भारत छोड़ो आन्दोलन : भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में आन्दोलन के महत्व का विश्लेषण
प्रश्न: संक्षेप में भारत छोड़ो आन्दोलन की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, इसके कारणों की व्याख्या कीजिए और इसके महत्व पर पर प्रकाश डालिए।
दृष्टिकोण
- भारत छोड़ो आन्दोलन के प्रारम्भ पर प्रकाश डालते हुए उत्तर को आरम्भ कीजिए।
- आन्दोलन हेतु उत्तरदायी कारणों पर चर्चा कीजिए।
- आन्दोलन की महत्वपूर्ण विशेषताओं और घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में आन्दोलन के महत्व का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर
भारत में ब्रिटिश शासन की तत्काल समाप्ति हेतु अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो प्रस्ताव को अंगीकृत किया था। महात्मा गाँधी ने जन सामान्य से उनके परम बलिदान की मांग की तथा ग्वालिया टैंक से ‘करो या मरो’ का नारा दिया। भारत छोड़ो आन्दोलन हेतु निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे:
- द्वितीय विश्व युद्ध में भाग लेने हेतु ब्रिटिश सरकार का एकपक्षीय निर्णय: इस निर्णय के फलस्वरूप सर्वाधिक पीड़ित लोगों में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अधिक क्रोध एवं विरोध की भावना उत्पन्न हुई। इसके अतिरिक्त युद्ध के दौरान बंगाल और असम में सामान्य जन की नौकाओं को जला दिया गया, उच्च खाद्यस्फीति की स्थिति यथावत बनी हुई थी तथा हजारों सैनिक घायल एवं शहीद हुए।
- भारत पर जापानी आक्रमण का भय: जापानी औपनिवेशिक अधीनता से भारत की सुरक्षा हेतु भी राष्ट्रवादी एकजुट हुए।
- तात्कालिक कारण: राष्ट्रवादियों की मांगों की पूर्ति करने में क्रिप्स मिशन की विफलता।
आंदोलन की महत्वपूर्ण विशेषताएँ एवं घटनाएँ:
- नेतृत्वविहीन आन्दोलन: 9 अगस्त को प्रात:काल में ही अधिकांश बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था।
- जन हड़ताल तथा प्रदर्शन आयोजित किए गए तथा साम्राज्यवादी शासन के प्रतीकों जैसे पुलिस स्टेशनों, प्रशासनिक भवनों इत्यादि पर हमले किए गए थे। क्रांतिकारियों द्वारा सतारा, तलचर, चंपारण आदि जैसे स्थानों में समानांतर सरकारें स्थापित की गयीं। जय प्रकाश नारायण ने नेपाल में आजाद दस्ता के माध्यम से छापामार युद्ध का संचालन किया।
- महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उदाहरणार्थ उषा मेहता ने गुप्त रेडियो स्टेशन का संचालन किया था तथा अरुणा आसफ अली भूमिगत आन्दोलन की प्रमुख नेता थीं।
- कठोर सरकारी दमन: सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध दमनात्मक कार्यवाहियां की गयीं। आन्दोलन के दमन हेतु मशीनगनों और बमबारी करने वाले विमानों का प्रयोग किया गया। कस्बों एवं गाँवों पर सामूहिक जुर्माने आरोपित किए गए। कठोर दमन के कारण आन्दोलन समाप्त हो गया।
- इसने युवाओं को उत्साहित किया: जेल जाने के लिए अत्यधिक संख्या में युवाओं ने अपने कॉलेज त्याग दिए।
- मुस्लिम लीग का उदय: इन वर्षों के दौरान पंजाब और सिंध में मुस्लिम लीग एक प्रमुख दल के रूप में उभरा, जहाँ पूर्व में उसकी नाम मात्र की उपस्थिति थी।
भारत छोड़ो आन्दोलन यद्यपि अल्पकालिक रहा, परन्तु यह भारत में ब्रिटिश शासन हेतु विध्वंसक सिद्ध हुआ। आन्दोलन के महत्व को निम्नलिखित आधारों पर रेखांकित किया जा सकता है:
- इसने इस बात को प्रदर्शित किया कि भारत में राष्ट्रवादी भावनाएं किस गहराई तक स्थापित थीं। नेतृत्व की अनुपस्थिति में आन्दोलन ने स्वयं का मार्ग निर्धारित किया तथा सामान्य नागरिकों को स्वतंत्रता संघर्ष की अग्रपंक्ति में स्थान दिया।
- इसने संघर्ष की क्षमता तथा अपरिमित आत्मबलिदान का उदाहरण प्रस्तुत किया, जो भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष की एक विशिष्टता थी।
- इसने ब्रिटिश सरकार को दृढ़तापूर्वक यह सन्देश दिया कि अब वे भारतीय जनता की इच्छा के विरुद्ध दीर्घकाल तक शासन नहीं कर सकेंगे।
Read More
- मॉर्ले-मिंटो सुधार : राष्ट्रवादियों एवं आंदोलन पर अधिनियम के प्रभाव का मूल्यांकन
- नमक सत्याग्रह : नमक कर को लक्षित करने में गांधीजी की कार्यनीतिक निपुणता
- भारत में सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन : भारतीय समाज पर इन सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलनों के सकारात्मक प्रभाव
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) : गठन तथा इसके उद्देश्यों का संक्षिप्त वर्णन
- राष्ट्रवादी आन्दोलन: लोकतंत्र और नागरिक स्वतंत्रतायें