आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 : राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और इससे संबंधित निकायों के मध्य दृष्टिकोण
प्रश्न: आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के कार्यान्वयन की वर्तमान स्थिति का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
दृष्टिकोण
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की चर्चा कीजिए तथा इसके कार्यान्वयन की वर्तमान स्थिति का वर्णन कीजिए।
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और इससे संबंधित निकायों के मध्य दृष्टिकोण तथा ढांचे के महत्वपूर्ण अंतराल का विश्लेषण कीजिए।
- संक्षेप में आगे की राह का वर्णन करते हुए उत्तर समाप्त कीजिए।
उत्तर
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 भारत में आपदा प्रबंधन हेतु कानूनी ढांचे के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह एक समग्र, समन्वित और त्वरित अनुक्रिया के माध्यम से आपदाओं के प्रभावों के निवारण व शमन पर बल देता है।
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के कार्यान्वयन की वर्तमान स्थितिः
इस अधिनियम के अंतर्गत अनेक संस्थानों की स्थापना की गई है। इसने ओडिशा और आंध्र प्रदेश को फैलिन नामक चक्रवात से सफलतापूर्वक निपटने में सहायता की है। लगभग सभी राज्यों ने एक राज्य आपदा प्रबंधन योजना तैयार कर लिया है। आपदाओं के दौरान विशेषज्ञ अनुक्रिया प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल ने वर्ष दर वर्ष स्वयं को एक स्पष्ट और विश्वसनीय अनुक्रिया बल के रूप में स्थापित किया है। इसकी कुशलता को विश्व भर में सराहा गया है।
हालांकि अभी भी अधिनियम के कार्यान्वयन के समक्ष कुछ मुद्दे शेष हैं:
- सभी राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (SDMAS) का गठन कर लिया है। किंतु कुछ अपवादों को छोड़कर अधिकांश केवल एक समिति के रूप में औपचारिकता हेतु बने हुए हैं।
- सात राज्य (उत्तराखंड, तमिलनाडु व गुजरात आदि को शामिल करते हुए) प्राकृतिक आपदाओं से निपटने हेतु आपदा प्रबंधन अधिनियम के कार्यान्वयन में असफल रहे हैं।
- राज्य, आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर सलाहकार समितियों व राज्य आपदा अनुक्रिया बल के गठन में विफल रहे हैं।
- आपदा प्रबंधन के दिशा-निर्देशों के कार्यान्वयन की निगरानी करने वाली राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की आपदाओं के समय भी प्रायः कम ही बैठके होती हैं।
- NDMA नियमित रूप से अपनी वार्षिक रिपोर्टों को प्रकाशित करने और अपनी योजनाओं को अद्यतन बनाने में असफल रहा है। NDMA द्वारा ली गई कोई भी प्रमुख परियोजना अब तक पूरी नहीं हुई है। संबंधित एजेंसियों के मध्य कार्यात्मक समेकन का अभाव है।
- आपदाओं का वित्तीय प्रबंधन, आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में दी गई प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है। हालांकि, राष्ट्रीय आपदा शमन कोष (NDMF) का गठन अभी तक नहीं किया गया है।
इन मुद्दों के समाधान हेतु, निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- दक्षता बढ़ाने हेतु विभिन्न एजेंसियों की भूमिकाओं की स्पष्ट व्याख्या करना।
- उत्तरदायित्वों के प्रभावी निर्वहन हेतु NDMA को सशक्त बनाना।
- आपदा प्रबंधन के पेशेवरों हेतु एक कैडर तैयार करना और उनकी प्रशिक्षण सुविधाओं का विस्तार करना।
- सामान्य पूर्वानुमान से प्रभावी पूर्वानुमान पर कार्य करना।
- प्रभावित लोगों को राहत की न्यूनतम सुविधाएं उपलब्ध कराना और नई आपदा प्रबंधन योजना का क्रियान्वयन।
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