अपशिष्ट प्रबंधन : विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) की अवधारणा

प्रश्न: अपशिष्ट प्रबंधन के संदर्भ में, विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (Extended Producer Responsibility) से आप क्या समझते हैं? भारत में इसका अनुपालन सुनिश्चित करने में आड़े आने वाली चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • अपशिष्ट प्रबंधन की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए परिचय दीजिए। 
  • विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) की अवधारणा का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  • भारत में इसके अनुपालन को सुनिश्चित करने के समक्ष विद्यमान चुनौतियों को सूचीबद्ध कीजिए।
  • उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तरः

विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (Extended Producer Responsibility: EPR) एक अवधारणा है, जो “पॉल्यूटर पे प्रिंसिपल” पर आधारित है, जिसके अंतर्गत उत्पाद के उपयोग अवधि में उन उत्पादों के पर्यावरणीय प्रभावों का उत्तरदायित्व उत्पाद के निर्माता और आयातक पर होता है। EPR की अवधारणा को ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2011, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 आदि में शामिल किया गया है।

EPR उत्पादकों पर तीन दायित्वों अर्थात आर्थिक (उत्पादों के संग्रह, पुनर्चक्रण एवं अंतिम निपटान पर व्यय का भुगतान), भौतिक (उत्पादों का प्रबंधन एवं उनके दुष्प्रभाव) और सूचनात्मक (विनिर्मित उत्पादों की पर्यावरणीय विशेषताओं पर सूचना का प्रसार) को अपरिहार्य बनाता है।

भारत में EPR अनुपालन से संबंधित चुनौतियां:

  • सभी उत्पादकों की पहचान करना: भारत में एक अवैध बाजार की उपस्थिति और उत्पादकों के सत्यापन हेतु एक विशिष्ट तंत्र के अभाव के कारण उन सभी उत्पादकों की पहचान करना कठिन हो जाता है जो अपने उत्पादों से उत्पन्न होने वाले कचरे के प्रबंधन के लिए उत्तरदायी हैं।
  • उत्पादकों द्वारा उत्तरदायित्वों की आउटसोर्सिंग: प्लास्टिक उत्पादक, आयातक और ब्रांड के स्वामी अपने EPR लक्ष्यों को उत्पादक दायित्व संगठनों (Producer Responsibility Organizations: PROs) को आउटसोर्स करते हैं। हालांकि, PROs सामान्यतः किसी उत्पाद को भौतिक रूप से पुनः संगृहीत नहीं करते हैं और इसके बजाय प्रक्रिया को आर्थिक रूप से समर्थन प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, कई PROs अनौपचारिक क्षेत्र अर्थात् व्यक्तिगत कूड़ा बीनने वालों (rag pickers) और प्रमुख संग्राहकों से अपशिष्ट को खरीद कर अपने लक्ष्यों को पूरा करते हैं।
  • दावों को सत्यापित करने के लिए तंत्र का अभाव: ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2016 के तहत अपशिष्ट संग्रह लक्ष्यों को पूरा करने संबंधी विनिर्माताओं के दावों को सत्यापित करने के लिए कोई भी तंत्र विद्यमान नहीं है।
  • अनौपचारिक क्षेत्र की उपेक्षा: अपशिष्ट प्रबंधन नियम मुख्य रूप से पुनर्चक्रण के औपचारिक क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करता है, परंतु पुनर्चक्रण में अधिकांश भूमिका अनौपचारिक क्षेत्र की होती है। इसके अतिरिक्त, इसमें अनौपचारिक रूप से पुनर्चक्रणकर्ताओं का औपचारीकरण करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान नहीं किया गया है।
  • आर्थिक व्यवहार्यता और भौतिक संभाव्यता: उत्पादकों और उपयोगकर्ताओं के लघु स्तरीय परिचालन पहलुओं के संदर्भ में प्रत्येक उत्पादक के लिए ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण इकाई अथवा संग्रहण केंद्रों को स्थापित करना आर्थिक रूप से व्यवहार्य और भौतिक रूप से संभाव्य नहीं होगा।

औपचारिक पुनर्चक्रण के साथ अनौपचारिक पुनर्चक्रण को एकीकृत करने तथा अपशिष्ट पुनर्चक्रण इकाइयों को स्थापित करने हेतु विनिर्माणकर्ताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करने, अपशिष्ट प्रबंधन में शहरी स्थानीय निकायों को PROS द्वारा सहायता प्रदान करने जैसे कदम उपर्युक्त चुनौतियों से निपटने और EPR अवधारणा को बढ़ावा देने के लिए उठाए जा सकते हैं। इस प्रकार के प्रयास नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, दक्षिण कोरिया आदि देशों में किए गए हैं।

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