचना बनाने के लिए तीन त्रि-सेवा एजेंसियों का गठन।
  • समन्वय सुनिश्चित करने हेतु तीन नए उप NSAS की नियुक्ति और एक सैन्य सलाहकार के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) का पुनर्गठन ।
  • सभी उप NSAS के लिए स्पष्ट अधिदेश, जिनमें से प्रत्येक को क्रमशः तकनीकी और वैज्ञानिक मामलों, रणनीतिक मामलों और आंतरिक सुरक्षा का प्रभार सौंपा गया है।
  • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति, जो सरकार के लिए एक एकल बिंदु सैन्य सलाहकार के रूप में है। साथ ही यह तीनों सेनाओं की दीर्घकालिक नियोजन खरीद, उनके प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक्स का समन्वय करने हेतु भी उत्तरदायी है।
  • देश में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए NCIIPC का गठन करना। साथ ही, किसी भी साइबर सुरक्षा खतरे पर नज़र रखने के लिए CERT-In को और सचेत बनाना।
  • मेक इन इंडिया कार्यक्रम के माध्यम से स्वदेशीकरण को बढ़ावा देना और रक्षा प्रक्रियाओं को तर्कसंगत बनाना। साथ ही रक्षा में महत्वपूर्ण रणनीतिक भागीदारी भी राष्ट्रीय सुरक्षा संरचना को आधुनिक बनाने एवं अधिक मजबूत बनाने का हिस्सा है।

हालांकि, सुधारों के कुछ अन्य प्रमुख क्षेत्रों को भी संबोधित किए जाने की आवश्यकता है। इनमें से एक आतंक से संबंधित खुफिया जानकारी के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु एक समन्वय केंद्र के निर्माण से संबंधित है। एक अन्य क्षेत्र खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के लिए सरकार की जनशक्ति नीति से संबंधित है। इन एजेंसियों में नियमित नौकरशाहों की तुलना में विशेषज्ञों की अधिक आवश्यकता होती है। अंत में, व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति विकसित करके सुरक्षा-अभिशासन पर एक सर्वसम्मत नीति विकसित करने की अविलंब आवश्यकता है।

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