बर्लिन की दीवार : सोवियत संघ के पतन के कारक
प्रश्न: बर्लिन की दीवार का ध्वस्त होना, सोवियत संघ के विघटन के लिए उत्तरदायी सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक था। चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- सोवियत संघ के पतन के कारकों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- तत्पश्चात बर्लिन की दीवार के ध्वस्त होने के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- अंत में चर्चा कीजिए कि किस प्रकार बर्लिन की दीवार का ध्वस्त होना, सोवियत संघ के विघटन के लिए उत्तरदायी सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारकों में से एक माना जा सकता है।
उत्तर
1991 में सोवियत संघ (USSR) के विघटन से पूर्व इसमें कुल 15 गणराज्य थे। सोवियत संघ के विघटन ने शीत युद्ध युग के अंत को भी चिन्हित किया। इसके विघटन के प्रमुख कारकों में सम्मिलित थे – पूर्वी यूरोपीय देशों की जनता द्वारा विरोध,मिखाइल गोर्बाचेव द्वारा किये गये आर्थिक और राजनीतिक सुधार जिनकी परिणति 1991 में तख्तापलट के प्रयास और सत्ता के सोवियत केंद्र से गणराज्यों को हस्तांतरण के रूप में हुई।
यद्यपि, 1989 में बर्लिन की दीवार का ध्वस्त होना उन सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक माना जा सकता है जिनके परिणामस्वरूप USSR का विघटन हुआ। 1961 से 1989 तक बर्लिन की दीवार लोकतान्त्रिक पूंजीपति देशों और पूर्वी कम्युनिस्ट शासन के मध्य वैचारिक मतभेद और प्रभुत्व के संघर्ष के प्रतीक के रूप में मौजूद थी।
मिखाइल गोर्बाचेव की ग्लासनोस्ट और पेरेस्ट्रोइका जैसी नीतियों से दूसरे समाजवादी देशों में सोवियत हस्तक्षेप का खतरा कम हो गया। इसके परिणामस्वरूप 80 के दशक के मध्य बर्लिन की दीवार को ध्वस्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई।
कम्युनिस्ट शासन का पतन सवप्रथम पोलैंड में तथा उसके उपरांत हंगरी; एस्टोनिया, लाटविया एवं लिथुआनिया बाल्टिक गणराज्य और अंत में पूर्वी जर्मनी में हुआ।
बर्लिन की दीवार के ध्वस्त होने के कारण दूसरे समाजवादी देशों में व्यापक परिवर्तन हुए तथा साथ ही साथ जर्मनी का एकीकरण भी हुआ। यह घटना पूर्वी यूरोप में सोवियत-समर्थित सर्वसत्तावादी शासन के अंत को दर्शाती है। पूर्व सोवियत संघ और मध्य पूर्वी यूरोप के कई देशों ने लोकतंत्र और बाजार अर्थव्यवस्था की दिशा में परिवर्तन प्रारंभ किया। इसके अतिरिक्त जनता ने विगत राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों को पुनः अपनाने के किसी भी प्रकार के प्रयास का विरोध किया। इनमें से कुछ देश पश्चिमी संस्थानों जैसे नाटो तथा आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के सदस्य बन गए।
इस प्रकार बर्लिन की दीवार का ध्वस्त होना एक महत्वपूर्ण कारक माना जाता है क्योंकि इसे केन्द्रीय सोवियत के नियंत्रण की समाप्ति के प्रतीक के रूप में देखा जा सकता है।
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