महासागरीय और महाद्वीपीय उच्चावच का संक्षिप्त परिचय

प्रश्न: महासागरीय अधस्तल के मानचित्रण से जटिल और विविध आकृतियों का पता चलता है, जो स्थलीय उच्चावचीय आकृतियों के तुल्य हैं। महासागरों की मुख्य उच्चावच आकृतियों के निर्माण के कारणों तथा उनके महत्व की चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • महासागरीय और महाद्वीपीय उच्चावच का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • विभिन्न महासागरीय उच्चावचों के निर्माण के कारणों की चर्चा कीजिए।
  • विभिन्न महासागरीय उच्चावचों के महत्व पर चर्चा कीजिए।

उत्तर

स्थलमंडल(भूपर्पटी और ऊपरी मैंटल) में दो विस्तृत उच्चावच आकृतियाँ पायी जाती हैं- महाद्वीपीय तथा महासागरीय नितल। इनका निर्माण प्लेट विवर्तनिक सीमाओं पर होने वाले प्लेटों के संचलन तथा इनके परिणामस्वरूप होने वाली ज्वालामुखीय एवं निक्षेपीय प्रक्रियाओं द्वारा होता है। महाद्वीपों की उच्चावचीय आकूतियाँ में पर्वत निर्माणकारी सक्रिय पट्टियाँ (स्थलमंडलीय प्लेटों के किनारे संकीर्ण क्षेत्र, जैसे आल्प्स एवं हिमालय) एवं पुरानी, स्थिर चट्टानों के निष्क्रिय क्षेत्र (स्थिर भूखंडों एवं पर्वतीय मूल) पाये जाते हैं।

महाद्वीपों की अपेक्षा महासागरों में अधिक विविधतापूर्ण उच्चावच पाए जाते हैं। अधिकांश महासागरीय पर्पटी 60 मिलियन वर्ष से कम प्राचीन हैं, वहीं दूसरी ओर महाद्वीपीय पर्पटी के अधिकतर भाग 1 बिलियन वर्ष से अधिक पुराने हैं। महासागरीय नितल विश्व की सर्वाधिक बड़ी पर्वतमालाओं, गहरी खाइयों एवं विशालतम मैदानों के कारण अत्यंत विषम प्रतीत होते हैं। इन्हें मुख्य तथा गौण उच्चावचीय आकृतियों के रूप में विभाजित किया गया है। मुख्य आकृतियों के अंतर्गत महाद्वीपीय मग्नतट (कॉन्टिनेंटल शेल्फ), महाद्वीपीय ढाल, महासागरीय गर्त, एवं सागरी नितल मैदान शामिल हैं; जबकि सागरीय पर्वत, समुद्री शिखर (सी माउंट), निमग्न द्वीप (गियोट), सागरीय कैनियन एवं खाइयाँ आदि गौण आकृतियों के अंतर्गत आते हैं।

प्रमुख महासागरीय उच्चावच आकृतियों का निर्माण एवं उनका महत्व

  • महाद्वीपीय सीमान्त (मार्जिन)- इन्हें महाद्वीपीय मग्नतट एवं महाद्वीपीय ढलान के रूप में विभाजित किया जाता है। महाद्वीपीय मग्नतट सामान्यतः महाद्वीपों के जलमग्न भाग होते हैं। निष्क्रिय महाद्वीपीय सीमांतों, यथा अधिकांश अटलांटिक तटों पर, विस्तृत उथले मग्नतट पाए जाते हैं। ये निकटवर्ती महाद्वीपों के लम्बी अवधि से हो रहे अपरदन द्वारा, उत्पन्न मोटी तलछट से निर्मित होते हैं। सक्रिय महाद्वीपीय सीमान्तों पर आने वाले भूकंपों के कारण अवसाद गहरे सागर की ओर बढ़ जाते हैं, जिससे यहाँ संकीर्ण, अपेक्षाकृत खड़ी ढाल वाले मग्नतटों का निर्माण होता है। महाद्वीपीय मग्नतट पेट्रोलियम पदार्थों के समृद्ध भण्डार होते हैं, जैसे कि बॉम्बे हाई, फारस की खाड़ी आदि। शेल्फ में पाए जाने वाले अन्य संसाधनों के अंतर्गत सल्फर, मोनेज़ाइट रेत, कैल्शियम, मोती इत्यादि शामिल हैं। पर्याप्त धूप, इष्टतम गहराई एवं नदियों द्वारा निक्षेपित पोषक तत्व तथा सागरीय तरंगें, जीवों हेतु समृद्ध प्राकृतिक आवास का निर्माण करते हैं। अतः ये मत्स्यन की अच्छी संभावना वाले क्षेत्र होते हैं।
  • अंत:सागरीय कैनियन- यह एक अन्य प्रमुख आकृति है जो महाद्वीपीय ढलान में छिद्रनुमा संरचना के रूप में निर्मित होती है। सामान्यतः ये नदियों के मुहाने पर पाए जाते हैं। ये धाराओं द्वारा लाये गये अवसादों अथवा बृहत् अपरदन के कारण महाद्वीपीय ढलानों पर निर्मित होते हैं। ये तटीय क्षेत्र से, महाद्वीपीय ढलान से होते हुए नीचे गहरे सागरीय नितल की ओर कणों के परिवहन के एक बेहतर मार्ग के रूप में कार्य करते हैं। ये कार्बन प्रच्छादन को बढ़ावा देते हैं तथा समुद्री जीवों को पोषण एवं शरण स्थल भी प्रदान करते हैं। इसके साथ ही ये आनुवंशिक संसाधनों और रासायनिक यौगिकों के समृद्ध स्रोत भी हो सकते हैं।
  • सागरीय नितल मैदान- ये निक्षेपों के जमाव के कारण समतल हो गई महासागरीय पर्पटी के प्राचीन भागों से निर्मित होते हैं। इनमें महाद्वीपों द्वारा उत्पन्न (स्थलजात) निक्षेप, समुद्री जीवों द्वारा जनित (जैव-जनित) निक्षेप तथा लवणीय व खनिज (अकार्बनिक) निक्षेप पाए जाते हैं। दक्षिणी हिंद महासागर एवं पूर्वी प्रशांत महासागरीय अगाध मैदान पॉली-मेटालिक नोड्यूल्स के समृद्ध स्रोत हैं।
  • मध्य महासागरीय कटक– ये महासागरीय बेसिन के नवीनतम भाग होते हैं, जहाँ मैंटल अपवेलिंग एवं प्लेट विचलन के कारण नवीन महासागरीय पर्पटी का निर्माण होता है। कटक के दोनों ओर की चट्टानों के संघटकों, आयु एवं चुंबकीय गुणों में समानता पायी जाती है। ये सागरीय नितल के प्रसार को समझने में सहायता प्रदान करती है। उष्णजलीय (hydrothermal) छिद्रों (मध्य महासागरीय कटकों के किनारे पाए जाने वाले) से निकलने वाला जल घुले हुए खनिजों से समृद्ध होता है तथा रसायनपोषी जीवाणुओं जैसे जीवों के विकास में सहायक होता है।
  • महासागरीय गर्त- ये महासागर बेसिन के सर्वाधिक गहरे भाग होते हैं, जो महाद्वीपीय पर्पटी का महासागरीय पर्पटी के नीचे अवतलन होने से निर्मित होते हैं। ये प्लेट संचलन सम्बन्धी अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • समुद्री शिखर/निमग्न द्वीप (गियोट)- ये अंत:सागरीय ज्वालामुखीय शंकु होते हैं। समुद्री शिखर एवं उनके ऊपर स्थित जलस्तम्भ, उथले समुद्र तथा गहरे सागर में पायी जाने वाली अनेक प्रजातियों को महत्वपूर्ण पर्यावास, आहार स्थल एवं प्रजनन हेतु आधार प्रदान करते हैं।

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