भारत में औद्योगिक संकुलों के विकास में कारकों की पहचान

प्रश्न: भारत के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र कौन-से हैं? इस संदर्भ में, मुंबई-पुणे क्षेत्र को देश का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र बनाने वाले कारकों की पहचान कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • भारत में औद्योगिक संकुलों के विकास का संक्षेप में उल्लेख करते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।
  • भारत के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों को सूचीबद्ध कीजिए। (मानचित्र पर दर्शाइए)।
  • मुंबई-पुणे क्षेत्र को प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने वाले कारणों की विवेचना कीजिए।

उत्तर:

भारत विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है, जो देश के विभिन्न भागों में अनेक प्रकार के उद्योगों की स्थापना का समर्थन करते हैं। हालांकि, औद्योगिक विकास के स्तरों में क्षेत्रीय भिन्नताएँ विद्यमान हैं। कुछ विशेष कारणों जैसे बंदरगाहों से निकटता, कच्चे माल, कुशल श्रमिक एवं बाजार की उपलब्धता इत्यादि, से उद्योग विशिष्ट स्थानों पर संकुलों (क्लस्टर) के रूप में संकेंद्रित हुए हैं।

भारत के आठ प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र निम्नलिखित हैं:

  • मुंबई-पुणे क्षेत्र
  • हुगली क्षेत्र
  • बेंगलुरु-तमिलनाडु क्षेत्र
  • गुजरात क्षेत्र छोटानागपुर क्षेत्र
  • विशाखापट्टनम-गुंटूर क्षेत्र
  • गुरुग्राम-दिल्ली-मेरठ क्षेत्र, तथा
  • कोल्लम-तिरुवनंतपुरम क्षेत्र।

मुंबई-पुणे औद्योगिक प्रदेश, मुंबई-थाने से पुणे तथा नासिक और शोलापुर जिलों के संस्पर्शी क्षेत्रों तक विस्तृत है। यह वर्ष 1854 में मुंबई में प्रथम सफल आधुनिक सूती कपड़ा मिल की स्थापना के साथ एक प्रमुख औद्योगिक प्रदेश बन गया। इस औद्योगिक क्षेत्र में विकसित होने वाले प्रमुख उद्योग हैं: ऑटोमोबाइल, रसायनिक उद्योग, प्लास्टिक, सिनेमैटोग्राफी, फार्मास्यूटिकल्स, मशीनों के पुर्जे, इंजीनियरिंग सामान, पेट्रोरसायन, खिलौने, चमड़े का सामान, इलेक्ट्रॉनिक सामान, युद्धक सामान, साबुन और डिटर्जेंट, इत्यादि।

इस क्षेत्र में उद्योगों के विकास को प्रेरित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं:

  • कच्चे माल की उपलब्धता– यह क्षेत्र कपास (काली मृदा) और गन्ने के प्रमुख उत्पादकों में से एक है। 
  • कनेक्टिविटी- यह क्षेत्र रेल, सड़क व हवाई सेवाओं के माध्यम से देश के अन्य भागों से बेहतर तरीके से जुड़ा हुआ है (जैसे स्वर्णिम चतुर्भुज; मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे)। इसके अतिरिक्त, बंदरगाहों से निकटता होने के कारण वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात तथा आयात के अवसर भी प्राप्त होते हैं (मुंबई पोर्ट ट्रस्ट और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट)।
  • ऊर्जा की उपलब्धता– पश्चिमी घाट जल विद्युत (खोपोली, भिवपुरी, भीरा तथा कोयना में स्थित टाटा जल विद्युत पावर स्टेशन) के विकास के लिए अत्यधिक अवसर प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, ट्रॉम्बे तथा तारापुर में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं।
  • पूंजी तक पहुंच- देश का वित्तीय केंद्र होने के कारण मुंबई, उद्योगों के विकास के लिए पूंजी के विभिन्न स्रोत उपलब्ध कराता
  • मानव पूंजी- यह क्षेत्र कुछ प्रमुख शैक्षणिक व अनुसंधान संस्थानों का केंद्र है जैसे IIT मुंबई, टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय एड्स अनुसंधान संस्थान इत्यादि। यह एक विशाल कुशल श्रम आधार प्रदान करता है जिसे विभिन्न उद्योगों में परिनियोजित किया जा सकता है।
  • बाजार की उपलब्धता- वृहद जनसंख्या वाले शहरों की उपस्थिति उद्योगों को उत्पादित वस्तुओं के लिए एक विस्तृत बाजार उपलब्ध कराती है।

इसके अतिरिक्त, चौथी औद्योगिक क्रांति की संभावनाएं विनिर्माण क्षेत्र में संवृद्धि और विकास के लिए वृहद् अवसर प्रदान करती हैं। सरकार का नीतिगत समर्थन और तकनीकी प्रगति इस क्षेत्र के वर्तमान औद्योगिक आधार को अधिक सुदृढ़ता से विकसित करने में सहायता प्रदान कर सकती है।

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