उत्पादन परिदृश्य, विशेष रूप से ‘अधिशेष’ : वस्तु अधिनियम, 1955 (Essential Commodities Act: ECA)

प्रश्न: इस तर्क के आलोक में कि भारत “स्थायी अधिशेषों” के युग में प्रवेश कर गया है, चर्चा कीजिए कि क्या कृषि जिंसों को आवश्यक वस्तु अधिनियम से पूर्णतया हटा देने का समय आ गया है? (150 शब्द)

दृष्टिकोण

  • उत्पादन परिदृश्य, विशेष रूप से ‘अधिशेष’, के साथ उत्तर आरम्भ कीजिए।
  • उन संदर्भो, जिनमें आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 (Essential Commodities Act: ECA) को लागू किया गया था और उस समय में इसकी आवश्यकता का उल्लेख कीजिए।
  • कृषि जिंसों को आवश्यक वस्तु अधिनियम से पूर्णतया हटा देने के प्रमुख नकारात्मक एवं सकारात्मक प्रभावों की चर्चा कीजिए।
  • तदनुसार निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

हरित क्रांति के घटक के रूप में उच्च उत्पादक बीजों की उपलब्धता तथा प्रौद्योगिकी के तीव्र प्रसार के कारण कृषि जिंसों की कमी वर्तमान में अप्रासंगिक हो गयी है। वर्तमान में, भारत एक खाद्यान्न अधिशेष देश है। यह खाद्यान्नों के 277.49 मिलियन टन रिकॉर्ड उत्पादन या 24.51 मिलियन टन दाल उत्पादन से परिलक्षित होता है।

आवश्यक वस्तु अधिनियम,1955 खाद्यान्न अभाव के युग में लागू किया गया था। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं के लिए चीनी, खाद्य तेल, गेंहूँ, दाल, इत्यादि जैसी आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना तथा स्वार्थी व्यापारियों के शोषण से उन्हें सुरक्षा प्रदान करना था। इसके अंतर्गत कुछ जिंसों की उचित मूल्यों पर उपलब्धता और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करने हेतु उनके उत्पादन के विनियमन एवं नियंत्रण, आपूर्ति एवं वितरण के लिए प्रावधान किए गए हैं।

हालांकि अधिशेषों के वर्तमान युग में अधिनियम के कई प्रावधान अप्रासंगिक हो गए हैं तथा फुटकर विक्रेताओं के लिए समस्या का कारण बने हुए हैं। हाल ही में, नीति आयोग ने आवश्यक वस्तु अधिनियम से कृषि जिंसों को पूर्णतया हटाने का सुझाव दिया है। इससे संबंधित विशिष्ट मुद्दे निम्नलिखित हैं:

  • नियमों और भंडारण सीमाओं में होने वाले निरंतर परिवर्तनों की पृष्ठभूमि में व्यापारियों के पास बेहतर भंडारण अवसंरचना में निवेश करने का कोई कारण नहीं है।
  • भंडारण सीमाएँ खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की कार्यप्रणालियों में कमी करती हैं जिन्हें अपनी कार्यवाहियों के सहज संचालन हेतु अंतर्निहित जिंसों के विशाल भंडार को बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
  • इस प्रकार, खाद्य प्रसंस्करण तथा शीत भंडारण सुविधाओं में वृहद् पैमाने पर निजी निवेश प्रवाह का अभाव बना हुआ है। जो किसानों को उनकी फसलों हेतु बेहतर पारितोषिक प्रदान करने के लिए अत्यावश्यक है।
  • जैसे ही कृषि जिंसों के मूल्यों में वृद्धि होती है और किसानों को लाभ की प्राप्ति शुरुआत होती है तुरंत इसकी तत्कालिक प्रतिक्रिया स्टॉक होल्डिंग सीमाएं आरोपित करने, शुल्क-मुक्त आयातों को अनुमति प्रदान करने, निर्यातों और उत्पादों की अंतर्राज्यीय आवाजाही को प्रतिबंधित करने तथा तथाकथित जमाखोरों की आय कर निगरानी में ढील देने के रूप में होती

इसीलिए, नीति आयोग का सुझाव है कि कृषि जिंसों से भंडारण प्रतिबंधों के हटाने से उपरोक्त मुद्दों का समाधान किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त इससे संगठित व्यापार में वृद्धि होगी, स्केल और लॉजिस्टिक्स में सुधार होगा तथा व्यापार हेतु अधिक पूँजी उपलब्ध होगी। यद्यपि यह एक उचित सुझाव है परन्तु आवश्यक वस्तु अधिनियम को समाप्त करने से पूर्व कुछ संबंधित मुद्दों जैसे कृषि उत्पादों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य, केवल कुछ व्यापारियों द्वारा जमाखोरी हेतु अत्यधिक प्रलोभन, इत्यादि जैसे संबंधित मुद्दों का समाधान करना भी आवश्यक है।

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