शिक्षा में जवाबदेही (Accountability in Education)

UNESCO द्वारा ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग रिपोर्ट (GEM रिपोर्ट, 2017-18) का द्वितीय संस्करण जारी किया गया। इसका विषय -‘अकॉउंटबिलटी इन एजुकेशन (शिक्षा में जवाबदेही) था।

रिपोर्ट के प्रेक्षण

  • लोगों की शिक्षा तक पहुँच में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है किन्तु साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि सीखने की प्रक्रिया में आशानुरूप परिणाम नहीं मिल रहे हैं। अतः ऐसी स्थिति में शिक्षा के क्षेत्र में वितरण एवं गुणवत्ता में व्याप्त खामियां इस विमर्श के केंद्र में आ चुकी हैं।
  • इसके साथ-साथ शिक्षा के संकुचित बजट एवं विश्व भर में धन के सही उपयोग पर अधिकाधिक बल दिया जा रहा है। इस उदीयमान प्रवृत्ति के कारण विभिन्न देश अब शिक्षा क्षेत्र में व्याप्त समस्याओं के समाधान ढूंढ रहे हैं। जवाबदेही में वृद्धि इस सूची में शीर्ष पर है।
  • समावेशी, समतापरक और बेहतर गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना प्राय: एक ऐसा सामूहिक प्रयास है जिसमें सभी कर्ता अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने का सम्मिलित प्रयास करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि शिक्षा के क्षेत्र में महत्वाकांक्षी परिणाम अनेक कर्ताओं द्वारा साझे उत्तरदायित्वों की पूर्ति पर निर्भर हैं। इन उत्तरदायित्वों की पूर्ति की ज़िम्मेदारी केवल किसी एक कर्ता पर नहीं डाली जा सकती।
  • इसी प्रकार, यदि कर्ताओं को सक्षम बनाने वाले वातावरण का अभाव है या अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए वे जरूरी संसाधनों से लैस नहीं हैं, तो जवाबदेही का कोई भी तरीका सफल नहीं हो सकता।
  • साथ ही, यह भी स्पष्ट है कि यदि जवाबदेही द्वारा अधिक समावेशी, समतापरक और उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित करनी है तो उसके लिए उपलब्ध सूचनाओं का विवेकपूर्ण उपयोग करने में सक्षम लचीले तरीकों की आवश्यकता होगी। ऐसे में जवाबदेही को प्रयोजन पूर्ण करने का एक माध्यम समझा जाना चाहिए। इसे एक ऐसा उपकरण समझा जाना चाहिए जो सतत विकास लक्ष्य-4 के लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक हो। वस्तुतः यह स्वयं में शिक्षा प्रणालियों का लक्ष्य नहीं है।

अनुशंसाएँ

शिक्षा में जवाबदेही सरकारों से आरंभ होती है जिन पर शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करने का प्राथमिक दायित्व होता है। यह रिपोर्ट सरकारों के साथ-साथ शिक्षा में अंशधारिता रखने वाले अन्य कर्ताओं द्वारा जवाबदेही की सुदृढ़ प्रणालियों का प्रारूप तैयार करने और उन्हें कार्यान्वित करने में सहायता देने के लिए निम्नलिखित अनुशंसाएं देती है।

जवाबदेही की सुदृढ़ प्रणालियों का प्रारूप तैयार करना

  • सरकारों को शिक्षा के सभी क्षेत्रों के साथ विश्वास व साझी समझ विकसित करने के लिए अर्थपूर्ण व प्रतिनिधित्वकारी
    सहभागिता का वातावरण बनाना चाहिए।
  • उन्हें उत्तरदायित्व की स्पष्ट रूपरेखाओं व स्वतंत्र लेखा परीक्षा तंत्रों के माध्यम से विश्वसनीय शिक्षा क्षेत्रक योजनाएं और
    पारदर्शी बजट विकसित करने चाहिए।
  • उन्हें विश्वसनीय और कुशल विनियम एवं निगरानी तंत्र विकसित करने चाहिए तथा मानकों के अनुसार कार्य न होने पर
    अनुवर्ती कार्रवाइयों और प्रतिबंधों पर अमल करना चाहिए।
  • उन्हें ऐसे विद्यालय और शिक्षक जवाबदेही तंत्र का प्रारूप तैयार करना चाहिए जो सहायक व रचनात्मक हो तथा दंड आधारित व्यवस्थाओं से दूर रहना चाहिए, विशेषकर ऐसी व्यवस्था जो संकीर्ण कार्य-निष्पादन उपायों पर आधारित है।
  • उन्हें लोकतांत्रिक स्वर को व्यक्त करने की अनुमति प्रदान करनी चाहिए तथा साथ ही सूक्ष्म स्तर पर शिक्षा की जाँच करने की मीडिया की स्वतंत्रता का संरक्षण करना चाहिए। इसके अतिरिक्त सरकारों को स्वतंत्र संस्थाओं की स्थापना को सुगम बनाना चाहिए जहाँ नागरिक अपनी शिकायतें व्यक्त कर सकें।

जवाबदेही की सुदृढ़ प्रणालियों का कार्यान्वयन

  • सूचना: निर्णयकर्ताओं को पारदर्शी, प्रासंगिक और समयबद्ध ढंग से आंकड़े उपलब्ध करवाए जाने चाहिएं।
  • संसाधन: शिक्षा व्यवस्था के वित्तपोषण के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
  • क्षमता: जिम्मेदारियों को पूरा करने हेतु कर्ताओं को आवश्यक कौशल और प्रशिक्षण से लैस किया जाना चाहिए।

यह रिपोर्ट ऐसे विभिन्न जवाबदेही तंत्रों के बारे में चर्चा करती है जो विशिष्ट संदर्भो में चयनित कर्ताओं के साथ, राजनीतिक तंत्र, कानूनी या विनियामकीय मार्ग, निष्पादन आधारित दृष्टिकोणों, सामाजिक जवाबदेही और व्यावसायिक या आंतरिक जवाबदेही जैसे कुछ निश्चित प्रयोजनों हेतु प्रभावी हो सकते हैं। हालाँकि, इनमें से कुछ जवाबदेही दृष्टिकोणों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है तथा जिसके कारण अनापेक्षित | परिस्थितियां उत्पन्न हो गयी हैं। उदाहरण के लिए

  • प्रदर्शन आधारित जवाबदेही, आगतों के स्थान पर परिणामों पर ध्यान केन्द्रित करती हुई प्रतीत होती है और संकीर्ण प्रोत्साहनों का उपयोग करती है। ये प्रोत्साहन प्राय: अनुपालन हेतु विवश करने या व्यवहार में बदलाव हेतु दंड दिए जाने तक सीमित रहे हैं।
  • जवाबदेही के प्रति बाजार आधारित दृष्टिकोण शिक्षा को गुणवत्ता व मूल्य के आधार पर विभेदित की जा सकने वाली उपभोक्ता वस्तु समझे जाने पर आधारित है। यह दृष्टिकोण प्रतिस्पर्धात्मक दबाव उत्पन्न करता है जिससे अभावग्रस्त मातापिता व स्कूल उपेक्षित रह जाते हैं। इसके फलस्वरूप पृथक्करण में वृद्धि होती है और समावेशी, समतापरक, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा हेतु किए जाने वाले प्रयासों की उपेक्षा कर दी जाती है।
  • बाह्य रूप से वित्तपोषण वाले दृष्टिकोण के संदर्भ में, ऐसी व्यवस्थाएँ निर्मित की जाती हैं जो अस्थायी कर्ता द्वारा किसी अन्य
    को जिम्मेदार ठहराने पर निर्भर है। दीर्घकाल में यह व्यवस्था नहीं चल सकती।

निष्कर्ष

शिक्षा एक साझी जिम्मेदारी है जिसकी सतत प्रगति केवल साझे प्रयासों से ही संभव हो सकती है। इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए जिम्मेदारियों का स्पष्ट रेखाओं का होना, यह जानना कि ये रेखाएं कहाँ से टूटी हैं और इसके समाधान के लिए क्या किया जाए – जवाबदेही के इसी अर्थ पर यह वैश्विक शिक्षा निगरानी रिपोर्ट केन्द्रित है। रिपोर्ट का निष्कर्ष स्पष्ट है कि जवाबदेही के अभाव में प्रगति बाधित होने का जोखिम बना रहता है जिससे शिक्षा प्रणालियों में हानिकारक प्रथाओं को जड़ें जमा लेने का अवसर मिल जाता है।

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