नैतिक मूल्य व अभिप्रेरणा

प्रश्न:  किसी कार्यवाही का नैतिक मूल्य इससे प्राप्त होने वाले परिणामों पर नहीं, बल्कि उसकी अभिप्रेरणा पर निर्भर करता है। उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से इस कथन की व्याख्या कीजिए।

दृष्टिकोण

  • परिचय में नैतिक मूल्य के अर्थ को संक्षिप्त में रेखांकित कीजिए।
  • कार्यवाही के उद्देश्य एवं परिणाम और इसके नैतिक मूल्य के मध्य के संबंध की व्याख्या कीजिए। 
  • अपने तर्क के पक्ष में उपयुक्त उदाहरण दीजिए।
  • उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

एक कार्यवाही तभी नैतिक रूप से योग्य मानी जाती है जब यह उपयुक्त नैतिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु की जाती है। किसी कार्यवाही के नैतिक मूल्य की पहचान केवल उसके द्वारा सृजित अच्छे या बुरे परिणामों के माध्यम से नहीं की जानी चाहिए। इस संदर्भ में उद्देश्य महत्वपूर्ण होता है, जो कि उचित होना चाहिए। उचित कार्यवाही को किसी परोक्ष अभिप्राय के लिए नहीं, अपितु उपयुक्त उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु किया जाना चाहिए। कार्यवाही करने के पश्चात ही परिणाम (सकारात्मक या नकारात्मक) उत्पन्न होते हैं, ये परिणाम निर्णयन के बाद औचित्य प्रदान करते हैं, जिन्हें परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। इससे पूर्व इन्हें केवल पूर्वानुमान ही माना जाता है, भले ही वे तर्कसंगत रूप से अपेक्षित क्यों न हों। इनके द्वारा किसी कार्यवाही को सही या गलत सिद्ध किया जा सकता है, परंतु इनका उपयोग कार्यवाही के नैतिक मूल्य के निर्धारण में नहीं किया जा सकता  है।

किसी भी कार्यवाही को नैतिक रूप से योग्य होने हेतु केवल नैतिक विधि के अनुरूप होना आवश्यक नहीं, बल्कि इसे नैतिक विधि की स्थापना के लिए किया जाना चाहिए। कांट के अनुसार, कार्यवाही को नैतिक मूल्य प्रदान करने वाला उद्देश्य ही कर्तव्य की प्रेरणा (motive of duty) होता है, जिसका तात्पर्य उचित कारण के लिए उपयुक्त कार्य करना होता है। यदि हम अपने कर्तव्य से परे किसी उद्देश्य जैसे- स्वार्थपरकता की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं, तब हमारी कार्यवाही में नैतिक मूल्य का अभाव प्रकट होता है। उदाहरणार्थ: एक चतुर दुकानदार केवल अपनी प्रतिष्ठा एवं व्यवसाय की रक्षा हेतु एक अनुभवहीन ग्राहक से अधिक मूल्य नहीं वसूलता है, क्योंकि उसे भय होता है कि ऐसा करने से जन सामान्य को यह कपटपूर्ण व्यवहार ज्ञात हो सकता है। चूंकि दुकानदार ने केवल स्वार्थपरकता हेतु ईमानदार आचरण को अपनाया, अतः उसकी कार्यवाही में नैतिक मूल्य का अभाव था।

कांट द्वारा सुझाव प्रस्तुत किया गया कि नैतिक उद्देश्य अत्यावश्यक है, परंतु यह नैतिक कार्यवाही हेतु एकमात्र पर्याप्त शर्त नहीं है। उसके अनुसार करुणावश किये गये अच्छे कार्य में भी, “चाहे वह कितना भी उचित एवं सौहार्द्रपूर्ण हो,” नैतिक मूल्य का अभाव होता है। दूसरी ओर, एक दुखी व्यक्ति इतना अधिक निराश होता है कि उसमें जीवन व्यतीत करने की कोई इच्छा ही नहीं होती। यदि ऐसा व्यक्ति अपनी इच्छा से नहीं बल्कि कर्तव्य के कारण अपना जीवन समाप्त नहीं करता है, तब उस परिस्थिति में उसकी कार्यवाही के अंतर्गत नैतिक मूल्य विद्यमान होगा।

अतः हम किसी कार्यवाही का आकलन उसके उद्देश्य (जिसकी पूर्ति के लिए कार्यवाही की गई हो) के माध्यम से कर सकते हैं, न की उसके द्वारा उत्पन्न परिणामों से।

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