भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास के संदर्भ में संक्षिप्त पृष्ठभूमि : भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का उपयोग

प्रश्न: भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम, शांतिपूर्ण उद्देश्यों हेतु बाह्य अंतरिक्ष का उपयोग करने के दृष्टिकोण के साथ आरंभ किया गया था, हालांकि बदलते समय के साथ इसमें भारत की सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता है। यथोचित उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास के संदर्भ में संक्षिप्त पृष्ठभूमि दीजिए।
  • उदाहरणों का उल्लेख करते हुए चर्चा कीजिए कि आंतरिक और बाह्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में अंतरिक्ष आधारित प्रौद्योगिकियों का प्रभावी ढंग से कैसे उपयोग किया जा सकता है।
  • भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके समग्र सुरक्षा संरचना में सुधार हेतु कुछ भविष्योन्मुख नीतियों का सुझाव दीजिए।

उत्तर

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रणेताओं जैसे डॉ विक्रम साराभाई ने राष्ट्र निर्माण के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग की कल्पना की। इसलिए, अंतरिक्ष कार्यक्रम विकास मुख्यतः संचार और रिमोट सेंसिंग आधारित उपग्रहों पर केंद्रित है, जो दूरसंचार, मौसम पूर्वानुमान, परिवहन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, शहरी नियोजन आदि को सक्षम बनाता है, साथ ही इसका ध्यान सुरक्षा तंत्र में सुधार हेतु अन्तरिक्ष प्रोद्योगिकियों के उपयोग पर भी है।

हालांकि, हमारे अस्थिर पड़ोस में क्षेत्रीय भू-राजनीति की सदैव परिवर्तनशील परिस्थितियों के कारण, अंतरिक्ष प्रोद्योगिकियों का उपयोग विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए किया जा सकता है

आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ

  • मौसम उपग्रह, स्थलाकृतिक विशेषताओं और मौसम की स्थितियों के बारे में समय पर जानकारी प्रदान कर सकते हैं, जो सैन्य और पैरा-मिलिट्री संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
  • रिमोट सेंसिंग उपग्रह, पृथ्वी से संबंधित हाई रिज़ॉल्यूशन छवियों को प्रदान कर सामरिक बलों की पहुंच बढ़ा सकते हैं, जिसका उपयोग विशेष रूप से चरमपंथी क्षेत्रों में जमीनी स्तर की घटनाओं का पता लगाने के उद्देश्य से किया जा सकता  हैं।
  • रडार उपग्रहों में लगे synthetic aperture radar (SAR) सेंसर, अवैध ड्रग्स, स्लीपर सेल की सक्रियता आदि को ट्रैक करने के लिए प्रत्येक समय, भू-भाग एवं मौसम में खुफिया जानकारी प्रदान करने में सक्षम हैं।

बाह्य सुरक्षा चुनौतियां

  • कार्टोसैट उपग्रह, कुछ सेंटीमीटर तक हाई रिज़ॉल्यूशन वाले दृश्य-विशिष्ट छवियाँ और वीडियो प्रदान कर सकते हैं। भारतीय सशस्त्र बलों को पाकिस्तान से लगी सीमा पर हालिया सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने में इस तकनीक ने विशेष रूप से लाभ प्रदान किया।
  • रडार इमेजिंग सैटेलाइट (RISAT) श्रृंखला विशेष रूप से विरोधी पड़ोसी देशों के साथ लगने वाली वृहद और दुष्कर सीमाओं की एक मीटर तक के रिज़ॉल्यूशन वाली रडार इमेजेस (छाया) लेने में सक्षम है, इसी प्रकार देश की सुरक्षा से सम्बन्धित अति संवेदनशील सामुद्रिक सुरक्षा पर भी नियंत्रण रखने में सहायता करती है। 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के पश्चात् इस उद्देश्य के लिए RISAT 2 का विशेष रूप से उपयोग किया गया है।
  • स्पेस टेक्नोलॉजिकल सिस्टम (STS) इंटेलिजेंस, निगरानी और सैनिक सर्वेक्षण (ISR), कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशंस, कंप्यूटर्स, इंटेलिजेंस, सूचना, निगरानी, और जासूसी (C412SR) नेटवर्क प्रदान करता है, इस प्रकार ये सूचना संबंधी लाभ प्रदान करते हैं, निर्णय निर्माण की प्रक्रिया को तीव्र कर सकते हैं और अंतरराष्ट्रीय मंच पर युद्ध संबंधी क्षमता को बढ़ाने में सहायक हैं। हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में एक सुरक्षा प्रदाता बनने और अपना क्षेत्रीय प्रभुत्व बढाने के उद्देश्य के साथ, भारत पूरे क्षेत्र के स्पष्ट-वास्तविक चित्रों को प्राप्त करने के लिए Geo Imaging Satelite बनाने की योजना बना रहा है।
  • IRNSS से युक्त NaVIC कार्यक्रम प्रतिबंधित सेवा (RS) प्रदान करेगा, यह एक प्रकार की एन्क्रिप्टेड (कूट आधारित) सेवा (केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं के लिए) है, जो स्थलीय (टेरेस्ट्रियल), हवाई (एरियल) और नौसंचालन में वृहद सटीकता के साथ सहायता करेगा।

अंतरिक्ष के उपयोग द्वारा सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए आगे अनेक कदम उठाए जा सकते हैं:

  • सुरक्षा चुनौतियों पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ एक समेकित अनुसंधान एवं विकास समेत अंतरिक्ष क्षमताओं के विकास और उसके इष्टतम उपयोग के लिए राष्ट्रीय प्रक्रिया को परिभाषित करने वाली एक व्यापक राष्ट्रीय अंतरिक्ष नीति तैयार करना।
  • सैन्य कार्यक्रमों के निर्माण और निष्पादन हेतु एक साझा इंटरफ़ेस के रूप में कार्य करने के लिए सुरक्षा अंतरिक्ष एजेंसी (DefenceSpace agency) को संस्थागत बनाया जाया जाना चाहिए, जिससे संसाधनों का इष्टतम उपयोग हो सके।
  • सशस्त्र बलों को विभिन्न व्यावसायिक कार्यों के निष्पादन में अंतरिक्ष आधारित क्षमताओं का उपयोग करने में कुशल, अंतरिक्ष पेशेवरों का एक कैडर बनाने का प्रयास करना चाहिए।
  • क्षमता और प्रौद्योगिकी विकास, संचालन की निरंतरता और सामूहिक सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए साझा हितों वाले देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाया जाना चाहिए।
  • प्रस्तावित, अंतरिक्ष क्रियाकलाप विधेयक, 2017 को अपनाने से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी में वृद्धि सुनिश्चित होगी, जो सुरक्षा सुनिश्चित करने में लाभप्रद सिद्ध होगा।

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