मध्यप्रदेश परिवहन एवं संचार
- मध्यप्रदेश में सड़कों की कों की दृष्टि से सर्वाधिक घनत्व वाला जिला सतना है जबकि सर्वाधिक सड़कें सीधी में है।
- म.प्र. सरकार द्वारा महिलाओं के कल्याण की दिशा में निःशुल्क ड्रायविंग लाइसेंस बनाने की द्वारा बनाने की योजना 28 दिसम्बर, 2015 से प्रारंभ की गई है।
- चालक/परिचालकों के कल्याण हेतु ‘चालक-परिचालक कल्याण बोर्ड 2015’ का गठन किया गया है।
- ग्रामीण जनता की परिवहन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ग्रामीण परिवहन सेवा का शुभारंभ किया गया है।
- इन्दौर, भोपाल, उज्जैन, छिंदवाड़ा एवं जबलपुर में नॉन-स्टॉप सेवा प्रारंभ की गई है।
- बस स्टेण्डों के उन्ययन के लिए ‘मध्यप्रदेश इन्टरसिटी ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी” का गठन किय गया है।
- किसी भी देश के आर्थिक विकास एवं भावनात्मक एकता बढ़ाने हेतु उन्नत परिवहन व संचार साधनों का होना अनिवार्य है।
- परिवहन साधनों का महत्व किसी प्रदेश के लिए उतना ही होता है, जितना कि शरीर में रक्त धमनियों का होता है ।
मध्यप्रदेश में परिवहन के प्रमुख तीन साधन हैं –
- सड़क मार्ग
- रेलमार्ग
- वायु मार्ग
मध्यप्रदेश में सड़क मार्ग
- प्रदेश में सड़कों से जुड़े ग्रामों की संख्या 49 हजार है।
- राज्य के परिवहन क्षेत्र (भण्डारण सहित) का वर्ष 2015-16 (प्रा.) एवं 2016-17 (त्वरित) में सकल घरेलू उत्पाद में प्रचलित भावों पर क्रमशः 3.02 प्रतिशत एवं 2.78 प्रतिशत अंश की भागीदारी रही है।
- स्थिर भावों पर (2011-12) राज्य घरेलू उत्पादन में परिवहन क्षेत्र की भागीदारी का अंश वर्ष 2015-16 व 2016-17 (त्व.) में क्रमशः 3.38 एवं 3.19 रहा।
- मध्यप्रदेश में सकल घरेलू उत्पाद के अन्तर्गत वर्ष 2015-16 के प्रावधिक अनुमानों के अनुसार प्रचलित भावों पर संचार क्षेत्र का अंश 2.14 प्रतिशत एवं वर्ष 2016-17 (त्वरित) के अनुसार 2.18 प्रतिशत है, जबकि स्थिर से (2011-12) पर वर्ष 2015-16 में 2.140 प्रतिशत एवं वर्ष 2016-17 त्विरित) में 2.51 प्रतिशत अंश परिलक्षित है।
- प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनान्तर्गत दिसम्बर, 2018 तक 73006 मोटर लम्बे मार्गों का निर्माण किया जा चुका है।
- वर्ष 2017-18 में माह जनवरी, 2018 तक लोक निर्माण विभाग द्वारा संधारित कुल सड़कों की लम्बाई 84823 हजार किलो मी रही।
- वर्ष 2016-17 में प्रदेश में पंजीकृत वाहनों की संख्या 13193 हजार होगई।
- मध्यप्रदेश में प्रति 100 वर्ग किमी. पर कुल पक्की सड़कों की लंबाई 31 किमी. है।
- प्रदेश का सबसे लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग NH-3 (आगरा-मुंबई) है । (लम्बाई 717 किलोमीटर)
- प्रदेश का सबसे छोटा राष्ट्रीय राजमार्ग 339B New है, जिसकी लंबाई मात्र 9 किमी. है।
- प्रदेश के बड़े-बड़े नगरों को जोड़ने वाली सड़कों को ‘प्रांतीय राजमार्ग कहते हैं, जिसकी लंबाई 11389 किमी. है।
- सड़कों की दृष्टि से मध्यप्रदेश का देश में 15 वाँ स्थान है |
- अन्य जिला/ग्रामीण मार्ग की लम्बाई 23395 किमी. है।
- NH-7 प्रदेश का दूसरा सर्वाधिक लंबा राष्ट्रीय मार्ग है, जिसकी लंबाई 511 किमी. है।
- मध्यप्रदेश में सड़कों की दृष्टि से सर्वाधिक घनत्व वाला जिला सतना है।
- मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम की स्थापना वर्ष 1962 में की गई थी, जिसे वर्तमान में समाप्त कर दिया गया है ।
राष्ट्रीय राजमार्ग
मध्यप्रदेश राज्य से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 8010 किलोमीटर है, जिसमें सर्वाधिक लंबाई 717.4 किलोमीटर आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग की है । वाराणसीकन्याकुमारी राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई 511 किलोमीटर है । यह दूसरा लंबा राष्ट्रीय राजमार्ग है, जो प्रदेश से गुजरता है राष्ट्रीय राजमार्ग मध्यप्रदेश राज्य को देश के मुंबई, आगरा, वाराणसी, कन्याकुमारी, जयपुर, लखनऊ झाँसी, इलाहाबाद, अहमदाबाद, रेनकूट, राँची, ऊधमपुर, कोटा, बाँदा अजमेर, कानपुर आदि महत्वपूर्ण नगरों से जोड़ते हैं ।
राज्य मार्ग
प्रांतीय राज्य मार्गों की लंबाई वर्ष 2017-18 माह जनवरी 2018 तक 11389 किलोमीटर है।
मुख्य जिला मार्ग
वर्ष 2017-18 (जनवरी, 2018) तक कुल 22129 किलोमीटर लम्बाई के मुख्य जिला मार्गों का संधारण किया गया ।
मध्यप्रदेश में
- क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (10)
- जिला परिवहन कार्यालय(30)
- राज्य सीमा पर परिवहन चेक पोस्ट(40) ।
मध्यप्रदेश में रेल मार्ग
- म.प्र. में रेलवे का इतिहास करीब 140 साल पुराना है।
- म.प्र. में रेलवे का इतिहास से सम्बन्धित मुख्य जानकारी सुल्तान जहां बेगम की कीताब “गोहर-ए-इकबाल” से मिलती है।
- म.प्र. में सर्वप्रथम वर्ष 1867 में प्रथम रेलमार्ग इलाहाबाद-जबलपुर के मध्य प्रारंभ हुआ था, जिसके माध्यम से 1 अगस्त, 1867 को कलकत्ताइलाहाबाद ईस्ट इण्डिया रेलगाड़ी जबलपुर पहुंची थी ।
- पश्चिम की ओर से ग्रेट इण्डियन पेनिन्सुला रेल बंबई से प्रारंभ होकर इटारसी 1 जनवरी, 1870 को पहुंची।
- इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए 9 फरवरी, 1870 को सोहागपुर तथा 08 मार्च, 1870 को जबलपुर पहुंची थी।
- बीना, जो पहले इटावा कहलाता था और सागर को मिडलैंड रेलवे द्वारा 5 जून, 1889 को जोड़ा गया।
- 26 फरवरी,1889 तक सागर और कटनी भी जुड़ गये ।
- कटनी-मुडवारा जोन बंगाल नागपुर रेलवे से 1 जनवरी, 1889 को जुड़ गया।
- जबलपुर-गोंदिया रेलमार्ग 1906 में शुरू हुआ । इसका नाम सतपुड़ा ब्रांच रखा गया।
- 1895 में सिंधिया शासक माधवराव सिंधिया द्वारा ग्वालियर से शिवपुरी के मध्य नैरोगेज ट्रेन प्रारंभ की गयी थी।
- 1868 में मध्यभारत में रेल नहीं थीं, तब भोपाल और इटारसी के बीच ब्राच लाइन बिछाने के लिए सुल्तान जहां बेगम ने 35 लाख रुपये का योगदान दिया था।
- भोपाल स्टेट रेलवे का शुभारंभ शाहजहां बेगम के समय में हआ। 18 नवम्बर 1882 को शाम 4 बजे भोपाल रियासत में रेलवे की ओपनिंग सेरेमनी हुई।
- 1868 तक नार्दन रेलवे ट्रैक आगरा तक था तो दक्षिण में खंडवा तक। बीच में कोई रेलवे ट्रैक नहीं था । आगरा से मुम्बई के बीच सड़क से ही यात्रा होती थी।
- इन्दौर रियासत में खंडवा से इंदौर के बीच रेलवे ट्रैक बन गया था। तब ब्रिटिश अधिकारी सर हेनरी डेली ने भोपाल की नवाब शाहजहां बेगम से भोपाल से इटारसी के बीच रेलवे चलाने की बात की।
- वर्ष 1869 में तुकोजीराव होलकर द्वितीय के प्रयासों से खण्डवा-इन्दौर रेल लाइन का निर्माण हुआ था।
- वर्ष 1877 में राजपूताना-मालवा रेलवे के नाम से जानी-जाने वाली इन्दौर-उज्जैन रेलवे लाइन का निर्माण कराया गया।
- भारत के गवर्नर जनरल और भोपाल की नवाब शाहजहां बेगम के बीच 29 दिसम्बर, 1877 को एक करार हुआ, जिसके तहत इटारसी से भोपाल के बीच रेलवे ट्रैक बनना शुरू हुआ।
- रेलवे ट्रैक 1882 में बनकर तैयार हुआ । इसकी ओपनिंग में पहले गवर्नर जनरल को आना था, लेकिन बाद में कर्नल बैनरमेन आए ।
- इस रेलवे ट्रैक को बाद में भिलसा (विदिशा) तक बढ़ाया गया, जिससे मध्यभारत की रेलवे कनेक्टिविटी पूरे देश में हो गई।
- मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इन्दौर का रेलवे जंक्शन का आरंभ 126 वर्ष पूर्व 1893 में हुआ था, जिसका पननिर्माण वर्ष 1921 में हुआ तथा वर्ष 2012 में इसका विद्युतीकरण हुआ।
- होशगाबाद जिले का इटारसी रेलवे जक्शन मध्यप्रदेश का सबंसे बड़ा रेलवे जंक्शन है।
- पश्चिम मध्य रेलवे जोन के अन्तर्गत आने वाले इटारसी जंक्शन से प्रतिदिन 300 से अधिक ट्रेनें गुजरती है।
- भोपाल के मुख्य जंक्शन का निर्माण वर्ष 1941 में भारत की स्वतंत्रता के पूर्व हुआ था, जबकि शहर के दूसरे स्टेशन हबीबगंज रेलवे स्टेशन का निर्माण 1975 में हुआ था तथा प्रारंभ 1979 में हुआ।
- देश में 17 रेलवे जोनों में से एक पश्चिम मध्य रेलवे का मुख्यालय जबलपुर में है । यह वर्ष 1998 में रेलवे जोन मुख्यालय घोषित हुआ, जबकि कार्यशील 1 अप्रैल, 2003 से हुआ।
- अंग्रेजों ने मध्यप्रदेश को समेटने वाले विभिन्न अंचलों से खनिज व वन संपदा ले जाने के लिए रेल मार्गों का निर्माण किया था।
- स्वतंत्रता के पूर्व सिंधिया राज्य द्वारा 294 मील लंबी रेल लाइन बिछाई गई थी।
- यह रेल लाइन गिर्द, मुरैना, भिण्ड, शिवपुरी और श्योपुर होकर गुजरती थी।
- स्वतंत्रता के पूर्व जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर रेल सुविधाओं के प्रमुख केन्द्र थे।
- प्रदेश में सर्वप्रथम रेलमार्ग वर्ष 1867 में इलाहाबाद-जबलपुर के मध्य प्रारंभ हुआ था।
- वर्ष 1869 में तुकोजीराव होलकर द्वितीय के प्रयासों से खण्डवा-इन्दौर रेल लाइन का निर्माण किया गया था, जिसे होलकर स्टेट रेलवे लाइन के नाम से भी जाना जाता है।
- इसी क्रम में वर्ष 1877 में इन्दौर-उज्जैन रेलवे लाइन बिछायी गई, जो राजपुताना मालवा रेल्वे के नाम से भी जाना जाता था ।
- ग्वालियर से श्योपुर के बीच करीब 200 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रेक पर अभी भी वह नेरोगेज गाड़ी चलती है, जिसने 1909 में चलना प्रारंभ किया था। ग्वालियर लाइन रेलवे के नाम से जाने, जाने वाले इस रेल मार्ग को यूनेस्को ने फिलहाल अपनी अस्थाई सूची में दर्ज किया है।
- वर्तमान रेल मार्ग- राज्य में रेल मार्ग की कुल लंबाई 4903 किलोमीटर (संदर्भित तिथि 31 मार्च,2006) है । रेल मार्ग से राज्य के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सतना जैसे प्रमुख शहर जुड़े हैं । राज्य के विभिन्न स्टेशनों से प्रतिदिन सैकड़ों ट्रेनें गुजरती हैं | मध्यप्रदेश का रेल मार्ग घनत्व 15.9 किलोमीटर (संदर्भित वर्षों 2004-05) है।
- मध्यप्रदेश की रेलमार्ग की लंबाई विभाजन पूर्व 6100 किमी. थी, जो कुल देश में रेलमार्ग की 10% थी, जो विभाजन के बाद लगभग 4903 किमी. है।
मध्यप्रदेश में रेलवे से सम्बन्धित संस्थान
- वर्ष 1951 से पूर्व मालवा से गुजरने वाली रेलवे लाइनें दो स्वतंत्र प्राधिकरणों के अधीन आती थी – (1) राजपूताना मालवा रेलवे, इन्दौर से उज्जैन तक, (2) होलकर स्टेट रेलवे, इन्दौर से खण्डवा तक |
- मध्यप्रदेश में एकमात्र रेलवे जोन की स्थापना वर्ष 1998 में पश्चिम मध्य रेलवे’ के नाम से जबलपुर में हुई।
- रेलवे स्लीपर बनाने का कारखाना वनखेड़ी (बुधनी) में है, तथा नवीन स्लीपर कारखाना झाबुआ में प्रस्तावित है।
- रेलवे भर्ती बोर्ड का मुख्यालय भोपाल में है।
- रेलवे ट्रेक्शन (विद्युत इंजिन) भेल पिप्लानी (भोपाल) में है।
- रेल स्प्रिंग बनाने का कारखाना सिथौली (ग्वालियर) में है।
- वैगन रिपेयर वर्कशॉप सतना में है।
- डीजल लोकोमोटिव्ह कारखाना इन्दौर व विदिशा में है तथा तीसरा सीहो के शेरपुर में निर्माणाधीन है।
- इलेक्ट्रिक एवं डीजल लोको शेड-कटनी व इटारसी में है।
- कोच रिपेयर वर्कशॉप भोपाल के निशातपुरा में है।
- भारत के 17 रेलवे जोनों में एक मध्यप्रदेश में हैं।
- मध्यप्रदेश में पश्चिम मध्य रेलवे जोन के नाम से जबलपुर में रेलवे जोन स्थापित किया गया।
- मध्यप्रदेश में रेलवे कोच रिपेयर फेक्ट्री भोपाल में है।
- प्रदेश के बुधनी (सीहोर) में रेल्वे स्लीपर बनाने का कारखाना है।
- रेलवे इंजन के निर्माण का कारखाना भोपाल में है।
- प्रदेश का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन इटारसी में है।
- मध्यप्रदेश में तीन रेलवे क्षेत्र मध्य रेलवे, पश्चिमी रेलवे तथा दक्षिण-पूर्वी रेलवे हैं।
- मध्यप्रदेश के ग्वालियर, भोपाल, रीवा, जबलपुर में मध्य रेलवे द्वारा रेल परिवहन होता है।
- पश्चिम रेलवे द्वारा प्रदेश के इंदौर, देवास, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर में रेल परिवहन संचालित होता है।
- दक्षिण-पूर्वी रेलवे द्वारा प्रदेश के शहडोल, छिंदवाड़ा, बालाघाट, सिवनी जिलों में परिवहन होता है।
- प्रदेश में रेल सेवा आयोग तथा रेल सेवा विभाग का मुख्यालय भोपाल में है।
- मध्यप्रदेश के भोपाल से दिल्ली चलने वाली भोपाल एक्सप्रेस I.S.0 9001 प्रमाण-पत्र प्राप्त करने वाली देश की पहली ट्रेन है।
- भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन को प्रमाण पत्र प्राप्त करने ।.5.09001 का गौरव हासिल है।
मध्यप्रदेश से गुजरने वाले रेल मार्ग-
- दिल्ली-आगरा-ग्वालियर-भोपाल-इटारसी-मुंबई
- दिल्ली-रतलाम-नागदा-मुंबई
- मुंबई-इटारसी-जबलपुर-कटनी-कोलकाता
- मुंबई-इटारसी-जबलपुर-कटनी-इलाहाबाद
- दिल्ली-मुंबई-बीना-भोपाल-इटारसी-हैदराबाद-चेन्नई
मध्यप्रदेश का पहला रेलमार्ग इलाहाबाद-जबलपुर सन् 1867 में खुला।
वायु परिवहन
म.प्र. का व्यवसायिक शहर इंदौर के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुइ | गयी है । दरअसल इंदौर स्थित देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट का अब इंटरनेशल एयरपोर्ट का दर्जा मिल गया है । दरअसल केन्द्र सरकार ने इंदौर एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन चेक पोस्ट की अनुमति दे दी है। अब यह से जल्द ही इंटरनेशनल फ्लाइट शुरु हो सकेंगी । इंदौर अब मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ का पहला इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन गया है ।
- उल्लेखनीय है कि 6 मार्च 2019 को प्रेस कांफ्रेंस लेकर तत्कालीन सांसद ने इंदौर एयरपोर्ट से 31 मार्च से पहली सीधी लाइट शुरु करने की घोषणा की थी । उस समय इंदौर के पास कस्टम की अनुमति तो थी, लेकिन इमीग्रेशन की अनुमति नहीं थी।
- 15 मार्च2019 को केन्द्रीय गृह मंत्रालय की टीम ने इंदौर एयरपोर्ट कर यहां पर एमीग्रेशन काउंटर को लेकर की गई तैयारियों को देखा था लेकिन आचार संहिता के कारण अनुमति नहीं मिल पाई थी।
- 28 मई 2019 को केन्द्र सरकार ने इस संबंध में नोटिफिकेशन कर दिया इसके बाद इंदौर एयरपोर्ट को इंटरनेशनल का दर्जा मिल गया । अब यहाँ से सीधे फ्लाइट विदेश जा सकेंगी।
- 15 जुलाई, 2019 को प्रदेश के इस पहले इंटरनेशनल एयरपोर्ट से पहल इन्टरनेशनल उड़ान दुबई के लिए रवाना हुई।
- 26 जुलाई, 1948 को इंदौर से ग्वालियर, दिल्ली और मुंबई के लिए विमान सेवाएँ प्रारंभ की गई थीं।
- मध्यप्रदेश के प्रमुख शहर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, खजुराहो, जबलपुर विमान सेवाओं से जुड़े हैं । जेट एयरवेज, इंडियन एयरलाइंस की विमान सेवा उपलब्ध है।
- मध्यप्रदेश के 52 जिलों में से 24 जिलों में विमानतल एवं हवाई पट्टियाँ हैं। इंदौर, ग्वालियर, भोपाल, खजुराहो एवं जबलपुर में राष्ट्रीय विमानपत्तन के हवाई अड्डे हैं।
- राज्य का एकमात्र सैनिक अड्डा ग्वालियर के महाराजपुर में है।
- प्रदेश में 5 हवाई अड्डे है -खजुराहो, ग्वालियर, भोपाल, इंदौर व जबलपुर में हैं।
- मध्यप्रदेश में इंदौर हवाई अड्डे का नाम बदलकर “देवी अहिल्या बाई” हवाई अड्डा कर दिया गया है।
- भोपाल के हवाई अडे का नाम “राजाभोज” हवाई अड्डा रखा गया है।
- मध्यप्रदेश में कुल 26 हवाई पट्टियाँ हैं ।
- 26 हवाई पट्टियों में 10 राष्ट्रीय वायु सेवा के लिए है।
- मध्यप्रदेश के ग्वालियर हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने की घोषणा की गई है।
- मध्यप्रदेश का खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय वायु सेवा से जुड़ा है ।
- प्रदेश के इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और खजुराहो इंडियन एयर लाइंस की नियमित सेवा से जुड़े हैं।
- प्रदेश में राष्ट्रीय हवाई पेन की हवाई पट्टियों की संख्या सात है।
- मध्यप्रदेश का प्रस्तावित छोटा हवाई अड्डा ग्वालियर के टेकनपुर में है।
संचार सेवा
- मध्यप्रदेश में सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्र दूरसंचार के क्षेत्र में कार्यरत् है। केन्द्र सरकार के उपक्रम भारत संचार निगम के साथ-साथ मध्यप्रदेश में एयरटेल (भारती समूह) वोडाफोन, टाटा, रिलायंस, आईडिया, दूरसंचार सुविधाएँ दे रहे हैं।
- माना जाता है कि सन् 1856 में सबसे पहले राज्य के भोपाल व जबलपुर में टेलीफोन सुविधाएँ उपलब्ध हुईं।
- मध्यप्रदेश में 2017-18 में डाकघरों की संख्या 8280 है ।
- पत्र पेटी की संख्या प्रदेश में 38409 है।
- प्रदेश में 2013-14 में टेलीफोन कनेक्शनों की संख्या 3786 हजार है, जिनमें वायर्ड, एल.एल.एवं सेलुलर कनेक्शन भी सम्मिलित है ।
- प्रदेश में टेलीफोन केन्द्रों की संख्या 2464 है।
- प्रदेश में दूरदर्शन ट्रॉन्समीटर की संख्या (वर्ष 2017-18) 70 है।
- मध्यप्रदेश में दूरदर्शन स्टूडियो की संख्या (वर्ष 2017-18) 03 है।
- प्रदेश में आकाशवाणी केन्द्रों की संख्या (वर्ष 2015-16) 27 है।
- मध्यप्रदेश का पहला आकाशवाणी केन्द्र 1955 में इंदौर में स्थापित किया गया। दूसरा केन्द्र भोपाल में 1956 में व तीसरा 1964 में ग्वालियर में स्थापित किया गया।
- भोपाल में विज्ञापन प्रसारण सेवा का प्रारंभ वर्ष 1975 से हुआ है।
- रेडियो प्रसारण की शुरुआत 1955 में इंदौर से हुई।
- प्रसारण की दृष्टि से सबसे अधिक क्षमता वाला आकाशवाणी केन्द्र इंदौर का है।
- भारत में दूरदर्शन का प्रारंभ 1959 में दिल्ली से हुआ । यह प्रायोगिक था, जबकि व्यवस्थित रूप से इसका प्रसारण 1965 में हुआ। –
- भारत में रंगीन टी.वी. का श्रीगणेश वर्ष 1982 में हुआ।
- मध्यप्रदेश में दूरदर्शन का प्रारंभ रायपुर (अविभाजित मध्यप्रदेश में ) से 1975 में हुआ।
- वर्तमान में मध्यप्रदेश में चार निजी क्षेत्र की एफ.एम. सेवा कार्यरत् है, जिनमें पहला रेडियो मिर्ची है।
- रेडियो मिर्ची की शुरुआत 98.3 डिग्री पर इंदौर में हुई।
- अन्य निजी एफ.एम. सेवा बिग एफ.एम. रेड एफ.एम. तथा माई एफ.एम. है।
- भोपाल में अल्पशक्ति ट्रांसमीटर 1982 में तथा इंदौर में उच्च शक्ति ट्रांसमीटर 1984 में स्थापित हुआ ।
- प्रदेश का पहली टी.वी. स्टूडियो भोपाल में स्थापित किया गया ।
प्रदेश के मुख्य आकाशवाणी केन्द्र उनके स्थापना वर्ष
- इंदौर आकाशवाणी केन्द्र 22 मई,1955
- भोपाल आकाशवाणी केन्द्र 31 अक्टूबर, 1956
- ग्वालियर आकाशवाणी केन्द्र 15 अगस्त, 1964
- जबलपुर आकाशवाणी केन्द्र 6 नवंबर, 1964
- छतरपुर आकाशवाणी केन्द्र 7 अगस्त, 1976
- रीवा आकाशवाणी केन्द्र 2 अक्टूबर, 1977
- सागर आकाशवाणी केन्द्र 1995
- मध्यप्रदेश में वर्तमान में 78 रिले केन्द्र हैं।
- प्रदेश में दूरदर्शन कार्यक्रम निर्माण केन्द्र भोपाल एवं इंदौर में है।
- मध्यप्रदेश में अप्रैल 1962 में डाकतार परिमण्डल गठित हुआ, जिसका मुख्यालय नागपुर था । इसे 1965 में स्थानांतरित कर भोपाल में स्थापित किया गया।
- प्रदेश का प्रथम सौर ऊर्जा से चलने वाला टी.वी. कस्तूरबा ग्राम (इंदौर) में लगाया गया है।
- प्रदेश में दूरसंचार सेवा का प्रारंभ 1 सितंबर, 1974 में हुआ ।
- मध्यप्रदेश में ‘एयरटेल’ के नाम से प्रारंभ की गई टेलीफोन सेवा देश की पहली निजी टेलीफोन सेवा है ।
- मध्यप्रदेश में डाक सेवा का आरंभ 1962 में हुआ।
- भारतीय डाक सेवा की शुरुआत 1837 में हुई।
- 1851 में पहला डाक टिकट कराची में जारी हुआ ।
- मध्यप्रदेश में 1554 से भी अधिक तार घर हैं ।
- भारत में 1984 में मेट्रो चेनल की शुरुआत हुई।
- मध्यप्रदेश के 26 जिले तार सेवा से तथा 16 जिले टेलेक्स सेवा से जुडे है
समाचार-पत्र
- म.प्र. का पहला हिन्दी में प्रकाशित होने वाला समाचार पत्र “मालवा अखबार” था जो 6 मार्च 1848 को इंदौर से प्रकाशित हुआ था, जिसके सम्पादक पण्डित प्रेमनारायण थे।
- मार्च 2019 में अपने प्रकाशन के 171 वर्ष पूर्ण करने वाला मालवा अखबार होलकर रियासत छापाखाने से प्रकाशित होता था ।
- बनारस से प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र (1845) के बाद हिन्दी में प्रकाशित होने वाला यह दूसरा समाचार पत्र था ।
- यह साप्ताहिक अखबार था इसके आधे भाग में हिन्दी और आधे भाग में उर्दू शब्दों का इस्तेमाल होता था।
- इसमें समाचार की प्रस्तुति कहानी की तरह होती थी । इसमें इंदौर और आसपास की देशी रियासतों की खबरों को छापा जाता था ।
- अखबार का आकार 11 बॉय 8 इंच का होता था । पेज आठ होते थे । इसकी भाषा बहुत ही सरल और सटीक होती थी।
- मध्यप्रदेश का पहला समाचार पत्र ग्वालियर अखबार 1840 में उर्दू में प्रकाशित हुआ था । यह साप्ताहिक था।
- ग्वालियर अखबार (1840) में ग्वालियर से प्रकाशित हुआ ।
- राज्य में हिन्दी भाषा में प्रकाशित होने वाला प्रथम अखबार मालवा अखबार था।
- ‘मालवा अखबार’ का प्रकाशन 6 मार्च, 1948 में इंदौर से हुआ । यह भी साप्ताहिक समाचार पत्र था ।
- मध्यप्रदेश की प्रथम हिन्दी मासिक पत्रिका नवजीवन थी, जो 1915 में प्रकाशित हुई।
- 1853 में ‘ग्वालियर गजट’ का प्रकाशन प्रारंभ हुआ जो हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित होता था । सन् 1905 में इसका नाम बदलकर ग्वालियर स्टेट गजट कर दिया गया ।
- मध्यप्रदेश में सर्वाधिक समाचार-पत्र भोपाल से प्रकाशित होते हैं ।
- मध्यप्रदेश का सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला समाचार पत्र दैनिक भास्कर है।
- प्रदेश का दूसरा सर्वाधिक प्रसार संख्या वाला समाचार पत्र नई दुनिया का प्रकाशन 5 जून, 1947 को इंदौर से प्रारंभ हुआ।
- मध्यप्रदेश की एकमात्र खेल पत्रिका “खेल हलचल” के नाम से इंदौर से प्रकाशित की जाती थी।
- मध्यप्रदेश का प्रथम हिन्दी दैनिक समाचार पत्र “नवजीवन” के नाम से सन् 1939 में इंदौर से प्रकाशित हुआ ।
- 1873 में इंदौर से होल्कर सरकार गजट व जबलपुर से ‘जबलपुर समाचार-पत्र’ प्रकाशित हुए।
- सन् 1887 में रीवा से भारत भ्राता का प्रकाशन आरंभ हुआ।
- वर्तमान में मध्यप्रदेश का सबसे पुराना समाचार-पत्र मध्यप्रदेश संदेश है, जो पूर्व में “जयाजी प्रताप” के नाम से ग्वालियर (1905) से प्रकाशित होता था।
- मध्यप्रदेश माध्यम के द्वारा रोजगार एवं निर्माण समाचार पत्र का प्रकाशन किया जाता है।
- मध्यप्रदेश में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की स्थापना 1991 में भोपाल में की गई।
- 19 जून, 1984 में भोपाल के माधवराज से स्मृति समाचार-पत्र संग्रहा की स्थापना की गई।
- पत्रकार भवन भोपाल तथा जबलपुर में है।
- प्रदेश में पत्रकारों के दो संगठन एक मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ दूसरा मध्यप्रदेश आँचलिक पत्रकार संघ कार्यरत् है।
मध्यप्रदेश से प्रकाशित प्रमुख समाचार पत्र
- राज्य से मराठी का पहला अखबार ‘पूर्ण चन्द्रोदय’ 1 नवंबर, 18607 प्रारंभ हुआ । वासुदेव बल्लार मुड़े के संपादन में इंदौर से निकला।
- उर्दू का पहला अखबार आफताब-ए-कुदरत, अब्दुल करीम अंसारी के संपादन में 1865 में भोपाल से प्रकाशित हुआ।
- 1873 में जबलपुर से कृष्णराव के संपादन में जबलपुर समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारंभ हुआ । यह द्वि-भाषी मासिक अखबार था, जो हिन्दी और अंग्रेजी में छपता था।
- 1883 में भोपाल में अब्दुल करीम ओज के उर्दू पत्र ‘सदाकत’ ने भी व्यवस्था की खामियों के खिलाफ अंगुली उठाई थी, फलतः उन्हें देश निकाला की सजा हुई और 1884 में उन्होंने होशंगाबाद से ‘मोजे नरबदा’ का प्रकाशन किया।
- 1883 में जबलपुर से रामगुलाम अवस्थी के संपादन में साप्ताहिक ‘शुभ चिंतक’ का प्रकाशन हुआ।
- दादा माखनलाल चतुर्वेदी के संपादन में कर्मवीर का पहले (1920) में जबलपुर से फिर 1935 में खंडवा से प्रकाशन हुआ ।
- मध्यप्रदेश का प्रथम दैनिक समाचार पत्र ‘प्रकाश’ 11 जून, 1923 को बुंदेलखण्ड के सागर से मास्टर बलदेव प्रसाद के संपादन में प्रकाशित हुआ।
- इसी कालखंड में जबलपुर से श्री शारदा और छात्र सहोदर (1920), इंदौर से वीणा (1927), खरगोन से वाणी (1930), जबलपुर से प्रेमा (1930), टीकमगढ़ से मधुकर (1940) का प्रकाशन हुआ।
- 1930 में पं. द्वारका प्रसाद मिश्र के संपादन में जबलपुर से ‘दैनिक लोकमत’ निकला । इसे उस समय का संपूर्ण समाचार पत्र माना जाता था।
- मध्यप्रदेश का पहला सांध्य दैनिक प्रदीप 1950 में मोहन सिन्हा के संपादन में जबलपुर से निकला था ।
- मध्यप्रदेश जनसंपर्क के वर्ष 2008-09 के प्रतिवेदन के अनुसार 2008 में प्रदेश से 1071 समाचार पत्र और पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही थीं । इनमें 160 दैनिक समाचार पत्र थे, इसके अतिरिक्त 257 साप्ताहिक समाचार पत्र, 92 पाक्षिक, 548 मासिक पत्र-पत्रिकाएँ तथा 24 त्रैमासिक पत्रपत्रिकाएँ शामिल थे।
मध्यप्रदेश की प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाएँ
- इंदौर से वीणा का प्रकाशन होता है।
- भोपाल से वसुधा, साक्षात्कार, पूर्वाग्रह, अन्सत, चौमासां नया पथ, कलावार्ता आदि का प्रकाशन होता है।
- पिपरिया से अकंट का प्रकाशन होता है।
- जबलपुर से पहल’ व ‘वसुधा का प्रकाशन होता है।
- विदिशा से नया विकल्प’ प्रकाशित की जाती है।
- कटनी से यात्रा’ का प्रकाशन किया जाता है।
- ब्यावरा से ‘प्रसंग’ का प्रकाशन किया जाता है।
- रतलाम से आवेग’ तथा ‘ककर’ का प्रकाशन होता है।