1. स्थायी कृषि (पर्माकल्चर), पारंपरिक रासायनिक कृषि से किस तरह भिन्न है?
1. स्थायी कृषि एकधान्य कृषि पद्धति को हतोत्साहित करता है, किंतु पारंपरिक रासायनिक कृषि में एकधान्य कृषि पद्धति की प्रधानता है।
2. पारंपरिक रासायनिक कृषि के कारण मृदा की लवणता में वृद्धि हो सकती है, किंतु इस तरह की परिघटना स्थायी कृषि में दृष्टिगोचर नहीं है।
3. पारंपरिक रासायनिक कृषि अर्थशुष्क क्षेत्रों में आसानी से संभव है, किंतु ऐसे क्षेत्रों में स्थायी कृषि इतनी आसानी से संभव नहीं है।
4. मल्व बनाने (मल्विंग) की प्रथा स्थायी कृषि से काफी महत्वपूर्ण है, किंतु पारंपरिक रासायनिक कृषि में ऐसी प्रथा आवश्यक नहीं है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) 1 और 3
(b) 1, 2 और 4
(c) केवल 4
(d) 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (b) 1, 2 और 4
- प्रकृति के साधनों का बिना दुरुपयोग या प्रदूषित किए अधिकतम उपयोग करने वाली कृषि की विधि को स्थायी कृषि कहा जा सकता है।
- इसमें मृदा जल और प्राकृतिक रूप से निर्मित खाद और उसके संरक्षण के लिए क्राप रोटेशन, मल्विंग विधि के तहत मिट्टी को ढकना आदि अपनाकर कृषि की जाती है, अतः कथन 1, 2, 4 सत्य हैं।
- यह विधि शुष्क, अर्धशुष्क क्षेत्रों में भी प्रभावकारी है, अतः कथन 3 असत्य है।
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2. कृषि में शून्य-जुताई (Zero-tillage) का/के क्या लगनग है/है?
1. पिछली फसल के अवशेषों को जलाए बिना गेहूं की बुआई संभव है।
2. चावल की नई पौध की नर्सरी बनाए बिना, धान के बीजों का नम मृदा में सीधे रोपण संभव है।
3. मृदा में कार्बन पृथक्करण संभव है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A. S. (Pre) 2020]
उत्तर- (d) 1, 2 और 3
- शून्य जुताई अर्थात खेत की जुताई किए बगैर अगली फसल बोने के निम्नलिखित लाभ हैं- फसल लागत में कमी, पिछली फसल के अवशेष को खेत में छोड़ दिया जाता है जिससे वह सड़कर खाद बनता है, इससे उर्वरक उपभोग में भी कमी आती है।
- धान की नर्सरी बनाने के बजाए सीधे बुवाई से समय और श्रम की भी बचत होती है।
- फसलों द्वारा वायुमंडल से अवशोषित कार्बन डाइऑक्साइड मृदा में मिल जाती है, जिससे वायुमंडल से कार्बन पृथक्करण होता रहता है।
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3. कृषि में फर्टीगेशन (Fertigation) के क्या लाभ हैं?
1. सिंचाई जल की क्षारीयता का नियंत्रण संभव है।
2. रॉक फॉस्फेट और सभी अन्य फॉस्फेटिक उर्वरकों का सफलता के साथ अनुप्रयोग संभव है।
3. पौधों के लिए पोषक बढ़ी हुई मात्रा में सुलभ किए जा सकते
4. रासायनिक पोषकों के निक्षालन में कमी संभव है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) केवल 2, 3 और 4
[I.A. S. (Pre) 2020]
उत्तर- (c) केवल 1, 3 और 4
- फर्टीगेशन (जल में उर्वरक को घोलकर सिंचाई) विधि से जल में आवश्यकता अनुसार रसायन मिलाकर उसकी क्षारीयता का नियंत्रण किया जा सकता है।
- घुले उर्वरक से सिंचाई द्वारा पौधों में पोषकों की लगभग दोगुनी मात्रा अवशोषित होती है।
- इससे रासायनिक पोषणों के निक्षालन में भी कमी आती है।
- फर्टीगेशन विधि द्वारा मुख्यतः नाइट्रोजनी, पोटाश आदि जल में घुलनशील उर्वरकों का प्रयोग होता है।
- रॉक फॉस्फेट या फॉस्फोरस के कई उर्वरक जो जल में घुलनशील नहीं हैं, इस विधि द्वारा प्रयोग के उपयुक्त नहीं हैं।
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4. भारत के संदर्भ में, निम्नलिखित में से किस/किन पद्धति/यों को पारितंत्र-अनुकूली कृषि माना जाता है?
1. फसल विविधरूपण
2. शिंद आधिक्य (Legume intensification)
3. टेंसियोमीटर का प्रयोग
4. ऊर्ध्वाधर कृषि (Vertical farming)
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 3
(c) केवल 4
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A. S. (Pre) 2020]
उत्तर- (d) 1, 2, 3 और 4
- भारत में पारितंत्र अनुकूल कृषि में विकल्पगत सभी विधियों को अपनाया जा रहा है।
- इसमें शिव आधिक्य (दलहनी फसलों की अधिकता) से प्राकृतिक रूप से मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है, टेंसियोमीटर फसल सिंचाई की जरूरत को बताता है, जिससे नियंत्रित सिंचाई से उत्पादकता भी बढ़ती है और जल की बचत भी होती है।
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5. ‘भारतीय कृषि का इतिहास’ किसने लिखा ?
(a) एम.एस. स्वामीनाथन
(b) एस. अय्यपन
(c) के.बी. थॉनस
(d) एम.एस. रधावा
[U.P.P.C.S. (Mains) 2015]
उत्तर- (d) एम.एस. रधावा
- ‘भारतीय कृषि का इतिहास’ पुस्तक एम. एस. रंधावा द्वारा लिखी गई है।
- इनका पूरा नाम मोहिंदर सिंह रचावा है। इन्होंने हरित क्रांति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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6. निम्नलिखित कथनों को पढ़िए और सही विकल्प को चुनिए:
कथन 1 : भारत को 20 कृषि जलवायु प्रदेशों में बांटा गया है।
कारण II: भारत को 15 कृषि-पारिस्थितिकी प्रदेशों में बांटा गया है।
कारण III: पश्चिमी हिमालय शीत-शुष्क पारिस्थितिकी प्रदेश का कवरेज क्षेत्र पश्चिमी हिमालय प्रदेश के कवरेज क्षेत्र से ज्यादा है।
(a) कथन I, II एवं III सभी सही हैं।
(b) कथन I, II एवं III सभी गलत हैं।
(c) केवल कथन I एवं II सही हैं।
(d) केवल कथन I सही है।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (b) कथन I, II एवं III सभी गलत हैं।
- भारत के योजना आयोग ने भारत को 15 कृषि जलवायु प्रदेशों में वर्गीकृत किया था।
- अतः कथन । गलत है।
- राष्ट्रीय मृदा सर्वेक्षण एवं भूमि उपयोग नियोजन ब्यूरो, नागपुर ने भारत को 20 प्रमुख कृषि-पारिस्थितिकी प्रदेशों में विभाजित किया है।
- अतः कथन II भी गलत है।
- पश्चिमी हिमालय प्रदेश का विस्तार लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड में है, जबकि पश्चिमी हिमालय शीत शुष्क पारिस्थितिकी प्रदेश का आच्छादन (कवरेज) लदाख के संपूर्ण क्षेत्र एवं जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में है।
- अतः कथन III भी गलत है।
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7. देश में एग्रो इकोलॉजिकल क्षेत्र हैं-
(a) 15
(b) 17
(c) 18
(d) 20
[U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2013, U.P.R.O./A.R.O. (SpL.) (Pre) 2010]
उत्तर- (1) 15
- सही उत्तर 15 है। भारत के योजना आयोग द्वारा 15 कृषि-पारिस्थितिकी क्षेत्र चिह्नित किये गए हैं।
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8. पी. सेनगुप्ता और जी. सदास्युक (1968) ने भारत को कितने लघु कृषि प्रदेशों में बांटा था?
(a) 58
(b) 63
(c) 60
(d) 65
[U.P.P.C.S. (Mains), 2017]
उत्तर- (c) 60
- रजिस्ट्रार जनरल ऑफ जनगणना (Census), भारत सरकार ने 1968 में डॉ. (मिस) पी. सेनगुप्ता और रशियन भूगोलवेत्ता डॉ. गलीना सदास्युक के अध्ययन पर आधारित एक प्रबंध (Mono- graph) प्रकाशित किया, जिसमें भारत को 60 लघु (Micro) कृषि क्षेत्रों में बांटा गया था।
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9. कथन (A): भारत की शुष्क पेटी की अर्थव्यवस्था प्रधानतः कृषि आधारित है।
कारण (R): इसमें द्वितीय हरित क्रांति के लिए बहुत क्षमता है।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-
कूट :
(a) (A) एवं (R) दोनों सही है एवं (R). (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) एवं (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2010]
उत्तर- (b) (A) एवं (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
- भारत के शुष्क क्षेत्र में सिचाई आदि की व्यवस्था उपलब्ध कराकर इन क्षेत्रों में हरित क्रांति लाई जा सकती है।
- कृषि यहां की अर्थव्यवस्था का मूल है, परंतु वह निर्वाह प्रकृति की है।
- कथन (A) तथा कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण, कथन की सही व्याख्या नहीं है।
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10. भारत की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के संदर्भ में विभिन्न फसलों की ‘वीज प्रतिस्थापन दरों को बढ़ाने से भविष्य के खाद्य उत्पादन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है, किंतु इसके अपेक्षाकृत बड़े/विस्तृत कार्यान्वयन में क्या बाध्यता है/बाध्यताएं हैं?
1. कोई भी राष्ट्रीय बीज नीति नहीं बनी है।
2. निजी क्षेत्र की बीज कंपनियों की. उद्यान-कृषि फसलों की रोपण सामग्रियों और सब्जियों के गुणता वाले बीजों की पूर्ति में कोई सहभागिता नहीं है।
3. निम्न मूल्य एवं उच्च परिमाण वाली फसलों के मामले में गुणता वाले बीजों के बारे में मांग-पूर्ति अंतराल है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) 1 और 2
(b) केवल 3
(c) 2 और 3
(d) कोई नहीं
[I.A.S. (Pre) 2014]
उत्तर- (b) केवल 3
- चूंकि राष्ट्रीय बीज नीति, 2002 अस्तित्व में है, अतः कथन 1 असत्य है।
- ऐसा नहीं है कि निजी क्षेत्र की बीज कंपनियों की गुणता वाले बीजों की पूर्ति में कोई सहभागिता नहीं है, लेकिन निजी क्षेत्र की कंपनियां सामान्यतः निम्न परिमाण और उच्च मूल्य वाले बीजों के उत्पादन में ही संलग्न हैं, जिससे कुछ चुने हुए कृषकों की आवश्यकताएं ही पूरी हो पाती हैं।
- गुणता वाले बीजों के संबंध में मांग-पूर्ति अंतराल है। अतः कथन 3 सत्य है।
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11. देश में प्रथम कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना किस वर्ष हुई थी?
(a) 1950 में
(b) 1960 में
(c) 1970 में
(d) 1980 में
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर- (b) 1960 में
- देश में प्रथम कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 1960 में हुई थी।
- भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा 17 नवंबर, 1960 को ‘उत्तर प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय’ (UPAU) के रूप में इसका उद्घाटन पंतनगर, उत्तराखंड (तत्कालीन उ.प्र.) में किया गया था।
- बाद में इसका नाम ‘गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय’ कर दिया गया।
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12. यदि खाद्यान्नों का सुरक्षित संग्रह सुनिश्चित करना हो, तो कटाई के समय उनका आर्द्रता अंश कितने प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए?
(a) 14%
(b) 16%
(c) 18%
(d) 20%
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर- (a) 14%
- खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के मानकों के अनुसार, खाद्यान्नों के सुरक्षित भंडारण के समय लगभग 14 प्रतिशत तक ही सापेक्षिक आर्द्रता (Relative Humidity) होनी चाहिए।
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13. भारत में, भूमि-उपयोग वर्गीकरण का सन्निकट निरूपण निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(a) नेट बुवाई क्षेत्र 25%; वन 33%; अन्य क्षेत्र 42%
(b) नेट बुवाई क्षेत्र 58%; वन 17%; अन्य क्षेत्र 25%
(c) नेट बुवाई क्षेत्र 43%; वन 29%, अन्य क्षेत्र 28%
(d) नेट बुवाई क्षेत्र 47%, वन 23%; अन्य क्षेत्र 30%
[I.A.S. (Pre) 2010]
उत्तर- (d) नेट बुवाई क्षेत्र 47%, वन 23%; अन्य क्षेत्र 30%
- वर्ष 2009-10 के आंकड़ों के आधार पर भारत में शुद्ध बुवाई क्षेत्र 45.27 प्रतिशत, वन 23.28 प्रतिशत तथा अन्य क्षेत्र लगभग 31.45 प्रतिशत हैं।
- इस प्रकार सन्निकट विकल्प (d) भूमि उपयोग वर्गीकरण का प्रतिनिधित्व करता है।
- 2018-19 (P) के कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, शुद्ध बुवाई क्षेत्र- 45.28 प्रतिशत, वन क्षेत्र 23.40 प्रतिशत है. एवं अन्य क्षेत्र 31.32 प्रतिशत है।
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14. कृषि में युग्म पैदावार का आशय….. को उगाने से है।
(a) विभिन्न मौसमों पर दो फसल
(b) एक ही साथ दो फसल
(c) अन्य फसल के साथ एक फसल
(d) इनमें से कोई नहीं
[43 B.P.S.C. (Pre) 1999]
उत्तर- (a) विभिन्न मौसमों पर दो फसल
- कृषि में युग्म पैदावार (Double Croping) का आशय है-एक फसल वर्ष के अंतर्गत एक ही भूमि पर 2 या 2 से अधिक फसल उगाना।
- उदाहरणस्वरूप, इसके अंतर्गत चावल और मक्का की मुख्य फसलों से पहले बसंत जौ, शीतकालीन गेहूं या आलू की फसल लगाकर अनाज की एक अतिरिक्त फसल का उत्पादन करना है।
- इस रूप में विकल्प (a) सही उत्तर है।
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15. निम्नलिखित में से कौन-सी ‘मिश्रित खेती’ की प्रमुख विशेषता है?
(a) नकदी और खाद्य दोनों शस्यों की साथ-साथ खेती
(b) दो या दो से अधिक शस्यों को एक ही खेत में उगाना
(c) पशुपालन और शस्य उत्पादन को एक साथ करना
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (c) पशुपालन और शस्य उत्पादन को एक साथ करना
- मिश्रित खेती से तात्पर्य कई तरह की फसलों के उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन को बढ़ावा देने से है, जिससे खेती से शेष बचे समय में पशुपालन करके किसान अपनी आय में वृद्धि कर सकें।
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16. ‘समानांतर फसल’ का एक उदाहरण है-
(a) आलू + धान
(b) गेहूं + सरसों
(c) कपास + गेहूं
(d) ज्वार + आलू
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (b) गेहूं + सरसों
- समानांतर फसल के अंतर्गत दो भिन्न विकास प्रवृत्ति वाली फसलें शामिल होती हैं।
- इनके बीच शून्य प्रतियोगिता होती है और दोनों फसलों द्वारा उनकी क्षमता के अनुसार उच्च उत्पादकता प्राप्त होती है।
- प्रश्नानुसार दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प (b) है।
- गेहूं तथा सरसों समानांतर फसलों के उदाहरण हैं।
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17. निम्न राज्यों में काफी अधिक है। को छोड़कर सभी में कृषि भूमि का प्रतिशत
(a) पंजाब
(b) हरियाणा
(c) उत्तर प्रदेश
(d) सिक्किम
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर- (d) सिक्किम
- सिक्किम पूर्वोत्तर में स्थित एक पहाड़ी प्रदेश है।
- यहां का अधिकांश भू-भाग जंगलों से घिरा है।
- इस राज्य की कुल भूमि का मात्र 10 प्रतिशत से भी कम भाग ही कृषि कार्य हेतु उपलब्ध है।
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18. निम्न में से एक भारतीय कृषि की विशेषता नहीं है-
(a) प्रकृति पर अधिक निर्भरता
(b) उत्पादकता का निम्न स्तर
(c) फसलों की विविधता
(d) बड़े खेतों की प्रधानता
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2010]
उत्तर- (d) बड़े खेतों की प्रधानता
- भारतीय कृषि प्रकृति पर अधिक निर्भर है।
- यहां फसलों की विविधता तो है. परंतु अधिकांश फसलों में उत्पादकता का स्तर निम्न है।
- यहां पर बड़े खेतों की तुलना में सीमांत भू-जोतों की अधिकता (प्रधानता) है।
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19. भारतीय कृषि में निम्न उत्पादकता का कारण है-
(a) आवश्यकता से अधिक लोगों का कृषि कार्यों में लगा रहना
(b) जोत का छोटा आकार
(c) उत्पादन की पिछड़ी तकनीक
(d) उपर्युक्त सभी
[U.P.P.C.S. (Pre) 2007]
उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी
- भारत की आर्थिक समीक्षा 2017-18 के अनुसार, देश की आबादी का 49 प्रतिशत कृषि क्षेत्र से रोजगार प्राप्त करता था, जबकि आर्थिक समीक्षा, 2020-21 के अनुसार, देश का लगभग 54.6 प्रतिशत कार्यबल कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र में संलग्न है।
- वर्ष 2020-21 (PE) (वर्तमान कीमतों पर) में देश के GVA में इसकी हिस्सेदारी 20.2 प्रतिशत है।
- इससे स्पष्ट है कि कृषि कार्यों में आवश्यकता से अधिक लोग लगे हैं।
- उत्तराधिकार के आधार पर निरंतर विभाजन से कृषि जोतों का आकार भारत में लगातार छोटा होता जा रहा है।
- उत्पावन की पिछड़ी तकनीक भी भारतीय कृषि की एक मुख्य समस्या है।
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20. कथन (A): पारंपरिक खेती के आधुनिक वैज्ञानिक खेती में रूपांतर में हरित क्रांति की तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
कारण (R) : इसमें सामाजिक एवं पर्यावरणीय लागत सम्मिलित नहीं होती।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए-
कूट:
(a) (A) तथा (R) दोनों सही है एवं (R), (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर- (b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
- हरित क्रांति के कारण भारतीय कृषि अपने जीवन निर्वाहक स्वरूप के बजाय व्यापारिक तथा बाजारोन्मुख रूप ग्रहण करती जा रही है।
- भारतीय खेती के वैज्ञानिक खेती का रूप धारण करने में हरित क्रांति का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
- परंतु हरित क्रांति का लाभ आज तक जो भी दर्शाया जाता रहा है. उसमें हरित क्रांति के कारण होने वाली सामाजिक एवं पर्यावरणीय क्षति को शामिल नहीं किया जाता है।
- अतः दोनों अलग-अलग तथ्य है।
- ये दोनों तथ्य सत्य भी हैं, लेकिन ये एक-दूसरे तथ्य की सपष्ट व्याख्या नहीं हैं।
- अतः विकल्प (b) सहीं उत्तर है।
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21. निम्नलिखित में से कौन-सा भारतीय कृषि की निम्न उत्पादकता का कारण नहीं है?
(a) जनसंख्या का दबाव
(b) प्रच्छन्न बेरोजगारी
(c) सहकारी कृषि
(d) भू-जोत का छोटा आकार
[U.P. P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर- (c) सहकारी कृषि
- जनसंख्या का दबाव, प्रच्छन्न बेरोजगारी (Hidden Unemployment) और मू-जोतों का छोटा आकार भारतीय कृषि की निम्न उत्पादकता के कारण है, जबकि सहकारी कृषि, कृषि के विकास का एक साधन है।
- इसके तहत छोटे-छोटे किसान संयुक्त रूप से कृषि कार्य करते हैं।
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22. भारत में संकार्य (चालू) जोतों का सबसे बड़ा औसत आकार है-
(a) पंजाब में
(b) गुजरात में
(c) मध्य प्रदेश
(d) राजस्थान में
[U.P.U.D.A/L.D.A. (Pre) 2010]
उत्तर- (d) राजस्थान में
- प्रश्नकाल में दिए गए विकल्यों में से मारत में बालू जोतों (Operand Holding) का सबसे बड़ा औसत आकार राजस्थान में था।
- वर्तमान स्थिति (कृषि संगणना 2015-16 चरण-11 के अनुसार) में देश में कुल 157.82 मिलियन हेक्टेयर परिचालित दक्षेत्र (Operated Area) में सर्वाधिक योगदान राजस्थान (20.87 मिलियन है.) का है।
- जिसके पश्चात क्रमशः महाराष्ट्र (20.50 मिलियन हे.) एवं उत्तर प्रदेश (17.45 मिलियन हे.) का स्थान है, जबकि देश के क्रियाशील जोती (Operational Holding) (146.45 मिलियन) में सर्वाधिक जोतों की संख्या उत्तर प्रदेश (23.82 मिलियन) एवं बिहार (16.41 मिलियन) में है।
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23. भारत में कृषि को समझा जाता है-
(a) जीविकोपार्जन का साधन
(b) एक व्यवसाय
(c) एक व्यापार
(d) एक उद्योग
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2004]
उत्तर- (a) जीविकोपार्जन का साधन
- भारत में कृषि को जीविकोपार्जन का साधन समझा जाता है।
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24. भारतीय कृषि के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
(a) भारत में दालों की खेती के अंतर्गत आने वाला लगभग 90 प्रतिशत क्षेत्र वर्षा द्वारा पोषित है
(b) पिछले दो दशकों में राष्ट्रीय स्तर पर खेती किए जाने वाले कुल क्षेत्र में बालों का भाग दौगुना हो गया है.
(c) विश्व में कुल क्षेत्र में होने वाली चावल की खेती का लगभग 15 प्रतिशत भाग भारत में है
(d) भारत में होने वाली खेती के कुल क्षेत्र में से लगभग 34 प्रतिशत क्षेत्र में चावल की खेती होती है
[I.A.S. (Pre) 2002]
उत्तर- (a) भारत में दालों की खेती के अंतर्गत आने वाला लगभग 90 प्रतिशत क्षेत्र वर्षा द्वारा पोषित है
- प्रश्नकाल के दौरान भारत में दालों की खेती के अंतर्गत केवल 12.7% (2011-12 में 16.1%) भाग को ही सिंबाई सुविधाओं का लाभ मिल रहा था और शेष 83.9 प्रतिशत भाग वर्षा द्वारा पोषित था। अतः कथन (a) लगभग सही है।
- पिछले 2 दशकों में दालों की खेती को देखा जाए, तो यह स्पष्ट होता है कि उस समय वालों की खेती के अंतर्गत जहां 246.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र या, वहीं वर्ष 2004-05 में यह घटकर 227.6 (वर्ष 2018-19 च.अ.अनु. में 29.03 मिलियन हेक्टेयर) लाख हेक्टेयर ही रह गया।
- अतः यह कहना कि कुल क्षेत्र में वालों का भाग दोगुना हो गया है. गलत है।
- विश्व में कुल क्षेत्र में होने वाली चावल की कृषि का लगभग 29 प्रतिशत, भारत में किया जा रहा है।
- अतः कथन (c) गलत है। वर्ष 2021 (FAO) में विश्व में शीर्ष 10 चावल उत्पादक देशों में चावल की कृषि का लगभग 28.06 प्रतिशत भारत में किया जा रहा है।
- भारत में खेती के कुल क्षेत्र में से लगभग 23.7 प्रतिश्थत (2011-12 में 22.33%) भाग पर बावल की कृषि की जा रही थी न कि 34 प्रतिशत भाग पर, बतः कथन (d) भी गलत है।
- आर्थिक समीक्षा 2022-23 के अनुसार भारत में खाद्यान्न के सकल क्षेत्र में से लगभग 35.55 प्रतिशत भाग पर चावल की कृषि की जा रही है।
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25. भारत में रासायनिक उर्वरकों के दो बड़े उपभोक्ता हैं-
(a) आंध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र
(b) पंजाब एवं हरियाणा
(c) पंजाब एवं उत्तर प्रदेश
(d) उत्तर प्रदेश एवं आंध्र प्रदेश
[U.P.P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर- (d) उत्तर प्रदेश एवं आंध्र प्रदेश
- वर्ष 2013-14 के आंकड़ों के आधार पर दिए गए राज्यों में सर्वाधिक उर्वरक उपभोक्ता (2 राज्यों) की दृष्टि से क्रम निम्नानुसार है-
राज्य – कुल उर्वरक उपभोग (हजार टन में)
उत्तर प्रदेश – 3842.04
आंध्र प्रदेश – 3119.43
वर्ष 2020-21 में शीर्ष उर्वरक उपभोक्ता राज्य उत्तर प्रदेश (5628.99 है. टन), महाराष्ट्र (3413.60 ह टन) एवं मध्य प्रदेश (2893.51 ह. टन) हैं।
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26. निम्नलिखित हरी खाद वाली फसलों में से किसमें नाइट्रोजन की मात्रा सर्वाधिक पाई जाती है?
(a) डेंचा
(b) शनई
(c) बोड़ा (लोबिया)
(d) ग्यार
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर- (c) बोड़ा (लोबिया)
- हरी खाद वाली फसलों में से नाइट्रोजन की सर्वाधिक मात्रा बोड़ा (लोबिया) में 0.49 प्रतिशत पाई जाती है।
- हरी खाद कृषि में उस सहायक फसल को कहते हैं, जिसकी खेती मुख्यतः भूमि में पोषक तत्यों को बढ़ाने तथा उसमें जैविक पदार्थों की पूर्ति करने के उद्देश्य से की जाती है।
- बैंचा में 10.42 प्रतिशत, सनई में 0.43 प्रतिशत तथा ग्वार में 0.34 प्रतिशत नाइट्रोजन की मात्रा पाई जाती है।
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27. संतुलित उर्वरक प्रयोग किए जाते हैं-
(a) उत्पादन बढ़ाने के लिए
(b) खाद्य की गुणवत्ता उन्नत करने हेतु
(c) भूमि की उत्पादकता बनाए रखने हेतु
(d) यह सभी
[U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर- (d) यह सभी
- संतुलित उर्वरकों का उपयोग चत्पादन बढ़ाने के लिए, खाद्य की गुणवत्ता उन्नत करने के लिए और भूमि की उत्पादकता बनाए रखने के लिए किया जाता है।
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28. दक्षिणी भारत में उच्च कृषि उत्पादकता का क्षेत्र पाया जाता है-
(a) केरल तट में
(b) तमिलनाडु तट में
(c) तेलंगाना में
(d) विदर्भ में
[U.P.P.C.S. (SpL) (Mains) 2004]
उत्तर- (b) तमिलनाडु तट में
- उच्च कृषि उत्पादकता का क्षेत्र दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश का तटवर्ती क्षेत्र, तमिलनाडु का तटीय माग, गुजरात का सूरत क्षेत्र तथा महाराष्ट्र के कोल्हापुर और सत्तारा क्षेत्र हैं।
- अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।
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29. पुनर्भरण योग्य भौम जल संसाधन में सबसे संपन्न राज्य है-
(a) आंध्र प्रदेश
(b) मध्य प्रदेश
(c) उत्तर प्रदेश
(d) पश्चिम बंगाल
[U.P.P.C.S. (Mains) 2006]
उत्तर- (c) उत्तर प्रदेश
- पुनर्भरण योग्य मौम जल संसाधन में उत्तर प्रदेश सबसे संपन्न भारतीय राज्य है।
- वर्ष 2022 तक की स्थिति के अनुसार, प्रश्नगत राज्यों का वार्षिक पुनर्भरण योग्य गौम जल संसाधन (bcm में) इस प्रकार है
आंध्र प्रदेश – 27.23
मध्य प्रदेश – 35.23
उत्तर प्रदेश – 71.45
प. बंगाल – 23.61
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30. निम्नलिखित राज्यों में से कौन भारत में ठेकेदारी कृषि को लागू करने में अग्रणी है?
(a) हरियाणा
(b) पंजाब
(c) तमिलनाडु
(d) उत्तर प्रदेश
[U.P.P.C.S. (Mains) 2005]
उत्तर- (b) पंजाब
- भारत में ठेकेदारी कृषि को लागू करने में पंजाब राज्य अग्रणी है।
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31. ‘हरित खेती’ में सन्निहित है-
(a) जैविक खेती एवं बागवानी पर जोर
(b) बागवानी तथा पुष्पकृषि पर ध्यान केंद्रित करते समय कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों से बधाव
(c) समेकित कोट प्रबंधन, समेकित पोषक पदार्थ आपूर्ति एवं समेकित प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन
(d) खाद्य फसलों, बागवानी एवं पुष्यकृषि पर जोन
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर- (c) समेकित कोट प्रबंधन, समेकित पोषक पदार्थ आपूर्ति एवं समेकित प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन
- ‘हरित खेत्ती’ में ‘समेकित कीट प्रबंचन, समेकित पोषक पदार्थ आपूर्ति एवं समेकित प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन सन्निहित हैं।
- हरित खेत्ती वास्तव में संरक्षण कृषि है।
- हाल के दिनों में शब्य हरित खेती विशेष रूप से बीन द्वारा उपयोग में लाया गया।
- गारत में हरित खेती के विषय में उपर्युक्त धारणा का प्रतिपादन डी. स्वामीनाथन ने किया।
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32. भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव के संदर्भ में निम्नलिखित में कौन-सी व्याख्या असत्य है?
(a) जलवायु परिवर्तन
(b) नकद फसलों पर बल
(c) जाय-असमानता में वृद्धि
(d) आर्थिक सहायता में कटौती
[Uttarakhand Lower Sub. (Pre) 2010]
उत्तर- (a) जलवायु परिवर्तन
- भारत में वैश्वीकरण की शुरुआत नरसिम्हा राव सरकार द्वारा वर्ष 1991 में की गई।
- तब से लेकर आज तक भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण कर अत्यधिक प्रभाव पड़ा है, जिनमें अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक भारतीय किसानों के उत्पादों की पहुंच, नकदी फसलों पर अत्यधिक बल, आय-असमानता में वृद्धि, अर्थिक सहायता में कटौती आदि शामिल हैं।
- वैश्वीकरण के तहत बड़े किसानों को अधिक लाभ होता है, जबकि छोटे किसानों को उत्तना लाभ नहीं मिल पाता।
- जलवायु परिवर्तन पर वैश्वीकरण का प्रभाव नहीं पड़ता। अतः विकल्प (३) की व्याख्या असत्य है।
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33. निम्नलिखित में से कौन-सा एक, ‘बीज ग्राम संकल्पना’ (सीड विलेज कॉन्सेप्ट) के प्रमुख उद्देश्य का सर्वोत्तम वर्णन करता है?
(a) किसानों को अपने ही खेत के बीजों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें दूसरों से बीज खरीदने के लिए हतोत्साहित करना
(b) किसानों को गुणतायुक्त बीज उत्पादन का प्रशिक्षण देने में लगाना और उनके द्वारा दूसरों को समुचित समय पर तथा वहन करने योग्य लागत में गुणतायुक्त बीज उपलब्ध कराना
(c) कुछ ग्रामों को अनन्य रूप से प्रमाणित बीजों के उत्पादन के लिए ही उद्दिष्ट (इयरमार्क) करना
(d) ग्रामों में उद्यमियों को अभिज्ञात (आइडोटेपरइ) करना तथा उन्हें बीज कंपनियों की स्थापना करने के लिए प्रौद्योगिकी और वित्त उपलब्ध कराना
[I.A.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (b) किसानों को गुणतायुक्त बीज उत्पादन का प्रशिक्षण देने में लगाना और उनके द्वारा दूसरों को समुचित समय पर तथा वहन करने योग्य लागत में गुणतायुक्त बीज उपलब्ध कराना
- ‘बीज ग्राम संकल्पना’ (Seed Village Concept) का मुख्य उद्देश्य एक समान विचारों वाले किसानों को स्वयं सहायता समूह’ (Self help group) में एक साथ प्रशिक्षण प्रदान करना’ जिससे कि वे अपनी पसंद की फसलों के बीजों को उत्पादित करने के साथ काम कर सकें जिससे स्वयं की तथा साथी किसानों को बीजों की जरूरतों को उवित्त समय और सस्ती कीमत पर पूरा किया जा सके।
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34. एगमार्क है-
(a) अंडा उत्पादन हेतु एक सहकारी समिति
(b) कृषकों की एक सहकारी समिति
(c) अंडों की एक विनियमित मंडी
(d) गुणवत्ता गारंटी की मोहर
[U.P.P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर- (d) गुणवत्ता गारंटी की मोहर
- एगमार्क (Agmark) केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना है जो कृषि उत्पाद (ग्रेडिंग एवं मार्केटिंग) अधिनियम, 1937 के अंतर्गत कृषि और संबद्ध उत्पादों की ग्रेडिंग और मानकीकरण को प्रोत्साहित करती है।
- अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।
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35. भारत में सीमांत कृषि-भूमि जोत का आकार है-
(a) 5 हेक्टेयर से ज्यादा
(b) 2 हेक्टेयर से 4 हेक्टेयर
(c) 1 हेक्टेयर से 2 हेक्टेयर
(d) 1 हेक्टेयर से कम
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
[63 B.P.S.C. (Pre) 2017]
उत्तर- (d) 1 हेक्टेयर से कम
- कृषि गणना 2015-16 के अनुसार, परिचालन जोतो की संख्या एवं क्षेत्र का आकार-समूह निम्न है-
आकार-समूह – आकार
सीमांत कृषि-भूमि जोत – 1 हेक्टेयर से कम
छोटी जोत – 1-2 हेक्टेयर
अर्ध-मध्यम जोत – 2-4 हेक्टेयर
मध्यम जोरा – 4-10 हेक्टेयर
बड़ी जोत – 10- हेक्टेयर से अधिक
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36. भारतीय कृषि में परिस्थितियों के संदर्भ में ‘संरक्षण कृषि’ की संकल्पना का महत्व बढ़ जाता है। निम्नलिखित में से कौन-कौन से संरक्षण कृषि के अंतर्गत आते हैं?
1. एकचान्य कृषि पद्धतियों का परिहार
2. न्यूनतम जौत को अपनाना
3. बागानी फसलों की खेती का परिहार
4. मृदा धरातल को ढकने के लिए फसल अवशिष्ट का उपयोग
5. स्थानिक एवं कालिक फसल अनुक्रमण फसल आवर्तनों को अपनाना।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) 1.3 और 4
(b) 2, 3, 4 और 5
(c) 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3 और 5
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (c) 2, 4 और 5
- संरक्षण कृषि वह पद्धति है, जिसमें कृषिगत लागत को कम रखते हुए अत्यधिक लाभ व टिकाऊ उत्पादकता लाई जा सकती है। साथ ही प्राकृतिक संसाधनों जैसे मृवा, जल, वातावरण व जैविक कारकों में संतुलित वृद्धि होती है।
- इसमें कृषि क्रियाओं उदाहरणार्थ शून्यकर्षण/अति न्यूनकर्षण (Zero tillage/Minimum tillage) के साथ कृषि रसायनों एवं अकार्बनिक व कार्बनिक स्रोतों का संतुलित व समुचित प्रयोग होता है, ताकि कृषि की विभिन्न जैव-क्रियाओं पर विपरीत प्रभाव न हो।
- संरक्षित खेती में न्यूनतम जुताई से फसल अवशेष मृदा की सतह पर बने रहते हैं। इससे मृदम्क्षरण बहुत कम हो जाता है। सामान्यतः 30 प्रतिशत तक फसल अवशेषों द्वारा मृदा का ढका रहना अति आवश्यक है। संरक्षित खेती में फसल विविधीकरण एवं फसल चक्र अपनाना अति आवश्यक है।
- सामान्यतः किसान एक ही प्रकार की फसल चक्र कई वर्षों तक अपनाते हैं। जैसे धान-गेहूं फसल प्रणाली वर्षों से किसान एक ही खेत में लगा रहे हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर सीधा असर पड़ता है। फसल विविधीकरण मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखता है तथा फसल संबंधित कीटों एवं रोग व्याधि को भी कम करता है।
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37. निम्न में से कौन-सा एक कृषि में उत्पादकता बढ़ाने का रास्ता है?
(a) कुशल सिंचाई
(b) गुणवत्तायुक्त बीज
(c) कीटनाशकों का प्रयोग
(d) उर्वरकों का प्रयोग
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
[64 B.P.S.C. (Pre) 2018]
उत्तर- (e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
- दिए गए विकल्पों में सभी कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के रास्ते है।
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38. कृषि जनगणना (2015-16) के संदर्भ में कौन-सा कौन-से सही है। है?
(i) लघु और सीमांत किसान कुल किसानों का 86.2 प्रतिशत है. जबकि वे केवल 47.3 प्रतिशत फसल क्षेत्रों (कुल फसल क्षेत्र का) के मालिक है।
(ii) राज्यवार कृषकों की कुल संख्या के आधार पर महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है।
(ii) राज्यवार कुल जोती गई भूमि क्षेत्रफल के आधार पर राजस्थान प्रथम स्थान पर है।
(a) (i), (ii) और (iii)
(b) (1) और (iii)
(c) (i) और (ii)
(d) केवल (i)
[Chhatisgarh P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) (i), (ii) और (iii)
- कृषि जनगणना (2015-16) के अनुसार, लघु और सीमांत किसान कुल किन्तानों का 86.2 प्रतिशत हैं, जबकि वे केवल 47.3 प्रतिशत फसल क्षेत्रों के मालिक हैं।
- राज्यवार कुल कृषि योग्य भूमि के आधार पर राजस्थान प्रथम स्थान पर है।
- राज्यवार किसानों की कुल संख्या के आधार पर महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है।
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