भारतीय विदेश नीति : विकास सहायता के दायरे एवं पहुंच

प्रश्न: भारतीय विदेश नीति के एक प्रमुख साधन के रूप में विकास सहायता’ के दायरे और पहुँच दोनों में विगत कुछ वर्षों में काफी विस्तार देखा गया है। सविस्तार स्पष्ट कीजिए।(250 words)

दृष्टिकोण

  • भारत द्वारा अन्य देशों को प्रदान की जा रही विकास भागीदारी सहायता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से विकास सहायता के दायरे एवं पहुंच का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  • संक्षिप्त निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

विकास सहायता (जो विगत पांच वर्षों में लगभग दोगुनी हो गई है), भारत की सॉफ्ट पावर की एक प्रमुख विशेषता है। भारत के पास संसाधनों के सीमित होने के बावजूद, इसके द्वारा अन्य विकासशील देशों को उनकी आवश्यकताओं के आधार पर संसाधनों और क्षमताओं को साझा करने की इच्छा व्यक्त की गयी है, जिसने सहयोग को बनाए रखने और विश्वास को बढ़ाने हेतु एक आधार तैयार किया है।

भारत की विकास सहायता के मुख्य साधनों में निम्नलिखित सम्मिलित हैं:

  • लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC),
  • अनुदान सहायता, 
  • लघु विकास परियोजनाएं (SDP) 
  • आपदा राहत और मानवीय सहायता
  • भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITEC)।

भारत की विकास सहायता का विस्तृत होता दायरा एवं पहुंच:

हालाँकि, भारत द्वारा परंपरागत रूप से पड़ोसी देशों एवं अफ्रीकी देशों को विकास सहयोग प्रदान किया जा रहा है, परन्तु वर्तमान में भारत अपने विकास सहयोग का विस्तार दक्षिण-पूर्व एशिया, पूर्व एवं मध्य एशिया, कैरेबियाई देशों, लैटिन अमेरिकी देशों, प्रशांत द्वीपीय देशों आदि तक भी कर रहा है। विकास सहायता के दायरे एवं पहुँच दोनों के विस्तार को निम्नलिखित के माध्यम से समझा जा सकता है:

  • लाइन ऑफ़ क्रेडिट (LOCs) : 2005-06 से जनवरी 2019 तक, कुल 26.79 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 274 लाइन ऑफ़ क्रेडिट (LOCs) को 63 देशों के विभिन्न क्षेत्रकों में विस्तारित किया गया है। उदाहरण के लिए: बांग्लादेश को लगभग 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान की गयी है।
  • ITEC के तहत प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण- 2017-18 के दौरान, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम के तहत कृषि, खाद्य और उर्वरक, बैंकिंग, वित्त, शिक्षा आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रकों में 161 भागीदार देशों के 10,918 नागरिक को प्रशिक्षण स्लॉट प्रदान किया गया है। उदाहरणार्थ: इथियोपिया के 150 नौकरशाहों को भारत में प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
  • भारतीय विशेषज्ञों की प्रतिनियुक्ति: नवंबर 2017 तक, साझेदार देशों में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (I&CT) एवं आयुर्वेद के क्षेत्रों में तथा नारियल विशेषज्ञों एवं अंग्रेजी शिक्षकों के रूप में 49 भारतीय विशेषज्ञों की प्रतिनियुक्ति की गयी थी।
  • अध्ययन भ्रमण (study tour): ITEC द्वारा भागीदार देशों के विशेष अनुरोध पर स्टडी टूर आयोजित किए जाते हैं।
  • सेशेल्स को डोर्नियर विमानों, मालदीव को हेलीकाप्टर जैसे उपकरण प्रदान करना।
  • मानवीय सहायता जैसे, लेसोथो, नामीबिया को खाद्य पदार्थ; जाम्बिया, सीरिया को चिकित्सा आपूर्ति; नेपाल, श्रीलंका में आवासों का निर्माण; तंजानिया को NCERT की किताबें आदि उपलब्ध कराना।
  • आपदा राहत के लिए सहायता, जैसे नेपाल में भूकंप के पश्चात्, 2010 में पाकिस्तान की भीषण बाढ़ के पश्चात् सहायता प्रदान करना।
  • लघु विकास परियोजनाएं: यह निम्न बजट की परियोजनाओं से संबंधित है। ये परियोजनाएं मांग आधारित होती हैं और इसमें उस देश के स्थानीय लोगों की भागीदारी भी होती है। भारत सरकार द्वारा अफगानिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, भूटान, सूरीनाम, पापुआ न्यू गिनी आदि देशों में विभिन्न परियोजनाओं के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी है।
  • अफ्रीकी पहुँच: अफ्रीका को भारत द्वारा निम्नलिखित तरीकों से सहयोग प्रदान किया गया है:
  • 2005-06 से जनवरी 2019 तक, भारत द्वारा अफ्रीकी देशों को कुल 11.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर की 189 LOCs आवंटित की गयी हैं।
  • पैन-अफ्रीकी ई-नेटवर्क परियोजना: 2004 में, भारत ने अफ्रीकी महाद्वीप में डिजिटल डिवाइड को समाप्त करने और विकास में तीव्रता लाने हेतु एक पहल की घोषणा की।
  • TEAM-9 इनिसिएटिव: 2004 में, ‘टेक्नो-इकनॉमिक एप्रोच फॉर अफ्रीका-इंडिया मूवमेंट (TEAM-9)’, आठ अफ्रीकी देशों के लिए 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की एक ऋण सुविधा है।

इण्डिया डेवलपमेंट एंड इकोनॉमिक असिस्टेंस स्कीम (IDEAS) जैसी योजनाओं के माध्यम से भारत ने अपनी विकास सहायता को आकर्षक एवं प्रभावी बनाने का प्रयास किया है। हालांकि, इन उपकरणों की समझ एवं क्रियान्वयन की निरंतर निगरानी एवं सुधार करने की आवश्यकता है।

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