किसी राष्ट्र के ऊर्जा-समिश्र को निर्धारित करने वाले कारक

प्रश्न: किसी राष्ट्र के ऊर्जा-समिश्र (एनर्जी-मिक्स) को निर्धारित करने वाले कारकों को सूचीबद्ध करते हुए, भारत की भावी ऊर्जा मांगों को पूरा करने हेतु एक विविधिकृत फ्यूल बास्केट के होने की आवश्यकता पर टिप्पणी कीजिए।

दृष्टिकोण

  • किसी राष्ट्र के ऊर्जा-समिश्र को निर्धारित करने वाले कारकों पर चर्चा कीजिए।
  • भारत की भावी ऊर्जा मांगों को पूरा करने हेतु एक विविधीकृत फ्यूल बास्केट के होने की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिए। 
  • भारत में ऊर्जा सुरक्षा के उद्देश्यों को पूरा करने हेतु आवश्यक रणनीतियों का सुझाव दीजिए।

उत्तर

‘ऊर्जा-समिश्र’ किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए प्रयुक्त विभिन्न प्राथमिक ऊर्जा स्रोतों के संयोजन को संदर्भित करता है। इसमें जीवाश्म ईंधन (तेल, प्राकृतिक गैस और कोयला), परमाणु ऊर्जा, गैर-नवीकरणीय अपशिष्ट और नवीकरणीय ऊर्जा के विभिन्न स्रोत (लकड़ी, जैव ईंधन, जल, पवन, सौर, भू-तापीय, हीट पंप से ऊष्मा, नवीकरणीय अपशिष्ट और बायोगैस) सम्मिलित हैं।

राष्ट्र के ऊर्जा-समिश्र को निर्धारित करने वाले कारक हैं:

  • आपूर्ति: घरेलू संसाधनों की उपलब्धता या उन्हें आयात करने की संभावना। उदाहरण के लिए, कोयला, गैस और तेल से उत्पादित ऊर्जा बाजार मांग पर त्वरित प्रतिक्रिया करती है।
  • मांग: विभिन्न प्रकार की गतिविधियों, अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और विभिन्न दक्षता उपायों के साथ परिवर्तित होती है। उदाहरण के लिए, भारत में परिवहन क्षेत्र तेल पर अत्यधिक निर्भर है।
  • भंडारण: यह आपातकालीन आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए ‘एनर्जी इन्वेंटरी’ का प्रतिनिधित्व करता है।
  • प्रौद्योगिकीय परिवर्तन: प्रौद्योगिकीय उन्ननयन विभिन्न ऊर्जा स्रोतों की ओर परिवर्तन को आवश्यक बना देता है। उदाहरण के लिए, भारत में हालिया उपाय के रूप में स्क्रबिंग (scrubbing) प्रौद्योगिकी की लागत से बचने के लिए कोयला संयंत्रों का प्राकृतिक गैस संयंत्रों में रूपांतरण या परमाणु प्रौद्योगिकी का उपयोग।
  • वैश्विक कारक: भू-राजनीतिक कारकों की विविधता ऊर्जा-समिश्र को प्रभावित करती है जैसे ऊर्जा उत्पादक/स्रोत क्षेत्रों में राजनीतिक स्थिरता, राष्ट्रों पर आरोपित व्यापारिक प्रतिबंध आदि।
  • नई खोज: उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में शेल गैस उत्पादन में भारी वृद्धि के कारण भविष्य में ऊर्जा-समिश्र में तेल के हिस्से में कमी आएगी।
  • जलवायु परिवर्तन: उदाहरण के लिए, भारत का ऊर्जा विविधीकरण जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना से प्रेरित है और यह नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करता है।
  • ऐतिहासिक, आर्थिक, सामाजिक, जनसांख्यिकीय एवं पर्यावरणीय कारकों द्वारा निर्धारित नीतिगत विकल्प।

भारत में वर्तमान परिदृश्य:

उपर्युक्त विवरण के आलोक में ऊर्जा स्रोतों का विविधीकरण आवश्यक है:

  • प्रति व्यक्ति उपभोग में वृद्धि: 2015-16 में भारत में प्रति व्यक्ति ऊर्जा उपभोग 1075 किलोवाट तक पहुंच गया था। 7-8 वर्षों में इसके दोगुना होने की सम्भावना है।
  • बढ़ती मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता: हाल ही में, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में, विशेषकर नवाचार द्वारा सक्षम प्रौद्योगिकी में वृद्धि के कारण, अत्यधिक प्रगति हुई है।
  • स्व-निर्भरता: ऊर्जा का विविधीकरण घरेलू स्तर पर उत्पादित विद्युत के साथ विदेशी ऊर्जा आयात पर निर्भरता को कम कर सकता है।
  • व्यवहार्यता: भारत ऊर्जा विविधीकरण हेतु एक बेहतर स्थान है। प्रत्येक स्रोत इतना सुदृढ़ है कि वह दूसरे की कमजोरियों की क्षतिपूर्ति कर सकता है।

तीव्र गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की विकास संबंधी महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए ऊर्जा सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू है। इस प्रकार, किसी राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करने हेतु ऊर्जा आपूर्ति का विविधीकरण अत्यावश्यक है।

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