‘औद्योगिक जड़त्व’ (industrial inertia) : विऔद्योगीकरण से प्रभावित क्षेत्रों के समक्ष आने वाली समस्यायें

प्रश्न: ‘औद्योगिक जड़त्व’ (industrial inertia) पद से आप क्या समझते हैं? विऔद्योगीकरण की प्रक्रिया से गुजर रहे क्षेत्रों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है? इन्हे संबोधित करने हेतु कुछ उपायों का सुझाव दीजिए।

दृष्टिकोण

  • औद्योगिक जड़ता शब्द की संक्षेप में व्याख्या कीजिए और इसके बने रहने के कारणों का वर्णन कीजिए।
  • विऔद्योगीकरण की व्याख्या कीजिए।
  • विऔद्योगीकरण से प्रभावित क्षेत्रों के समक्ष आने वाली समस्याओं को सूचीबद्ध कीजिए।
  • इन समस्याओं के उन्मूलन हेतु आगे की राह प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

औद्योगिक जड़ता एक ऐसी स्थिति है जिसके अंतर्गत कोई उद्योग अपनी अवस्थिति हेतु ज़िम्मेदार मुख्य आधारभूत कारकों के समाप्त हो जाने के बावजूद अपने उसी मूल स्थान पर बना रहता है, जहाँ उसे स्थापित किया गया था। ये कारक हैं- कच्चे माल की समाप्ति अथवा उर्जा संकट का उभरना, बंगाल का जूट उद्योग और अलीगढ़ का ताला उद्योग इसके उदाहरण हैं।

इस स्थिति के निम्नलिखित कारण हैं:

  •  उसी स्थान पर बने रहने की इच्छा जहाँ उस उद्योग ने कभी अपनी जड़ें जमाई थी।
  • वह क्षेत्र विशेष अनुभवी और कुशल कार्यबल के साथ-साथ विशेष आपूर्तिकर्ताओं के एक निकाय के रूप में विकसित हो चुका होता है।
  • अपनी स्थायी परिसंपत्तियों और श्रमिकों को अन्यत्र स्तानान्तरित करने की लागत उसी स्थान पर बने रहकर बदलती परिस्थितियों के साथ स्वयं का अनुकूलन कर लेने की अपेक्षा कहीं अधिक होती है।

विऔद्योगीकरण से तात्पर्य किसी अर्थव्यवस्था के औद्योगिक क्षेत्र के आकार और महत्व में सापेक्षिक गिरावट से है। यह उद्योग के निरपेक्ष आकार में कमी होना हो सकता है अथवा कार्यबल के कुछ ही भाग को रोजगार उपलब्ध कराने के साथसाथ GDP में विनिर्माण/औद्योगिक क्षेत्र की भागीदारी का कम होना भी हो सकता है।

हालांकि, विऔद्योगीकरण किसी देश के विनिर्माण क्षेत्र या इस संदर्भ में संपूर्ण अर्थव्यवस्था की विफलता का लक्षण नहीं है। इसके विपरीत, विऔद्योगीकरण सफल आर्थिक विकास का ही स्वाभाविक परिणाम है और सामान्यत: बढ़ते जीवन स्तर के साथ जुड़ा होता है। उदाहरण के लिए, अमेरिका, यूरोप, जापान तथा हाल ही में पूर्व की चार बड़ी (Tiger) अर्थव्यवस्थाओं (हांगकांग, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और ताइवान) में इस प्रकार की प्रवृत्ति देखी गई है।

विऔद्योगीकरण के अनेक कारण हो सकते हैं जैसे सेवा क्षेत्र का विकास, तुलनात्मक लाभ हेतु उभरती अर्थव्यवस्थाओं में आउटसोर्सिंग, विनिर्माण क्षेत्र में श्रम उत्पादकता में वृद्धि, लघु अवधि के संकट आदि।

विऔद्योगीकरण के दौर से गुजरने वाले क्षेत्र अनेक समस्याओं का सामना करते हैं:

  • उन क्षेत्रों में GDP में गिरावट और संसाधनों की बर्बादी जिनकी निर्भरता विनिर्माण क्षेत्र पर अधिक है।
  • हिस्टैरिसीस अर्थात् उच्च बेरोजगारी, जो बेरोजगारी दर के बढ़ने की प्रवृति दर्शाती है इसके नीचे मुद्रास्फीति में वृद्धि होने लगती है।
  • नकारात्मक क्षेत्रीय गुणक प्रभावा यह केवल पूर्ववर्ती उद्योगों में ही रोज़गारों की समाप्ति नहीं हैं अपितु उन उद्योगों में भी रोजगारों की समाप्ति है जो उन उद्योगों पर निर्भर थे।
  • यदि विऔद्योगीकरण के कारण अस्तित्व में आए सुभेध वर्गों का ध्यान न रखा गया तो असमानता में वृद्धि हो सकती
  • चालू खाता घाटे में उच्च वृद्धि, क्योंकि निर्यातों में आई गिरावट की क्षतिपूर्ति खुदरा व सेवा क्षेत्र से न की जा सके।

आगे की राह

  • सूचना प्रौद्योगिकी जैसे तकनीकी रूप से प्रगतिशील क्षेत्र का विकास।
  • विनिर्माण क्षेत्र में उत्पाद नवाचार।
  • विऔद्योगीकरण से प्रभावित मौजूदा सेवाओं को समर्थन प्रदान करने हेतु सहकारी संस्थाओं के गठन के साथ-साथ सेवा क्षेत्र की उत्पादकता में वृद्धि की जानी चाहिए।
  • प्रौद्योगिकीय परिवर्तन का सामना करने और करियर के नए अवसरों की खोज करने हेतु कौशल विकास।

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