भारत-फ्रांस संबंधों की पृष्ठभूमि : भारत के फ्रांस के साथ अभिसरण और सहयोग के क्षेत्र

प्रश्न: 1998 में आरंभ भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी, अंततः परिपक्व होती प्रतीत हो रही है। टिप्पणी कीजिए।

दृष्टिकोण

  • संक्षेप में भारत-फ्रांस संबंधों की पृष्ठभूमि बताइए।
  • भारत के फ्रांस के साथ अभिसरण और सहयोग के क्षेत्रों की सूचीबद्ध कीजिए।
  • सहयोग बढ़ाने हेतु अवसरों का उल्लेख करते हुए संक्षिप्त निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

भारत और फ्रांस के मध्य परंपरागत रूप से करीबी और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। दोनों देशों ने 1998 में रणनीतिक साझेदारी में प्रवेश किया जो अनेक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर उनके दृष्टिकोणों के अभिसरण का प्रतीक है। वास्तव में, मई 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद, भारत की सुरक्षा बाध्यताओं के प्रति वृहत्तर समझ प्रदर्शित करने वाला फ्रांस पहली प्रमुख शक्ति था। रक्षा, अंतरिक्ष और असैनिक परमाणु सहयोग रणनीतिक साझेदारी के तीन प्रमुख स्तंभों का निर्माण करते हैं। इनके अतिरिक्त, भारत और फ्रांस जलवायु परिवर्तन, सतत संवृद्धि और विकास, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे नए क्षेत्रों में भी उत्तरोतर सहभागी बन रहे हैं। हितों के बढ़ते अभिसरण को निम्नलिखित क्षेत्रों में देखा जा सकता है:

  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: दोनों देश एक बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था का समर्थन करते हैं। फ्रांस ने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के साथ-साथ बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था अर्थात् NSG और MTCR में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावे का समर्थन जारी रखा है। जून 2016 में MTCR में भारत के प्रवेश में फ्रांस का समर्थन महत्वपूर्ण था।
  • आतंकवाद-निरोध: भारत और फ्रांस ने आतंकवाद की निरंतर निंदा की है। दोनों ने संयुक्त राष्ट्र में कॉम्प्रिहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म (CCIT) की स्वीकृति हेतु संयुक्त रूप से कार्य करने का संकल्प लिया है।
  • संस्थागत वार्ता: भारत और फ्रांस के मध्य राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक, वार्षिक विदेश कार्यालय परामर्श, समुद्री सहयोग पर वार्ता, आतंकवाद के विरोध पर संयुक्त कार्यकारी समूह, ट्रैक 1.5 वार्ता आदि नियमित संस्थागत वार्ताओं की एक श्रृंखला विद्यमान है।
  • रक्षा सहयोग: रणनीतिक वार्ता की स्थापना के साथ रक्षा सहयोग में कई गुना वृद्धि हो गई है। उदाहरण के लिए, शक्ति, वरुण और गरुड़ जैसे नियमित रक्षा अभ्यास; राफेल विमान, P-75 पनडुब्बी इत्यादि जैसी वर्तमान में जारी रक्षा परियोजनाएं।
  • अंतरिक्ष सहयोग: ISRO और CNES के संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रमों और उपग्रहों के प्रक्षेपण में सहयोग का समृद्ध इतिहास रहा है। उदाहरण के लिए – ARGOS और ALTIKA (SARAL) के लिए उपग्रह, मेघा-ट्रोपिक्स सैटेलाइट आदि।
  • असैनिक परमाणु सहयोग: जैतापुर में EPR परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के निर्माण के लिए असैनिक परमाणु समझौते (2008) और अनुवर्ती MoUs पर हस्ताक्षर।
  • सामुद्रिक अभिसरण (मैरीटाइम कन्वर्जेन्स): दोनों राष्ट्रों ने हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की है। इस अभिसरण में शामिल हैं: पारस्परिक लॉजिस्टिक समर्थन से संबंधित MoUs पर हस्ताक्षर, समुद्री जागरूकता के लिए साझा अंतरिक्ष अध्ययन और परिसंपत्तियों का विकास आदि।

भले ही इन क्षेत्रों ने सहभागिता के लिए के सुदृढ़ आधार प्रदान किया है, किंतु साझेदारी अधिकतर सरकार के स्तर पर ही परिलक्षित होती है। बिजनेस टू बिजनेस और पीपल टू पीपल संपर्कों को युवा और छात्र आदान-प्रदान, सांस्कृतिक सहयोग इत्यादि के माध्यम से सुदृढ़ बनाये जाने की आवश्यकता है।

फिर भी, रणनीतिक साझेदारी ने भारत-फ्रांस संबंधों के लिए एक ठोस आधार का सृजन किया है और साथ ही एक बल प्रदान किया है जो इन संबंधों को उल्लेखनीय महत्त्व और व्यापक सुसंगतता प्रदान करता है।

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